अभय कुमार।

पंजाब में कांग्रेस पार्टी के को अपने अस्‍तित्‍व को बनाए रखने के लिए कड़ी टक्‍कर मिल रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 52 लोकसभा सीटें जीतीं। इन सीटों में से कांग्रेस पार्टी ने तीन राज्यों पंजाब, तमिलनाडु और केरल से 60 प्रतिशत सीटें जीतीं। कांग्रेस पार्टी ने इन तीन राज्यों में 38 सीटों पर चुनाव लड़कर 31 सीटें जीतीं। जबकि देश के बाकी हिस्सों में कांग्रेस पार्टी ने 383 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 21 सीटें जीतीं। डीएमके के साथ गठबंधन के कारण ही कांग्रेस पार्टी ने तमिलनाडु से 8 सीटें जीतीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ा और बिना किसी सीट के 4.3 प्रतिशत वोट हासिल किए। केरल में कांग्रेस पार्टी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई पार्टियों के साथ यूडीएफ गठबंधन के भीतर 15 सीटें जीतीं।
दूसरे दलों में शामिल हो रहे कांग्रेस नेता

देश में पंजाब कांग्रेस पार्टी के लिए उन राज्यों में से एक था, जिसमें पार्टी अपने दम पर खड़ी थी। 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव जीता। कांग्रेस पार्टी के पास पंजाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह, सुनील जाखड़ और कई अन्य नेताओं की आकाशगंगा थी। लेकिन गांधी परिवार की परिवार केंद्रित राजनीति के कारण पूरे देश और खासकर पंजाब में कांग्रेस पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और कई दूसरी पार्टी में जाने की सोच रहे हैं।  पंजाब में कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भाजपा, अकाली दल जैसी अन्य पार्टियों में जाते दिखाई दे रहे हैं।

दिल्ली कांग्रेस की तरह होगा पंजाब कांग्रेस का हश्र

कहना होगा कि पंजाब कांग्रेस का भी वही हश्र होने जा रहा है जो दिल्ली कांग्रेस का हुआ था। कांग्रेस पार्टी के लिए इन दोनों राज्यों में कई समानताएं दिखती हैं । दोनों राज्यों में क्रमशः दिल्ली और पंजाब में दिवंगत शीला दीक्षित और कैप्टन अमरिन्दर सिंह के रूप में मजबूत नेता रहे। कांग्रेस पार्टी के साथ हुई बड़ी अनहोनी के कारण ही आम आदमी पार्टी की जड़ें इन दोनों राज्यों में मजबूत हो गईं। सबसे पहले आप ने दिल्ली में खुद को कांग्रेस पार्टी से रिप्लेस किया और अब पंजाब में भी आप कांग्रेस के साथ ऐसा ही सलूक करती दिख रही है।  पिछले दो विधानसभा और लोकसभा चुनावों से कांग्रेस पार्टी दिल्ली में अपना खाता तक नहीं खोल सकी है।

“आप” ने कांग्रेस को पूरी तरह से किया साइड लाइन

पंजाब में आम आदमी पार्टी के आगमन ने कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह से किनारे कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रयासों की सराहना की थी क्योंकि उसने लोकप्रिय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का आत्मघाती कदम उठाया था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह गांधी परिवार के पिट्ठू नहीं थे और उन्होंने मुख्य रूप से राज्य के कल्याण के लिए कदम उठाए। इसके अलावा पंजाब में गांधी परिवार में लोकप्रियता के बजाय अपनी पसंद के नेता की ताजपोशी की कलह भी पार्टी के लिए महंगी पड़ी।

उपचुनावों ने खोली कांग्रेस की पोल

पंजाब में हाल ही में हुए दो लोकसभा उपचुनावों ने राज्य में पार्टी के खोते जनाधार को पूरी तरह उजागर कर दिया है। 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद से जालंधर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस पार्टी ने किया। कांग्रेस पार्टी ने 1999, 20004 और 2009 में अलग-अलग उम्मीदवारों के साथ यह सीट जीती। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के संतोख सिंह चौधरी ने सीट जीती। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान संतोख सिंह चौधरी की मौत हो गई।  इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सहानुभूति का फायदा उठाने के लिए उनकी विधवा करमजीत कौर चौधरी को मैदान में उतारा। लेकिन कांग्रेस पार्टी 1999 के बाद पहली बार 2023 के उपचुनाव में बड़े अंतर से सीट हार गई। इस उपचुनाव के फैसले ने पंजाब में कांग्रेस पार्टी के घटते जनाधार और राहुल गांधी की बहुप्रचारित भारत जोड़ो यात्रा की हकीकत को उजागर कर दिया।

पंजाब में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन

भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफा देने के कारण संगरूर में उपचुनाव हुआ। संगरूर 2022 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की जमानत जब्त हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को केवल 11.21 प्रतिशत वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 27.43 प्रतिशत वोट मिले। इस बीच कांग्रेस पार्टी को 16.22 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ।  पंजाब में इन दो उपचुनावों ने कांग्रेस पार्टी के जनाधार को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या 2017 में 77 से घटकर 2022 में 18 हो गई। यह 1997 के बाद से पंजाब में कांग्रेस पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन था।

कांग्रेस का घटा वोट शेयर

पंजाब विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या 1977 के समान थी जब कांग्रेस पार्टी 17 सीटें जीतीं। 2017 की तुलना में 2022 में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या में 59 सीटों की कमी आई है। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी की गलतियों को भुनाया है, जिसने बिना किसी कारण के कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह ले ली। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के संबंध में 2022 में कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में 15 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। 2019 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस पार्टी ने 69 विधानसभा क्षेत्रों पर बढ़त बनाई, जबकि 2022 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की संख्या घटकर केवल 18 रह गई।

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पंजाब में पूरी तरह से अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस पार्टी

कैप्टन अमरिन्दर सिंह को बदलने, उपचुनाव के नतीजों और 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजों जैसी कांग्रेस पार्टी की गलतियों ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है कि कांग्रेस पार्टी पंजाब में पूरी तरह से अपनी जमीन खो चुकी है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीतेगी, इस तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं । चूंकि लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के मूल में राष्ट्रीय मुद्दे हैं इसलिए वे भाजपा को आप के लिए मुख्य चुनौती मानकर चल रहे हैं । 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अकाली दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ते हुए दो सीटें जीतीं। इस बीच कैप्टन अमरिन्दर सिंह, सुनील जाखड़ समेत कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पंजाब में जनाधार बढ़ा है। संभावना है कि कुछ सांसदों और विधायकों सहित कांग्रेस पार्टी के कई और नेता भी भाजपा में शामिल होंगे।

पंजाब में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी “आप”

नए राजनीतिक समीकरणों में आज राज्य में कांग्रेस पार्टी के घटते जनाधार और दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया है । आप दिल्ली के कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार है, लेकिन पंजाब में नहीं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सुनील जाखड़ के जाने के बाद कांग्रेस पार्टी की पंजाब इकाई निराशा में है। (एएमएपी)