प्रदीप सिंह।
ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है और पहली बार इस तरह से फंसा है। मैं बात कर रहा हूं अरविंद केजरीवाल की जो हमेशा दूसरे नेताओं, दूसरी पार्टी के नेताओं, नौकरशाहों पर भ्रष्टाचार के आरोप बिना सोचे समझे लगाते थे। वे खुद और उनके साथी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया भ्रष्टाचार के आरोप में कायदे से घिर गए है। केजरीवाल सरकार की एक्साइज पॉलिसी 2021 में घोटाले के आरोप लगने के बाद दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है। तब से केजरीवाल खेमे में बौखलाहट है। वे टेलीविजन पर आए और उनकी जो आदत है उसी के मुताबिक उन्होंने कहा कि यह सब झूठ है। मनीष के बारे में ऐसा कुछ हो ही नहीं सकता, उन्हें फंसाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने और भी बड़ी-बड़ी बातें कही कि कोई जेल रोक नहीं सकती केजरीवाल को और आम आदमी पार्टी को। साथ ही यह भी कहा कि मैंने तीन-चार महीने पहले ही कहा था कि अब बारी मनीष सिसोदिया की है, उन्हें जेल भेजने की तैयारी हो रही है।
उन्होंने सारा मामला बड़ी चालाकी से मनीष सिसोदिया की ओर मोड़ दिया है लेकिन यह मामला मनीष सिसोदिया तक का ही नहीं है। यह ठीक है कि यह मामला उनके विभाग का है लेकिन मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी और जवाबदेही इसमें साफ-साफ है क्योंकि फैसले कैबिनेट से पास हुए हैं। इस मामले में आप संवेदनहीनता की पराकाष्ठा देखिए, जब कोरोना के डेल्टा वायरस से दिल्ली, देश और पूरी दुनिया जूझ रही थी, लोग मर रहे थे, ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड की कमी, दवाओं की कमी, उस समय केजरीवाल पूरी दुनिया पर आरोप लगा रहे थे कि इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं, उस समय मजदूर पलायन कर रहे थे, लोगों का रोजगार जा रहा था, खाने-पीने की मुश्किल थी, इन सबका इंतजाम करने की बजाय, इनकी चिंता करने की बजाय अरविंद केजरीवाल सरकार को शराब ठेकेदारों की चिंता थी। उनको चिंता थी कि महामारी और लॉकडाउन में बेचारे गरीब शराब ठेकेदारों का क्या होगा, उनकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी। उनकी लाइसेंस फीस में 144 करोड़ रुपये की छूट दे दी गई। यह जनता का पैसा था, लोगों के टैक्स का पैसा था जिसे लाइसेंस के नियम और शर्तों का उल्लंघन करते हुए शराब व्यापारियों को दे दिया गया। उन शर्तों के मुताबिक, उनकी सरकार को ऐसी छूट देने का कोई अधिकार नहीं है। जब लोग कोरोना की महामारी से जूझ रहे थे, परेशान हो रहे थे, सड़कों पर दर-दर भटक रहे थे तब ऑक्सीजन को लेकर उन्होंने जो गड़बड़ी की थी वह सामने आ गया। झूठ का हल्ला मचाया वह सामने आया, वैक्सीन को लेकर जो दुष्प्रचार किया वह सामने आया लेकिन इतना बड़ा काम कर सकते हैं, शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचा कर इतनी संवेदनहीनता दिखा सकते हैं इस बारे में कल्पना करना मुश्किल था।
केजरीवाल ने किसी की नहीं सुनी
केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति का विरोध शैक्षणिक संस्था, स्कूल और कॉलेज के बच्चों के अभिभावकों के अलावा धार्मिक संगठन और राजनीतिक दल सभी इस नीति का विरोध कर रहे थे लेकिन अरविंद केजरीवाल ने किसी की नहीं सुनी। हर वार्ड में दो शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दी गई और लाइसेंस फीस जमा हो गई तो उसके बाद सरकार ने पिछले दरवाजे से छूट दे दी कि दो से ज्यादा दुकानें भी खोल सकते हैं। उसका पैसा बढ़ाया नहीं, सरकार को उसका पैसा नहीं मिला। तो सवाल ये उठता है कि ये पैसा किसकी जेब में गया, किसके लिए छूट दी कोई? इसकी शिकायतें मिली तो लेफ्टिनेंट गवर्नर ने मुख्य सचिव से इसकी जांच करने को कहा। दिल्ली