केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की प्रमुख योजना मोहल्ला क्लीनिक में कथित घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया है। एक दिन पहले (4 जनवरी) ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सिफारिश की थी कि सभी मोहल्ला क्लीनिक के संचालन की जांच सीबीआई से कराई जाए।

दो निजी कंपनियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी

1 जनवरी 2023 से दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार अपने मोहल्ला क्लीनिक उपक्रम के माध्यम से गरीब मरीजों को 450 तरह के मेडिकल टेस्ट की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करा रही है. दो निजी कंपनियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि, फर्जी टेस्ट और डमी (नकली या बनावटी) मरीजों के भी आरोप लगते रहे हैं. उपराज्यपाल कार्यालय के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘आंकड़ों से स्पष्ट रूप से दिखता है कि इन मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी लैब परीक्षण किए गए थे, जिनकी आगे जांच करने की आवश्यकता है।

सरकारी धन का भुगतान निजी कंपनियों को किया

उपराज्यपाल के कार्यालय के अनुसार, सतर्कता विभाग की जांच के मुताबिक, ‘डमी मरीजों पर लाखों परीक्षण’ करने के लिए मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों द्वारा कई कपटपूर्ण तरीके अपनाए जा रहे हैं और सरकारी धन का भुगतान निजी कंपनियों को किया जाता है।

उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि उदाहरण के लिए, कुल 11,657 मामले ऐसे देखे गए जिनमें मोबाइल नंबरों के लिए बने खंड में केवल ‘0’ अंक दर्ज किया गया था; 8,251 मामलों में जगह खाली छोड़ दी गई; 3,092 रोगियों के मोबाइल नंबर 9999999999 दर्ज किए गए; 400 मोबाइल नंबर 1,2,3,4 या 5 से शुरू होते हैं और लगभग एक हजार मामलों में एक ही नंबर का 15 से अधिक बार उपयोग किया गया था।

सतर्कता विभाग की जांच के अनुसार, ये कुछ तरीके हैं जो कथित तौर पर दिल्ली के 7 मोहल्ला क्लीनिकों में नकली मरीजों पर लाखों परीक्षण करने के लिए अपनाए गए थे, जिनके लिए निजी डायग्नोस्टिक फर्मों को भुगतान किया गया था। सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि आउटसोर्स प्रयोगशालाओं द्वारा सिफारिश किए गए लगभग 20,000 टेस्ट या तो बिना मोबाइल नंबर या ‘0’ अंक वाले थे. उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार, यह ‘घोटाला’ सैकड़ों करोड़ रुपये का है।

घोटाला पहली बार सितंबर 2023 में सार्वजनिक हुआ था

वास्तव में कथित घोटाला पहली बार सितंबर 2023 में सार्वजनिक हुआ था, जब यह पता चला था कि दक्षिण-पश्चिम, शाहदरा और पूर्वोत्तर जिलों में 7 मोहल्ला क्लीनिकों के कुछ डॉक्टर और कर्मचारी पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए संदिग्ध तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। ये मोहल्ला क्लीनिक जाफर कलां, उजवा, शिकारपुर, गोपाल नगर, ढांसा, जगजीत नगर और बिहारी कॉलोनी में हैं. बाद में डॉक्टरों को पैनल से हटा दिया गया और उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि उन्हें कुछ डॉक्टरों के देर से आने या काम से जल्दी जाने की शिकायतें मिली हैं. उन्होंने सितंबर में उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था। उन्होंने कहा था, ‘कुछ डॉक्टरों ने सिस्टम का शोषण किया है. उन्होंने अपना पूर्व-रिकॉर्ड किया गया वीडियो साथी मोहल्ला क्लीनिक कर्मचारियों को सौंप दिया और उनसे अपनी उपस्थिति बनाने के लिए इसे कैमरे के सामने चलाने के लिए कहा था. विभिन्न स्थानों पर 7 डॉक्टरों सहित 26 कर्मचारी इस तरह के कदाचार में पकड़े गए थे. हमने उन्हें निकाल दिया और कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है।

पैनल से बाहर किए गए डॉक्टर फर्जी तरीके से हाजिरी लगा रहे

सतर्कता रिपोर्ट में कहा गया है कि मेट्रोपोलिस और एगिलस लैब मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एलएमआईएस) में 3 महीने – जुलाई से सितंबर 2023 – में लैब डेटा का रैंडम विश्लेषण किया गया तो यह देखा गया कि उस अवधि के दौरान भी पैनल से बाहर किए गए डॉक्टर फर्जी तरीके से हाजिरी लगा रहे थे. लैब टेस्ट की सिफारिश की जा रही है, जो संकेत देता है कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए इलाज करने वाले डॉक्टर की अनुपस्थिति में लैब टेस्ट की सिफारिश की जा रही थी।

