कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर पीएम मोदी को घेरा, भाजपा ने उसे ही बना लिया अपना हथियार
डॉ. मयंक चतुर्वेदी।
भाजपा इन पांच नारों के सहारे लड़ रही 2024 का चुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी आप देखिए; एक ओर लोस चुनाव तारीखों की घोषणा होती है तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी चुनावी मैदान में उतरने के लिए अपना चुनावी कैंपेन लॉन्च करने में लगी दिखती है। इस बार भी भाजपा ने कुछ नारे दिए हैं, जिसमें खास है ‘मैं मोदी का परिवार हूं’, ‘अबकी बार 400 पार’, ‘तीसरी बार मोदी सरकार’, मेरा भारत मेरा परिवार, ‘मुखर्जी का सपना पूरा करने 370 लाना है’, मैं हूं मोदी का परिवार। इन नारों ने देश की जनता को इस वक्त जैसे ऊर्जा से भर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा का कोई भी बड़ा लीडर जहां भी आमसभा करने जा रहा है, वहीं इन नारों की गूंज सुनाई देती है।
तब, पीएम मोदी से राहुल के ‘चौकीदार चोर है’ नारे की हवा निकाली थी
सभी को याद है 2019 के लोस चुनाव का वो वक्त, जब कांग्रेस समेत समुचे विपक्ष ने भाजपा को घेरने के लिए उस पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, फिर तमाम नारों के बीच एक खास नारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुंह से निकला था ‘चौकीदार चोर है’ । फिर क्या था ! तुरंत ही भाजपा ने इसे लपक लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के इसी नारे को अपनी ताकत बना लेते हैं। दुनिया ने देखा, इसके जवाब में ‘मैं भी चौकीदार’ की बुलंद आवाज चारों ओर से सुनाई देने लगी थी। उस वक्त कांग्रेस ने राफेल विमानों की खरीद में भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार करने का मुख्य आरोप लगाया था।
कहना होगा कि पिछली बार की तरह ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडियाप्लेट फार्म के माध्यम से इस बार मेरा भारत, मेरा परिवार शीर्षक से थीम सॉन्ग जारी कर यह संकेत दे दिया है कि इस बार भी मुख्य नारा पूरे चुनाव भर कौन सा रहने जा रहा है। यह सब कुछ वैसा ही है जैसा आज से पांच साल पूर्व ‘मैं भी चौकीदार’ का अभियान चलाया गया था। बीजेपी ‘मैं हूं मोदी का परिवार’, अबकी बार 400 पार और ‘तीसरी बार मोदी सरकार’ के नारे के साथ लोकसभा चुनाव के रण में उतरी है।
भारतीय ज्ञान परंपरा शब्द को ब्रह्म मानती है
हर चुनाव में, राजनीतिक पार्टियां शब्दों के नए संयोजन के साथ सामने आती हैं । इस बार भी हमेशा की तरह वह नए-नए शब्द लेकर, उन्हें अपने सांचे में ढाल कर ये राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में उतरी हैं । वैसे भी भारतीय ज्ञान परंपरा में कहा भी गया है कि शब्द ही ब्रह्म है। यह ब्रह्म सदैव जागृत है। यह कभी नाश को प्राप्त नहीं होता है। ब्रह्म बाण के बारे में भी कई जगह लिखा मिलता है, जिसके चल जाने के बाद इसकी मारक क्षमता अपना असर जरूर दिखाती है । समय के साथ यदि इसकी मार से व्यक्ति, समूह, संगठन फिर ठीक ही क्यों न हो जाए यह चित्त पर हमेशा अंकित जरूर रहती है ।
देश में रामराज्य चाहता है संघ, लेकिन हिन्दू धर्म की शक्ति को चुनौती दे रही कांग्रेस
हो सकता है, इसीलिए भी भारत के लोग नारों में संजोए शब्दों को बहुत गंभीरता से लेते आए हैं । भारत जैसे देश में जहां अब भी भले ही वोटरों का एक बहुत बड़ा वर्ग साक्षर नहीं हो, किंतु वह भी नारे के महत्व को समझता है। अक्सर, यह इनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति होते हैं । ये नारे ही हैं जो चुनाव अभियानों में दम के साथ कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करते हैं और एक राजनीतिक दल को सत्ता की शीर्ष तक पहुंचा देते हैं। आज नारों का इतिहास भी यही बता रहा है।(एएमएपी)