लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद पूरे देश में सियासी जंग शुरू हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में लड़ाई दिलचस्प है। खासकर नदिया जिले की उस कृष्णानगर सीट पर जहां से तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा को घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों में संसद से बर्खास्त कर दिया गया है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया है और उन्हें उम्मीदवार घोषित किया है। भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ अमृता राय को टिकट दिया है जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं और क्षेत्र में जाना पहचाना नाम हैं। वाम दलों की ओर से एमएस सादी को उम्मीदवार बनाया गया है जो पार्टी में लड़ाकू नेता के तौर पर जाने जाते हैं। हालांकि कांग्रेस या अन्य दलों की ओर से फिलहाल यहां उम्मीदवार नहीं उतारा गया है। वैसे यहां लड़ाई सीधे तौर पर तृणमूल और भाजपा के बीच होनी है।एक तरफ जहां महुआ मोइत्रा पर भ्रष्टाचार और घूस लेकर सवाल पूछने का आरोप है, वहीं अमृता राय की छवि साफ-सुथरी नेता वाली है। माकपा उम्मीदवार भी साफ-सुथरी छवि के नेता हैं। यहां चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होनी है और चुनाव परिणाम पूरे देश के साथ चार जून को आएंगे।

क्या है कृष्णानगर लोकसभा की चुनावी स्थिति

कृष्णानगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के 42 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। विधानसभा सीटों की बात करें तो कृष्णानगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें तेहटृ, पलासीपाड़ा, कालीगंज, नकासीपाड़ा, चापड़ा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवद्वीप शामिल हैं।

क्या है राजनीतिक इतिहास?

कृष्णानगर एक समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था। यह सीट चौथे लोकसभा चुनाव यानी 1967 में अस्तित्व आई। तब से लेकर 2014 तक इस सीट पर 13 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और माकपा ने यहां से नौ बार जीत हासिल की। हालांकि 2009 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के तापस पॉल ने जीत हासिल की थी।

कृष्णानगर संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इनमें रे गुनाकोर भरतचंद्र, रामप्रसाद सेन, द्विजेंद्रलाल रे और नारायण सान्याल जैसे कई अन्य साहित्यकार शामिल हैं। क्षेत्र में मंच अभिनय और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलनों की भी एक मजबूत परंपरा रही है।

2019 का क्या है जनादेश?

2019 के लोकसभा चुनाव में कृष्णानगर सीट से 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा को चुनावी रण में उतारा था। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से झा शांतनु चुनाव लड़ रहे थे, जबकि कांग्रेस की ओर से इंताज अली शाह को अपना उम्मीदवार घोषित किया गया था। भाजपा की ओर से कल्याण चौबे उम्मीदवार थे। इनके अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे थे।

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इस सीट से तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने जीत हासिल की थी, उन्हें छह लाख 14 हजार 872 वोट मिले थें। भाजपा के कल्याण चौबे को पांच लाख 51 हजार 654 वोट मिले और माकपा के डॉ शांतनु झा को एक लाख 20 हजार 222 मिले थे। कांग्रेस पार्टी इनसे पीछे रही और इंताज अली शाह को 38 हजार 305 वोट से संतुष्ट होना पड़ा था। इस बार उम्मीद है कि वाम मोर्चा के उम्मीदवार के खिलाफ कांग्रेस कैंडिडेट की घोषणा नहीं होगी, इसलिए इस मत में बढ़ोतरी हो सकती है।(एएमएपी)