अजय विद्युत/ आपका अख़बार ब्यूरो।
डॉ. कुमार विश्वास देश के जाने-माने कवि, स्प्रिचुअल थिंकर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। भारत, और जहाँ हिंदी बोली जाती है उन देशों में भी, उनकी भीषण फॉलोइंग है। उन पर लक्ष्मी की भी कृपा है। ऐसा कहा जाता है कि वह सबसे ज्यादा पारिश्रमिक लेने वाले कवि हैं।
तमाम बड़े कलाकार, कवि, लेखक, अभिनेता, गायक, संगीतकार अपने कारोबारी हिसाब किताब के लिए मैनेजर और अन्य स्टाफ रखते हैं। ज्यादातर कार्यक्रमों के ऑर्गनाइजर से वही बात करते हैं। ऐसा हुआ कि किसी ऑर्गनाइजर का फोन आया और सीधे डॉ. कुमार विश्वास ने ही उनसे बात कर ली। उसी सन्दर्भ में एक मजेदार वाकया उन्होंने एक कार्यक्रम में सुनाया।
“हमारा मैनेजर कहता है सर, आप ना… आप बात मत किया करो ऑर्गेनाइजर से… आपने पैसे डुबो दिए। मैं उससे कहता हूं देख यार, तुम धंधा देख लो। चलो दस, बीस, पचास करोड़ जो कमाते हो… कमा लो। तू मेरा सौभाग्य देख…!
1. पहले तो ऊपर वाले ने मुझे इस मुल्क में पैदा किया जो दुनिया की सबसे खूबसूरत सभ्यताओं में से एक है। फिर ऊपर वाले ने मुझे पूरा पैदा किया कि मैं किसी समस्या में ना रहूं।
2. फिर ऊपर वाले ने मुझे मोहब्बत करने दी, है ना। वरना अभी तक तो पता नहीं मोहब्बत करने से पहले आदमी फ्रिज खरीद के ले आए… कितना बुरा दौर है मोहब्बत करने वालो के लिए।
3. फिर ऊपर वाले ने उस मोहब्बत को महसूस करना सिखाया।
तीन बात हो गई। तीन सौभाग्य हो गए।
4. चौथा सौभाग्य- उस मोहब्बत को लिखना सिखाया।
5. पांचवा सौभाग्य- उस मोहब्बत को गाना सिखाया।
6. छठा सौभाग्य- उस मोहब्बत को सुनने वाले दिए।
7. सातवां सौभाग्य- उस मोहब्बत से शोहरत, इज्जत और पैसा दिया।
जब सात बार पेमेंट हो गया… तो तू ये आठवीं बार के लिए क्यों लड़ रहा है। ऑर्गेनाइजर जो दे रहा है… ले ले। तो जितने सुनने वाले हैं… गजल कहो, शेर कहो, कविता कहो, जिस दिन कहो और अंदर झूम लो… बाकी सब बाय प्रोडक्ट है। बाकी सब बाय प्रोडक्ट है। शायरी कर ली, शेर कह दिया, ये काफी है।”