वर्तमान में 533 मोहल्ला क्लीनिक कार्यरत हैं. प्रत्येक में एक डॉक्टर, एक सहायक, एक फार्मासिस्ट और एक मल्टीटास्किंग कर्मचारी होता है, जो क्लिनिक की स्वच्छता और सामान्य रखरखाव सुनिश्चित करता है। भारद्वाज ने कहा, ‘यह अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने स्तर पर रैंडम जांच करें. डीजीएचएस की नियुक्ति किसने की है? स्वास्थ्य सचिव की नियुक्ति किसने की है? हमने उन्हें नियुक्त नहीं किया है. उनके द्वारा चुने गए अधिकारी गड़बड़ी में लिप्त हैं और वे सीबीआई जांच की सिफारिश कर रहे हैं? वे अपने चुने हुए लोगों के खिलाफ जांच शुरू कर रहे हैं, हमारे खिलाफ नहीं।

उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को निलंबित नहीं किया

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने उपराज्यपाल और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को लिखित रूप में स्वास्थ्य सचिव को निलंबित करने की सिफारिश की है. वे दावा करते हैं कि मोहल्ला क्लीनिकों में सैकड़ों करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन फिर भी उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को निलंबित नहीं किया है. वे किसके इंतजार में हैं।

आप नेता आतिशी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान बीते 5 जनवरी को कहा, ‘भाजपा दिल्ली में इसलिए चुनाव नहीं जीत पाती है, क्योंकि उसने दिल्लीवालों के लिए एक भी काम नहीं किया. आप से लंबी लकीर नहीं खींच पा रही है भाजपा, इसलिए वो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा ठप करना चाहती है. दिल्ली की जनता ये भी देख रही है कि आयुष्मान योजना में 18 लाख फर्जी नामों के बाद भी भाजपा जांच के लिए उंगली नहीं उठा पा रही है।

, ‘भाजपा अपनी सीबीआई जांच से क्या साजिश कर रही है. हम न किसी जांच से डरे हैं, न किसी जांच से डरेंगे, लेकिन इस जांच का उद्देश्य है गरीबों का इलाज रोकना. ये चाहते हैं कि सीबीआई जांच से अफसर डर जाएं, फाइल न बढ़ाएं, न दवाइयां आएं, न टेस्ट हों, न डॉक्टरों की तनख्वाह जाए।

वन अधिकारियों के खिलाफ जांच का मामला क्या है?

सीबीआई ने दिल्ली वन विभाग के पारसनाथ यादव और आलम सिंह रावत, जो क्रमशः वरिष्ठ लेखा अधिकारी और सहायक लेखा अधिकारी थे, के खिलाफ मामला दर्ज किया है. सीबीआई के अनुसार, वन विभाग के दो अधिकारियों पर बैंक ऑफ बड़ौदा, पहाड़गंज ब्रांच के तत्कालीन वरिष्ठ शाखा प्रबंधक एलए खान और अन्य के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप है. कथित साजिश में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) के नाम पर ‘संड्री’ (SUNDRY) खाते से फेक सेविंग्स अकाउंट्स में 223 करोड़ रुपये का अवैध और अनधिकृत ट्रांसफर शामिल है. यह ट्रांसफर कथित तौर पर दिल्ली सरकार के वन और वन्यजीव विभाग द्वारा जारी एक जाली पत्र के आधार पर किया गया था.

स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ जांच का मामला क्या है?

वीके सक्सेना ने रिश्वत मामले में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल की दो वरिष्ठ नर्सों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा जांच को भी मंजूरी दे दी है. आरोपी चंचल रानी पिसल्ला और रजनेश वर्मा पहले क्रमशः जीबी पंत अस्पताल में डिप्टी नर्सिंग अधीक्षक और नर्सिंग ऑफिसर के पद पर तैनात थे. एसीबी का आरोप है कि दोनों ने दो नर्सिंग स्टाफ से ‘हल्की ड्यूटी’ देने के बदले में प्रत्येक से 60,000 रुपये की मांग की. एक नर्सिंग अधिकारी ने दावा किया कि पिसल्ला और वर्मा ने पहले भी कोविड-19 डेस्क पर ड्यूटी से छूट के लिए नर्सिंग स्टाफ से 42,000 रुपये ले लिए थे. वर्तमान में चंचल रानी पिसल्ला को गुरु नानक आई सेंटर में तैनात किया गया है, जबकि रजनेश वर्मा को अरुणा आसफ अली अस्पताल में नियुक्त किया गया है. दोनों मामलों में, एलजी ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17ए के तहत जांच को मंजूरी दे दी है।(एएमएपी)