के मुख्य सचिव ने 8 जुलाई, 2022 को अपनी जांच रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गवर्नर और मुख्यमंत्री दोनों को भेज दी। जब यह रिपोर्ट मिली तो अरविंद केजरीवाल को यह समझ में आ गया कि अब बचना मुश्किल है। केवल 144 करोड़ रुपये के छूट की बात नहीं है, उसके अलावा नीति में कई संशोधन किए गए। पहले तो कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवा कर नई शराब नीति में छोटे-मोटे संशोधन करने का अधिकार विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया को दे दिया गया। जब इसका विरोध तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर ने किया तो उस फैसले को बदला गया। यही नहीं दिल्ली एयरपोर्ट पर दुकान खोलने का जिसको ठेका मिला था उसको एयरपोर्ट अथॉरिटी से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) नहीं मिली। पूरे देश में यह नियम है कि जिसको लाइसेंस मिला है अगर वह लाइसेंस की सभी शर्तें पूरी नहीं करता है तो उसका जो भी पैसा सरकार के पास जमा है वह सब जब्त हो जाएगा, सरकार का हो जाएगा। मगर अरविंद केजरीवाल की सदाशयता, दानवीरता देखिए कि 30 करोड़ रुपये जो जमा थे उस ठेकेदार के उसे सार नियमों को तोड़कर वापस कर दिया गया।
एलजी ने सीबीआई को सौंपी जांच
इसके अलावा विदेशी शराब के दाम तय करने का जो फार्मूला था उसको लाइसेंस जारी होने के बाद अचानक बदल दिया गया जिससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वह फायदा किसकी जेब में गया? अरविंद केजरीवाल जो कह रहे थे कि उनका जो फ्री होता है वह रेवड़ी प्रसाद होती है। यह जो प्रसाद शराब ठेकेदारों को आपने दिया वह किसकी जेब में गया? इसके हिस्सेदार कौन-कौन थे? अरविंद केजरीवाल इस आरोप से कैसे बच सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ठेकेदारों को जो फायदा पहुंचाया गया उसका पैसा आम आदमी पार्टी की टॉप पॉलिटिकल लीडरशिप के पास गया। उनको पैसा पहुंचाया गया। मामला केवल मनीष सिसौदिया का नहीं है। केजरीवाल साहब आप बहुत गलतफहमी में है कि सब कुछ मनीष सिसोदिया पर डाल देंगे और आप बच जाएंगे। जांच की आंच अब अरविंद केजरीवाल तक पहुंचने वाली है। भ्रष्टाचार को दिल्ली से खत्म करने का डंका पीटने वाले अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोप में घिर चुके हैं। यह ऐसा आरोप है जो सबकुछ कागज पर है। वह आईटी इंजीनियर हैं और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में रहे हैं तो उनको मालूम है कि उन्होंने क्या किया है। उनका जेल जाना अब कोई असंभव बात नहीं रह गई है। 8 जुलाई को चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट आई और उसके छह दिन बाद यानी 14 जुलाई को उन्होंने कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग का कोई आधार होना चाहिए, कोई ऐसा मामला होना चाहिए। इसकी सूचना कैसे दी गई, दोपहर 2 बजे मीटिंग होनी थी और सुबह 9:32 बजे चीफ सेक्रेटरी को इसकी सूचना दी गई। लेफ्टिनेंट गवर्नर को तो मीटिंग होने के बाद शाम 5 बजे सूचना दी गई। जबकि नियम यह है कि एलजी को 24 घंटे पहले यह बताया जाना चाहिए कि बैठक का एजेंडा क्या है और किस मुद्दे पर बैठक बुलाई जा रही है। एलजी की मंजूरी के बाद वह बैठक होती है। यहां मंजूरी तो छोड़िए, सूचना भी नहीं दी गई। यही नहीं, चीफ सेक्रेटरी को जो बैठक का संदेश भेजा गया उसमें एजेंडे का कहीं कोई जिक्र नहीं था। इस बैठक का एजेंडा यह था कि शराब नीति आने के बाद से जो भी पाप किए गए उन्होंने उन सबको धो दिया जाए। एलजी को समझ में आ गया कि यह सब लीपापोती की कोशिश हो रही है तो उन्होंने सीधे सीबीआई को जांच का आदेश दे दिया।
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दिल्ली का सबसे बड़ा घोटाला!
