भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों की जांच कर रही संसदीय आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को भेजे लिखित जवाब में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि वह 4 नवंबर तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने में व्यस्त हैं, इसलिए उनका आग्रह है कि समिति उनके पेश होने की तारीख में बदलाव कर इसे 5 नवंबर के बाद का रखे। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह सवाल भी किया है कि समिति ने उन्हें उपस्थित होने का मौका दिए जाने से पहले शिकायतकर्ताओं को क्यों सुना। इससे पहले कमेटी ने मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा था- क्योंकि वह उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले दो लोगों- सांसद दुबे और वकील जय देहाद्राई को पहले ही बुलाकर उनकी बात सुन चुकी थी।
मोइत्रा अपने पत्र में कहा है, ‘समिति, प्राकृतिक न्याय के तरीके के विरुद्ध जाते हुए, मुझे यानी कथित आरोपी को सुनवाई का मौका देने से पहले 26/10/2023 को शिकायतकर्ताओं श्री दुबे और श्री देहाद्राई को बुलाकर उनका पक्ष सुन चुकी है … मैं आपके द्वारा दी जाने वाली अगली तारीख पर मेरे खिलाफ लगाए गए निंदनीय आरोपों के खिलाफ खुद मौजूद रहकर अपना बचाव पेश करना चाहती हूं.’
Complainant apparently asked 14 times for proof and documents to back up his allegations. He provided NOTHING.
Ethics Committee on Mahua Moitra’s Adani Questions Sees ‘Vertical Spilt’ between BJP, Opposition https://t.co/jdhGmh3nuJ
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 27, 2023
अतिरिक्त समय दिए जाने का आग्रह करते हुए महुआ ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण दिया है, जिन्होंने संसद में बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली के खिलाफ सांप्रदायिक अपशब्दों का इस्तेमाल किया था. बिधूड़ी को इस मामले के संबंध में हुई शिकायतों को लेकर संसद की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना था, हालांकि उन्होंने अनुपस्थित रहने की अनुमति चाहते हुए समिति को बताया था कि वह निर्धारित तिथि पर पेश नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनकी पहले से राजस्थान में प्रतिबद्धताएं थीं, जहां उन्हें टोंक जिले में भाजपा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
इसके अलावा मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी का भी जिक्र किया है, जिन्होंने इस मामले पर विवादित हलफनामा दायर किया है।
हीरानंदानी ने टाइम्स नाउ से कहा है कि वह कमेटी के सामने पेश होने के इच्छुक हैं. मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि हीरानंदानी, जिन पर दुबे और देहाद्राई ने अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए टीएमसी सांसद को रिश्वत देने का आरोप लगाया है, ने दबाव में यह हलफनामा दायर किया है। मोइत्रा का कहना है कि परिस्थितियों को देखते हुए उचित यह होगा है कि उन्हें हीरानंदानी से जिरह करने का मौका दिया जाए और कथित तौर पर उनके द्वारा दी गई रिश्वत की भी पूरी सूची भी दी जाए।
महुआ ने लिखा है, ‘सार्वजनिक डोमेन में उनके हलफनामे का विस्तृत विवरण नहीं है और उन्होंने कथित तौर पर मुझे जो कुछ दिया है उसकी कोई असल सूची भी नहीं दी गई है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि मुझे श्री हीरानंदानी से जिरह करने के अपने अधिकार के इस्तेमाल की इजाज़त दी जाए. यह भी जरूरी है कि वे समिति के सामने पेश हों और उन सब कथित तोहफों और एहसानों की विस्तृत सत्यापित सूची दें, जो उन्होंने कथित तौर पर मुझे दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि संसद की एथिक्स कमेटी में शामिल विपक्ष और सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों के बीच इस बात पर मतभेद हुआ था कि मोइत्रा को उनके सामने पेश होने के लिए कब बुलाया जाए. आख़िरकार, संख्या बल के आधार पर भाजपा की बात मानी गई. कई सांसदों का कहना था कि मोइत्रा को शिकायतकर्ताओं से पहले बुलाया जाना चाहिए था. उन्होंने शिकायतकर्ताओं को पहले समय दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए सामान्य प्रक्रिया का हवाला दिया था।
‘पुख्ता सबूत मिलने पर शिकायत की’
सूत्र ने बताया उन्होंने (दुबे) शिकायत (मोइत्रा के खिलाफ) पेश करने से पहले कई स्तरों पर जांच की थी. सूत्र बताते हैं कि निशिकांत दुबे ने पैनल को बताया कि जब हमारे पास सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई की शिकायत आई तो उन्होंने भी आरोपों को पहले पूरी तरह से जांच की थी. पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही स्पीकर के सामने मामले को रखा था।
#WATCH | Advocate Jai Anant Dehadrai appears before the Ethics Committee of Parliament in ‘cash for query’ charge against TMC MP Mahua Moitra
“I have told the truth before the Committee. All members of the committee enquired from me cordially. I answered to all that was asked… pic.twitter.com/uwDct2QnAm
— ANI (@ANI) October 26, 2023
‘गृह और आईटी मंत्रालय की मदद ले सकती है जांच कमेटी’
‘पहले सुनवाई को लेकर वोटिंग के जरिए फैसला’
’31 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी के सामने पेश होंगी महुआ?’
