सर्जना शर्मा
बंगाल के चुनाव में टीएमसी और भाजपा में तू डाल डाल मैं पात पात चल रहा है । हालांकि भाजपा की चक्र व्यूह रचना बहुत जबरदस्त है। हर तरह से व्यूह रचा गया है- बौद्धिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक। भाजपा अपना परसेप्शन बनाने में बहुत ज्यादा सफल हुई है।
भाजपा की जोरदार उपस्थिति
भाजपा ने बंगाल में अपनी मज़बूत और जोरदार उपस्थिति दर्ज की है इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। लेकिन जिसके इर्दगिर्द चक्र व्यूह रचा गया है वो अभिमन्यु नहीं है। राजनीति के सारे दांव पेंच उनको भी आते हैं। नंबर एक की ड्रामा क्वीन भी हैं। उनके सारे भेद भाजपा के पास हैं। बहुत सारे घर के भेदी और भेदनियां तृणमूल के दो फूल को छोड़कर भाजपा का कमल हाथ में थाम चुके हैं। तृणमूल की उम्मीदवार सूची चूंकि बहुत पहले आ गयी थी इसलिए भाजपा ने एक एक सीट पर चुन कर उम्मीदवार उतारा, जो सामने वाले को टक्कर दे सकें। चुनाव प्रचार में प्रदेश और भाषा का कार्ड भी अच्छे से खेला जा रहा है। मारवाड़ी इलाकों में गजेंद्र सिंह शेखावत तो पूर्वांचली इलाकों में मनोज तिवारी मतदाताओं को लुभा रहे हैं। स्मृति इरानी बांग्ला बोल लेती हैं तो उनको बांग्ला और हिंदी मतदाताओं के बीच भेजा जा रहा है।
दीदी बोलीं, बहिर्गत फैला रहे कोरोना
दीदी सबको बहिर्गत बता रही है। सबको बंग भंग करने वाला बता रही हैं। बंगाल की संस्कृति की दुहाई पर दुहाई दे रही हैं। अब बंगाल में भी कोरोना तेज़ी से फैल रहा है। दो उम्मीदवारों की कोराना से मौत हो गयी है। पांच उम्मीदवार कोरोना पोज़ेटिव हैं। इनमें से तीन तृणमूल कांग्रेस के हैं। कोरोना केस भी दिन में सात हज़ार के आसपास आ रहे हैं। मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। दीदी कह रही है बहिर्गत यानी बाहर से आने वाले बंगाल में कोरोना लेकर आ रहे हैं। उनका सीधा निशाना भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हैं। दीदी बार बार मांग कर रही हैं चुनाव जल्दी खत्म करो। ये कार्ड भी शायद दीदी को कुछ लाभ पहुंचा देगा।
‘दीदी नहीं रहेंगी तो बंद हो जाएगा राशन’
आप को बता दूं कि यहां राशन के डिपो से भी चुनावी बूथ मैनेज किया जाता है। और सौ रुपये की “बंगाल” तो आजमाया हुआ नुस्खा है। राशन का डिपो दीदी की कृपा से ही मिलता है। और जब राशन बांटने की तारीख आती है तो डिपो वाला राशन एक्सट्रा दे रहा है और साथ ही बताता है दीदी नहीं रहेंगी तो ये राशन भी बंद हो जाएगा। मिट्टी के तेल के डिपो पर भी यही हालात हैं। ये सभी बातें आपको घूमते फिरते ही पता चलेंगी।
देखागा जब वोट का दिन आएगा
बंगाल के भद्रलोक और साहब लोग तो आपसे चुनाव पर बात ही नहीं करेंगें, कहेंगे- देखागा जब वोट का दिन आएगा तब सोचेगा। लेकिन रोज़ कमाने रोज़ खाने वाला आदमी अपने दिल की बात भी बताएगा और मन किया तो कुछ राज़ भी बता देगा। सौ रूपए की बंगाल तो भाई साहब गजब का काम करती है। लेकिन मिलती तभी है जब वोट डाल कर लौटते हो। वोट किसको डाला है ये पता लगाने का नायाब नुस्खा तृणमूल वाले जानते हैं।
लॉक डाउन की दहशत
लॉक डॉऊन की दहशत कोलकाता में भी बहुत है । मेरे ऑफिस के आसपास कई लोग खोमचा लगाते हैं। इनमें से एक है राहुल जो बिहार से है। बहुत प्यारा भोला सा। वो पुचका यानि गोलगप्पे का खोमचा लगाता है। एक दो बार मैनें अपनी ऑफिस की लड़कियों के साथ उसके पुचके खाए।
आप हमारे पुचके ज़रूर खा लेना
उसको पता है मैं दिल्ली से आयी हूं तो वो मेरे लिए बहुत स्पेशल पुचके बना कर देता है। कोलकाता के गोल गप्पे दिल्ली से थोड़े अलग हैं । शनिवार सुबह जब मैं ऑफिस गयी तो उसने आवाज़ लगायी दीदी आज आप हमारे पुचके ज़रूर खा लेना। मैने कहा 20 या 21 अप्रैल को खाऊंगी राहुल। नहीं दीदी, आज ही खा लो फिर पता नहीं क्या होगा। मैं तो अपने घर जा रहा हूं। घर तो तुम अभी होली से पहले गए थे. जब तुमने बहुत अच्छे स्पेशल पुचके मुझे खिलाए थे। दीदी अब लॉक डॉउन लगने वाला है हम अपने गांव चले जायेंगें। उसके चेहरे पर बहुत परेशानी थी।
मुस्कान और प्यार भरी मनुहार
वो बिहार का रहने वाला है उसकी मुस्कान और प्यार भरी मनुहार के सामने आपको झुकना ही पड़ता है। बस दीदी ये वाला खा कर देखो बहुत अच्छा स्पेशल बनाया है आपके लिए। फिर वो इंतज़ार करता है प्रतिक्रिया का और फिर एक और बनाता है इस बार आलू प्याज वाला है ये भी खा कर देखो। और बहुत शान से मुझे बताता भी है- बाबू ( हमारे अखबार ‘सन्मार्ग’ के मालिक ) पूरे कोलकाता में हमारा ही पुचका खाते हैं।
ठिया बंद करके चला गया वो
सोमवार को जब मैं ऑफिस गयी तो देखा वो अपना ठिया बंद करके उस पर तिरपाल लपेट कर चला गया। पता नहीं राहुल जैसे कितने लोग होंगें रोज़ कमाने रोज़ खाने वाले- जो कोलकाता से बिहार चले गए होंगें। कोरोना तू जल्दी से जा। हालात सामान्य होगें।
(सोशल मीडिया से साभार )