अब आप देखिए कि इसमें कितने घोटाले हुए हैं। जिनको ठेका मिला उनकी लाइसेंस अवधि खत्म हो रही थी तो दो बार एक-एक महीने एक्सटेंशन दिया गया और कोई फीस नहीं ली गई। 144 करोड़ रुपये की छूट दे दी गई और 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए। मुझे लगता है कि यह दिल्ली के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है और इसमें सीधे-सीधे मुख्यमंत्री की मिलीभगत दिखाई दे रही है। जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें केवल मनीष सिसोदिया के सिर पर सब डाल कर वह बचने वाले नहीं हैं। उनको इसका अंदाजा पहले ही हो गया था। इसलिए जैसे ही चीफ सेक्रेटरी ने जांच शुरू की उन्होंने टीवी पर आकर रोना शुरू कर दिया कि सत्येंद्र जैन के बाद अब मनीष सिसोदिया को परेशान किया जाएगा, उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। दरअसल, वो अपना बचाव कर रहे थे। उन्होंने सत्येंद्र जैन का कोई बचाव नहीं किया, वे मनीष सिसोदिया का भी कोई बचाव नहीं करेंगे, वे अपना बचाव कर रहे हैं। कुछ गलत हुआ तो सत्येंद्र जैन ने किया, मनीष सिसोदिया ने किया और कुछ गलत होगा तो कोई और मंत्री जाएगा। यह सब करके वह अपने को बचाना चाहते हैं जो अब संभव नहीं रहा। जिस तरह की संवेदनहीनता उन्होंने दिखाई है, जिस तरह की लूट हुई है गली-गली में शराब की दुकान खुलवा कर, उससे वे अब बच नहीं सकते। उस समय ये दावा किया जा रहा था कि ये सरकार का राजस्व बढ़ाने के लिए है। ये जो दावा किया जाता है कि दिल्ली सरकार का सरप्लस बजट है लेकिन वह सरप्लस आम आदमी पार्टी के नेताओं की जेब में, मंत्रियों की जेब में जा रहा था, मुख्यमंत्री को मिल रहा था, मिल रहा था कि नहीं यह अब सीबीआई तय करेगी। लेकिन शराब माफिया पैसा दे रहे थे इसमें कोई दो राय नहीं है। आप उसको छूट दे रहे हैं 144 करोड़ रुपये की, लाइसेंस की मियाद खत्म होने के बाद एक्सटेंशन दे रहे हैं बिना कोई फीस लिए। आप सीधे-सीधे सरकारी पैसे का नुकसान कर रहे थे यानी जनता का नुकसान कर रहे थे। इसके लिए जिम्मेदार कौन है केजरीवाल साहब।
केजरीवाल का बचना मुश्किल
आप तो भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करते थे, अब आपकी ईमानदारी ईमानदारी के किस्से सामने आ रहे हैं। यह यहीं तक रुकने वाला नहीं है, अभी और मामले आने वाले हैं। कहते हैं न कि जो तलवार की धार पर जीता है वह तलवार से ही मरता है। जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक झूठा, पाखंडपूर्ण आंदोलन लेकर आया था, उसका अभियान लेकर आया था वह भ्रष्टाचार की ही भेंट चढ़ने वाला है। अरविंद केजरीवाल के लिए अब अपना बचाव करना, अपनी सरकार का बचाव करना, वह हाई मोरल ग्राउंड लेना संभव नहीं रह गया है। सीबीआई की जांच शुरू होगी तो देखिए कौन-कौन जेल जाता है। मनीष सिसोदिया अगर जेल जाएंगे तो अरविंद केजरीवाल कैसे बचेंगे। यह कैबिनेट का फैसला था। दिल्ली की जनता के पैसे की इतनी बड़ी लूट की जवाबदेही सिर्फ अरविंद केजरीवाल की है। वह इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। अरविंद केजरीवाल को अब यह समझ में आने लगा है। इस बार जब वो टेलीविजन पर आए तो उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी। उनको मालूम है कि उनके घर के बाहर किसी भी दिन पुलिस, सीबीआई दस्तक दे सकती है। कभी भी उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है, कभी भी रिमांड पर लिया जा सकता है और कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया में हालांकि अभी समय लगेगा लेकिन निश्चित मानिए कि इससे बचना अरविंद केजरीवाल के लिए अब संभव दिखाई नहीं दे रहा है।
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जो तथ्य कागज पर हैं, जो कैबिनेट नोट में है, जो सरकारी फैसला है, उसके कारण जो सरकार का नुकसान हुआ है और उसका फायदा किसको पहुंचा, किसकी जेब में वह पैसा गया इन सबकी जांच होगी। अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के पाप का घड़ा अभी फूटा नहीं है, पाप का घड़ा अभी रिसना शुरू हुआ है और उसी से केजरीवाल के चेहरे की हवाइयां उड़ रही है। उनकी बदहवासी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही है, उनको जेल की सलाखें दे रही है। कब तक ऐसा होगा मुझे पता नहीं है लेकिन होगा, इसकी संभावना हर दिन हर पल बढ़ती जा रही है।