22 सितंबर : वर्ल्ड कार-फ्री डे।

वर्ल्ड नो कार डे के सपोर्ट में इन्दौर में भी पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से नो कार डे मनाया जा रहा है। इन्दौर नगर निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अपील के बाद तकरीबन सभी विभागों और अधिकारियों ने इसका समर्थन किया और शुक्रवार को उसी के चलते इन्दौर कलेक्टर आईबस से अपने आफिस पहुंचे। इन्दौर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने नो कार डे पर घर से आई बस स्टाप तक पैदल पहुंच कय आईबस का टिकट खरीदा और फिर उसके बाद आई बस से इंदौर कलेक्टर ऑफिस पहुंचे।उल्‍लेखनीय है कि दुनियाभर में वाहनों से होने वाला प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। इसके चलते ग्लोबल वार्मिंग का खतरा पैदा हो गया है, इसलिए मोटर चालकों को एक दिन के लिए अपनी कार नहीं चलाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया भर में हर साल 22 सितंबर को वर्ल्ड कार-फ्री डे मनाया जाता है। लोगों में पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता और लोगों को वाहनों से होने वाले प्रदूषण के बारे में समझाना और उन्हें जागरूक करना इसे मनाने की पीछे का उद्देश्य है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, सिर्फ एक दिन कार नहीं चलाने से लाखों टन ईंधन की बचत होती है। साथ ही बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। इससे पार्यवरण को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। इस कार फ्री डे मनाने के पीछे का उद्देश्य ‘मोटर को आराम औऱ शरीर का व्यायाम’ है. यानी अगर पूरी दुनिया में सिर्फ एक दिन हम इस एक्सरसाइज को फॉलो करें तो वैज्ञानिकों के अनुसार सिर्फ एक दिन कार न चला कर आप एक तरफ तो लाखों टन इंधन बचा सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ अपने प्लैनेट को हील कर सकते हैं. हालांकि, रिसर्चस का ये भी मानना है कि ऐसे एक दिन नहीं बल्कि कई दिन होने चाहिए. जिसमें लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और मोटर गाड़ी को आराम देना चाहिए, ताकि एक दिन के लिए ही सही लेकिन आपकी गाड़ी बंद रह सके और दुनिया स्मोक फ्री तरीके से सांस ले सके.

ग्लोबल वार्मिंग बड़ा खतरा

मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है यह जगजाहिर है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज दुनिया में कई जगहों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं और असमय होने वाली बेतहाशा बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन गई है। पर्यावरण के प्रदूषण बढ़ने से लोगों को इसका परिणाम भी भुगतना पड़ रहा है। जंगलों में आग लग रही है, गर्मी में हीटवेव से लोगों की जानें जा रही है. इन सब का एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग है. पर्यावरण में प्रदुषण की बड़ी वजहों में वाहनों से होने वाली प्रदुषण भी है. इस सन्दर्भ में एक दिन कार-फ्री डे रखने की महत्ता समझी जा सकती है.

ऐसे थम सकता है प्रदूषण

दुनियाभर की सरकारें अपने नागरिकों को ऐसे उपाय अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। इसमें लोगों को वाहन शेयरिंग जैसे बाइक या टैक्सी पूलिंग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस उपायों को अपनाने से न सिर्फ लोगों की यात्रा करने के तरीके में बदलाव आया है, बल्कि यातायात की भीड़ में भी सुधार हुआ है। मोटर वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन और वायु प्रदूषण भी कम हुआ है। हालांकि अब सरकारें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दे रही हैं। साथ ही इसे अपनाने के लिए लोगों को कई इंसेंटिव और सब्सिडी भी दी जा रही है। क्योंकि बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों से वायु प्रदूषण नहीं फैलता है।

इन दिन को मनाने की इस तरह हुई थी शुरूआत

990 के दशक से आइसलैंड, यूके आदि देशों में कहीं-कहीं कार फ्री डे का आयोजन शुरू किया गया था। हालांकि, 2000 में कार्बस्टर्स द्वारा शुरू किए गए वर्ल्ड कार-फ्री डे के साथ अब यह अभियान वैश्विक हो गया है। आपके मन में यह सवाल हो सकता है कि 22 सितंबर को ही कार फ्री डे के लिए क्यों चुना गया तो इसकी वजह है कि यूरोपीय संध द्वारा यूरोपीय मोबिलिटी सप्ताह 16 से 22 सितंबर को मनाया जाता है। इसलिए कार फ्री डे मानने की तारीख 22 सितंबर रखा गया।

इस पहल का मकसद शहर के योजनाकारों और राजनेताओं को इस बात के लिए प्रेरित करना है कि वे मोटर वाहनों के बजाय साइकिल चलाना, पैदल चलना और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें। मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है यह जगजाहिर है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज दुनिया में कई जगहों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं और असमय होने वाली बेतहाशा बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन गई है। पर्यावरण के प्रदूषण बढ़ने से लोगों को इसका परिणाम भी भुगतना पड़ रहा है।

विश्‍व भर में ये उपाय किए जा रहे

दुनियाभर की सरकारें अपने नागरिकों को ऐसे उपाय अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसमें लोगों को वाहन शेयरिंग जैसे बाइक या टैक्सी पूलिंग करने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है. साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जाता है. इस उपायों को अपनाने से वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन और वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मार्केट में आना इसी दिशा में उठा एक कदम माना जा सकता है क्योंकि बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों से वायु प्रदूषण नहीं फैलता है. सरकारें इसे लोकप्रिय बनाने के लिए लोगों को कई इंसेंटिव और सब्सिडी भी दे रही है.(एएमएपी)