‘दुबे बोले- यह संसद की गरिमा से जुड़ा मामला’
‘विपक्ष ने महुआ पर नरमी बरतने की वकालत की’
‘दुबे ने 2005 की कार्रवाई का दिया हवाला’
‘फर्जी डिग्री के मुद्दे पर बिफर रह गए दुबे’
‘दिवाली से पहले होगी महुआ की पेशी?’
‘महुआ ने पेशी के लिए मांगा 4 दिन का समय’
‘दुबे ने बताई हलफनामे की एविडेंस वैल्यू’
‘विदेश मंत्रालय से भी जवाब मांग सकती जांच कमेटी’
Chairman, Ethics Comm announced my 31/10 summons on live TV way before official letter emailed to me at 19:20 hrs. All complaints & suo moto affidavits also released to media. I look forward to deposing immediately after my pre- scheduled constituency programmes end on Nov 4. pic.twitter.com/ARgWeSQiHJ
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 27, 2023
‘महुआ ने आरोपों को किया सिरे से खारिज’
निशिकांत दुबे ने स्पीकर को लिखे पत्र में क्या आरोप लगाए?
– दुबे ने कहा, सांसद जब भारत में थी तो उनकी लोकसभा का लॉगिन दुबई से हुआ था. उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘कुछ पैसे के लिए एक सांसद ने देश की सुरक्षा को गिरवी रखा. दुबई से संसद के आईडी खोले गए. उस वक्त सांसद कथित भारत में ही थे. इस NIC पर पूरी भारत सरकार है. देश के प्रधानमंत्री जी, वित्त विभाग, केन्द्रीय एजेंसी. क्या अब भी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षियों को राजनीति करना है. निर्णय जनता का, NIC ने यह जानकारी जॉंच एजेंसी को दी है।
– हालांकि महुआ मोइत्रा ने आरोपों का खंडन किया और निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई को कानूनी नोटिस भेजा. उन्होंने कहा कि लोकसभा के सदस्य के रूप में मैंने अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए किसी भी तरह का लाभ नहीं लिया है. इस तरह के आरोप पूरी तरह अपमानजनक, झूठे, आधारहीन हैं. इस बात के कोई सबूत नहीं हैं।भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों की जांच कर रही संसदीय आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को भेजे लिखित जवाब में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि वह 4 नवंबर तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने में व्यस्त हैं, इसलिए उनका आग्रह है कि समिति उनके पेश होने की तारीख में बदलाव कर इसे 5 नवंबर के बाद का रखे। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह सवाल भी किया है कि समिति ने उन्हें उपस्थित होने का मौका दिए जाने से पहले शिकायतकर्ताओं को क्यों सुना। इससे पहले कमेटी ने मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा था- क्योंकि वह उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले दो लोगों- सांसद दुबे और वकील जय देहाद्राई को पहले ही बुलाकर उनकी बात सुन चुकी थी।
मोइत्रा अपने पत्र में कहा है, ‘समिति, प्राकृतिक न्याय के तरीके के विरुद्ध जाते हुए, मुझे यानी कथित आरोपी को सुनवाई का मौका देने से पहले 26/10/2023 को शिकायतकर्ताओं श्री दुबे और श्री देहाद्राई को बुलाकर उनका पक्ष सुन चुकी है … मैं आपके द्वारा दी जाने वाली अगली तारीख पर मेरे खिलाफ लगाए गए निंदनीय आरोपों के खिलाफ खुद मौजूद रहकर अपना बचाव पेश करना चाहती हूं.’
