संसद के विशेष सत्र की हंगामेदार शुरुआत हो चुकी है। एक ओर जहां लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन और राजनीतिक इतिहास के बारे में बात की। वहीं, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ’70 सालों’ पर पूछे जा रहे सवालों का जवाब दिया। साथ ही उन्होंने सरकार को राजनीति का तरीका बदलने की सलाह दी।खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि अंग्रेजों ने भारत को बहुत कम आंका था, लेकिन देश लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विजयी होकर उभरा। उन्होंने कहा, ‘हमने जब 1950 में लोकतंत्र को अपनाया, तो कई विदेशी लोगों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र असफल हो जाएगा, क्योंकि यहां साक्षरता की बहुत कमी है।’ इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का जिक्र किया।

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने यह तक कह दिया था कि अगर ब्रिटिश भारत से चले जाएंगे, तो यहां न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवाएं, रेलवे और उनकी तरफ से शुरू किए हुए काम पूरी तरह तबाह हो जाएंगे। सिस्टम तबाह हो जाएगा। उन्होंने हमें बहुत कम आंका। हमने लोकतंत्र को बरकरार रख उन लोगों को गलत साबित कर दिया। हमने इसे मजबूत किया और सुरक्षित रखा। आप पूछते हैं कि आमने 70 सालों में क्या किया? हमने 70 सालों में ये किया।’

मणिपुर मुद्दा उठाया

उन्होंने सदन में फिर मणिपुर मुद्दा उठाया। खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद के बाहर भाषण देने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत कई बार बहस हुई है। खास बात है कि मॉनसून सत्र के दौरान भी विपक्ष लगातार पीएम मोदी के सदन में आकर मणिपुर मुद्दे पर बयान देने की मांग कर रहा था। हाल ही में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पत्र के जरिए मणिपुर मुद्दा उठाया था।

कांग्रेस ने पंडित नेहरू के योगदान गिनाए

लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कामों का जिक्र किया। उन्होंने सदन में संसदीय लोकतंत्र स्थापित करने के लिए नेहरू के योगदान को याद किया। उन्होंने याद किया कि कैसे जब नेहरू अपने बोलने की समय सीमा पार कर लेते थे, तो स्पीकर बेल बजा देते थे।(एएमएपी)