खीरी लोकसभा सीट बनी वीआईपी, भाजपा-सपा के बीच होगा दिलचस्प मुकाबला
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद अब राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने इस बार चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, क्योंकि लंबे वक्त से बीजेपी के सामने हार का सामना कर रहे उत्तर भारत के कई राजनीतिक दलों के लिए यह करो या मरो का चुनाव भी माना जा रहा है। इस चुनाव के दौरान जनता की नजर कई हाई प्रोफाइल सीटों पर भी होगा। अमेठी रायबरेली से लेकर आजमगढ़ या कन्नौज तो हैं ही, लेकिन इस बार एक सीट खीरी लोकसभा की भी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के तीसरी बार चुनावी मैदान में आने से खीरी लोकसभा सीट वीआईपी बन गई है। इस सीट पर भाजपा ने टेनी पर भरोसा किया है तो समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन की ओर से पूर्व विधायक उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया गया है। बसपा के पत्ते अभी खुलने बाकी हैं। यहां भाजपा और सपा की सीधी टक्कर होने की उम्मीद है। भाजपा के सामने प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है तो सपा वापसी के लिए दम लगा रही है।खीरी सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन से पहले ही सपा ने दो बार के विधायक उत्कर्ष वर्मा को मैदान में उतार दिया था। इसके बाद सबकी निगाहें भाजपा के टिकट पर थीं। तमाम अटकलों के बीच भाजपा ने एक बार फिर यहां के वर्तमान सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को प्रत्याशी घोषित कर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। टेनी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद तमाम किसान संगठनों की प्रतिक्रिया भी आ रही है। सपा को जहां जातीय समीकरणों के साथ-साथ किसान संगठनों से मदद की पूरी उम्मीद है, वहीं भाजपा को केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, विकास कार्य, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे और अपनी रणनीति पर पूरा भरोसा है।
चर्चित वर्मा परिवार इस बार चुनावी मैदान से बाहर
खीरी संसदीय सीट पर 2009 से पहले तक ज्यादातर एक ही परिवार का दबदबा रहा। आजादी के बाद से यहां वरिष्ठ नेता बाल गोविंद वर्मा लंबे समय तक कांग्रेस के सांसद रहे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ऊषा वर्मा सांसद रहीं। उनके बाद उनके बेटे रवि वर्मा ने सपा का दामन थामा और वह भी तीन बार के लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में रवि वर्मा ने अपनी बेटी डॉ. पूर्वी वर्मा को सपा-बसपा गठबंधन का प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गईं।
बताया जाता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बेटी डा. पूर्वी के लिए कांग्रेस से टिकट की उम्मीद थी। इस बीच सपा-कांग्रेस के गठबंधन के कारण यह सीट सपा के खाते में चली गई। सपा ने उत्कर्ष वर्मा को पहले ही प्रत्याशी बना दिया। कई दशकों बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि जिले का चर्चित वर्मा परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं होगा। खीरी सीट पर भाजपा लगातार दो चुनावों से जीत रही है। टेनी ने 2019 के चुनाव में सपा प्रत्याशी डॉ. पूर्वी वर्मा तो 2014 में बसपा उम्मीदवार अरविंद गिरी को हराया था।
खारी लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
खीरी लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण का उल्लेख करें तो इस सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 3.25 लाख मुस्लिम आबादी है. यहां 4.25 लाख दलित हैं, जबकि 4.75 लाख ओबीसी हैं। तराई इलाके में होने की वजह से खीरी प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र माना जाता है। यहां शारदा, गोमती, घाघरा जैसी कई नदियां खीरी से गुज़रती हैं।(एएमएपी)