बुरी तरह फंसी सांसद महुआ मोइत्रा , दुबई से किया जा रहा था लॉगइन पासवर्ड का इस्तेमाल
अतिरिक्त समय दिए जाने का आग्रह करते हुए महुआ ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण दिया है, जिन्होंने संसद में बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली के खिलाफ सांप्रदायिक अपशब्दों का इस्तेमाल किया था. बिधूड़ी को इस मामले के संबंध में हुई शिकायतों को लेकर संसद की विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना था, हालांकि उन्होंने अनुपस्थित रहने की अनुमति चाहते हुए समिति को बताया था कि वह निर्धारित तिथि पर पेश नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनकी पहले से राजस्थान में प्रतिबद्धताएं थीं, जहां उन्हें टोंक जिले में भाजपा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
इसके अलावा मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी का भी जिक्र किया है, जिन्होंने इस मामले पर विवादित हलफनामा दायर किया है।
हीरानंदानी ने टाइम्स नाउ से कहा है कि वह कमेटी के सामने पेश होने के इच्छुक हैं. मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि हीरानंदानी, जिन पर दुबे और देहाद्राई ने अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए टीएमसी सांसद को रिश्वत देने का आरोप लगाया है, ने दबाव में यह हलफनामा दायर किया है। मोइत्रा का कहना है कि परिस्थितियों को देखते हुए उचित यह होगा है कि उन्हें हीरानंदानी से जिरह करने का मौका दिया जाए और कथित तौर पर उनके द्वारा दी गई रिश्वत की भी पूरी सूची भी दी जाए।
महुआ ने लिखा है, ‘सार्वजनिक डोमेन में उनके हलफनामे का विस्तृत विवरण नहीं है और उन्होंने कथित तौर पर मुझे जो कुछ दिया है उसकी कोई असल सूची भी नहीं दी गई है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि मुझे श्री हीरानंदानी से जिरह करने के अपने अधिकार के इस्तेमाल की इजाज़त दी जाए. यह भी जरूरी है कि वे समिति के सामने पेश हों और उन सब कथित तोहफों और एहसानों की विस्तृत सत्यापित सूची दें, जो उन्होंने कथित तौर पर मुझे दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि संसद की एथिक्स कमेटी में शामिल विपक्ष और सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों के बीच इस बात पर मतभेद हुआ था कि मोइत्रा को उनके सामने पेश होने के लिए कब बुलाया जाए. आख़िरकार, संख्या बल के आधार पर भाजपा की बात मानी गई. कई सांसदों का कहना था कि मोइत्रा को शिकायतकर्ताओं से पहले बुलाया जाना चाहिए था. उन्होंने शिकायतकर्ताओं को पहले समय दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए सामान्य प्रक्रिया का हवाला दिया था।
‘पुख्ता सबूत मिलने पर शिकायत की’
सूत्र ने बताया उन्होंने (दुबे) शिकायत (मोइत्रा के खिलाफ) पेश करने से पहले कई स्तरों पर जांच की थी. सूत्र बताते हैं कि निशिकांत दुबे ने पैनल को बताया कि जब हमारे पास सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई की शिकायत आई तो उन्होंने भी आरोपों को पहले पूरी तरह से जांच की थी. पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही स्पीकर के सामने मामले को रखा था।
‘गृह और आईटी मंत्रालय की मदद ले सकती है जांच कमेटी’
‘पहले सुनवाई को लेकर वोटिंग के जरिए फैसला’
’31 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी के सामने पेश होंगी महुआ?’
‘दुबे बोले- यह संसद की गरिमा से जुड़ा मामला’
‘विपक्ष ने महुआ पर नरमी बरतने की वकालत की’
‘दुबे ने 2005 की कार्रवाई का दिया हवाला’
‘फर्जी डिग्री के मुद्दे पर बिफर रह गए दुबे’
‘दिवाली से पहले होगी महुआ की पेशी?’
‘महुआ ने पेशी के लिए मांगा 4 दिन का समय’
‘दुबे ने बताई हलफनामे की एविडेंस वैल्यू’
‘विदेश मंत्रालय से भी जवाब मांग सकती जांच कमेटी’
‘महुआ ने आरोपों को किया सिरे से खारिज’
निशिकांत दुबे ने स्पीकर को लिखे पत्र में क्या आरोप लगाए?
निशिकांत दुबे ने कहा था कि मोइत्रा मोइत्रा ने संसद में जो 61 सवाल पूछे थे, उनमें से 50 अडानी ग्रुप पर फोकस थे. महुआ ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के व्यापारिक हितों को ध्यान में रखकर संसदीय सवाल पूछकर एक आपराधिक साजिश रची है. यह पूरा प्रकरण 12 दिसंबर 2005 के ‘कैश फॉर क्वेरी’ की याद दिलाता है।
हालांकि महुआ मोइत्रा ने आरोपों का खंडन किया और निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्राई को कानूनी नोटिस भेजा. उन्होंने कहा कि लोकसभा के सदस्य के रूप में मैंने अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए किसी भी तरह का लाभ नहीं लिया है. इस तरह के आरोप पूरी तरह अपमानजनक, झूठे, आधारहीन हैं. इस बात के कोई सबूत नहीं हैं। (एएमएपी)