प्रदीप सिंह।
मैंने शनिवार को ही कहा था कि अगर सीबीआई उनकी रिमांड नहीं मांगी तो 1 अप्रैल यानी सोमवार को अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल जाएंगे। तो आज सीबीआई ने उनकी रिमांड नहीं मांगी, ईडी ने भी जुडिशल रिमांड की मांग की और अदालत उस पर तैयार हो गई। अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक के लिए जुडिशल कस्टडी में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। वहां यह भी इंस्ट्रक्शन है कि उनको उनके पुराने साथियों यानी मनीष सिसौदिया सत्येंद्र जैन और संजय सिंह के साथ नहीं रखा जाएगा।
केजरीवाल के लिए सेल नंबर दो तैयार की गई है। दो दिन से तैयारी चल रही थी। जेल अथॉरिटीज को भी मालूम था कि अदालत का अगला कदम क्या होने वाला है। बड़ी स्वाभाविक सी बात थी कि अगर ईडी रिमांड नहीं मांगती है और सीबीआई रिमांड आगे नहीं मांगती है तो उनका जेल (जुडिशियस रिमांड) पर जाना तय था।
अरविंद केजरीवाल ने जेल जाते-जाते एक बड़ा खेल कर दिया। उन्होंने अपने दो मंत्रियों को फंसा दिया। अरविंद केजरीवाल की सारी कोशिश को देखकर आपको पता चलेगा कि उनकी छटपटाहट यह है कि किसी तरह से इस शराब घोटाले से उनका नाम निकल जाए। उनकी खाल बच जाए बाकी पूरी पार्टी फंसती हो तो फंस जाए। उन्होंने लगभग अपनी पूरी पार्टी को एक तरह से फंसा ही दिया है। विजय नायर जो इस शराब घोटाले का बिचौलिया था- अरविंद केजरीवाल का ब्लू आइड बॉय था- जिसका कम्युनिकेशन हेड के रूप में अपॉइंटमेंट करते हुए रहने के लिए मंत्री कैलाश गहलोत का बंगला दिया था। कैलाश गहलोत परिवहन मंत्री थे। उनको अलॉट बंगले में उनकी बजाय विजय नायर रहता था। वह बंगला अरविंद केजरीवाल के बंगले के बगल में था और उनके कैंप ऑफिस यानी मुख्यमंत्री के कैंप ऑफिस से वह (नायर) ऑपरेट करता था। अब अरविंद केजरीवाल का कहना है कि विजय नायर का मुझसे कोई लेना देना नहीं है। विजय नायर तो आतिशी सिंह और सौरव भारद्वाज को रिपोर्ट करता था।
अब आप इस गुत्थी को समझिए। जिस समय की बात हो रही है वह था 2021, जब यह शराब नीति बनी थी जो बाद में रद्द कर दी गई। इस शराब नीति के बनाने के समय और इसके लागू होने के समय तक सरकार में ना तो आतिशी मंत्री थी और ना सौरव भारद्वाज मंत्री थे। ये दोनों नेता आज कोर्ट रूम में मौजूद थे जब ईडी ने बताया कि पूछताछ के दौरान अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है विजय नायर इन दोनों को ही रिपोर्ट करता था। इसलिए इसके (नायर) बारे में यही लोग बता सकते हैं।
विजय नायर केजरीवाल को रिपोर्ट नहीं करता था यह सरासर झूठ है और इस झूठ को बेनकाब करने के लिए ईडी के पास पर्याप्त प्रमाण है। केजरीवाल के खिलाफ आप के कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता का बयान है कि पार्टी में जब पैसा आता है, चंदा आता है या किसी सोर्स से पैसा आता है तो उसको चुनाव में कैसे खर्च किया जाना है इसका फैसला पार्टी का मुखिया करता है। उन्हीं के निर्देश पर यह खर्च होता है। आप मानकर चलिए अगला जेल का नंबर आतिशी का आने वाला है क्योंकि वह उस समय गोवा के चुनाव की इंचार्ज थीं। ये 100 करोड़ का घूस का पैसा गोवा और पंजाब के चुनाव में खर्च हुआ। गोवा के चुनाव में जो खर्च हुआ उसका पूरा व्यय का पूरा प्रमाण इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट के पास है। उसके गवाह हैं, दस्तावेजी सबूत हैं। तो उससे अरविंद केजरीवाल बच नहीं सकते। उसी से पीछा छुड़ाने के लिए उन्होंने अपने कोषाध्यक्ष को भी एक तरह से डिस ओन कर दिया। उन्होंने कहा वो कंफ्यूज हैं- उनको नहीं मालूम कि ऐसे फैसले मैं नहीं करता हूं। मैं पार्टी का कन्वीनर हूं- सर्वे सर्वा हूं- लेकिन यह फैसला पीएसी यानी पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी करती है। पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी आम आदमी पार्टी की नीति निर्धारक बॉडी है जिसमें 1314 सदस्य हैं। इसको हेड करते हैं अरविंद केजरीवाल। तो उन्होंने एक तरह से पूरी पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया कि अगर गोवा चुनाव में गलत पैसे का इस्तेमाल हुआ, गलत पैसा गया और खर्च हुआ, किस तरह से खर्च हुआ, किन लोगों को दिया गया- इस सबकी जिम्मेदारी सिर्फ मेरी नहीं री पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की है।
आज कोर्ट रूम में आतिशी और सौरव भारद्वाज दोनों मौजूद थे। जब एएसजी एसवी राजू ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान में क्या बताया है तब दोनों के चेहरे हो फक रह गए। सौरव भारद्वाज और आतिशी दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और वहां मौजूद अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की ओर देखा। कोर्ट रूम से बाहर निकलते हुए मीडिया ने आतिशी से सवाल पूछा कि अरविंद केजरीवाल ने जो बयान दिया है उस पर आपका क्या कहना है? इस पर वो चुपचाप मुस्कुरा कर निकल गई।
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(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ के संपादक हैं)