आपका अखबार ब्यूरो।
ममता बनर्जी हमेशा केंद्र सरकार से विवाद करने के नए-नए मौके ढूंढ़ते रहती हैं। गुरुवार, 20 मई 2021 को प्रधानमंत्री की जिलाधिकारियों के साथ बैठक के बाद उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्रियों को बैठक में आमंत्रित करने के बाद बोलने का भी मौका नहीं दिया गया।
ममता का आरोप, बोलने नहीं दिया गया
ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एकमात्र एजेंडा केंद्र सरकार की खिलाफत करना है। वे केंद्र सरकार पर प्रहार करने के मौके ढूंढ़-ढूंढ़ कर निकालती रहती हैं, चाहे उसमें कोई तथ्य हो, या नहीं हो। ऐसा ही एक मौका उन्होंने एक बार फिर ढूंढ़ लिया है। गुरुवार, 20 मई 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के 10 राज्यों के 54 जिलाधिकारियों (डीएम) की बैठक के बाद। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश के जिलाधिकारियों से बात की। राजनीतिक शिष्टाचार के तहत सम्बंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी बैठक में निमंत्रित किया गया था। बैठक में शामिल 10 मुख्यमंत्रियों में से ममता इकलौती मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा किसी और बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्हें कठपुतली बना दिया गया। ममता ने कहा, “पूरी मीटिंग में सभी मुख्यमंत्री चुपचाप बैठे रहे। सिर्फ भाजपा के कुछ मुख्यमंत्री और पीएम मोदी ने अपनी बात रखी, हमको बोलने नहीं दिया गया। हमें वैक्सीन की मांग रखनी थी, लेकिन बोलने नहीं दिया गया। हम तीन करोड़ वैक्सीन की मांग रखने वाले थे, लेकिन कुछ कहने ही नहीं दिया गया। इस महीने 24 लाख वैक्सीन हमें केंद्र सरकार से मिलनी थीं, लेकिन 13 लाख ही मिलीं।”
प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में नहीं शामिल हुई थीं ममता
गौरतलब है कि यह बैठक मुख्य रूप से 54 जिलों के डीएम से कोरोना को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर चल रहे उपायों के बारे में संवाद करने के लिए आयोजित की गई थी। प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न जिलों के डीएम के साथ एक ऐसी ही बैठक मंगलवार, 18 मई को भी की थी, लेकिन उसे लेकर किसी को शिकायत नहीं हुई। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कोरोना के मुद्दे पर कई बैठकें मुख्यमंत्रियों के साथ की, लेकिन ममता बनर्जी कभी चुनाव प्रचार के चलते, तो कभी प्रशासन सम्बंधी जरूरी काम का हवाला देकर बैठक में जाने से कन्नी काट गईं। वह प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की किसी बैठक में शामिल नहीं हुई और अपनी जगह किसी और को भेज दिया। प्रधानमंत्री के साथ बैठक के समय वह व्यस्त हो जाती हैं, लेकिन अपने आरोपी मंत्रियों, नेताओं को बचाने के लिए सीबीआई का घेराव करने का समय जरूर निकाल लेती हैं। यहां तक कि दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में भी नहीं हिचकतीं। अब जबकि प्रधानमंत्री की जिलाधिकारियों के साथ बैठक थी तो ममता ने उसमें बोलने नहीं देने का आरोप लगा दिया। ममता ने पश्चिम बंगाल के एक डीएम को मीटिंग में बोलने तक नहीं दिया, जबकि मीटिंग के कार्यक्रम में यह पहले से ही तय था। उल्टे यह आरोप मढ़ दिया कि सभी मुख्यमंत्री कठपुतली की तरह बैठे रहे, जबकि कुछ पसंदीदा डीएम को बोलने की अनुमति दी गई।
As always, @BJP4Bengal is stooping low to malign @MamataOfficial by using a living man’s photo to pass it off as someone killed in the Sitalkuchi incident.
Despite a crushing defeat, BJP has no shame left in them & is inciting violence using its fake news machinery. https://t.co/h4TqMaOJar pic.twitter.com/KZkV4IgtUa
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) May 6, 2021
उन्होंने आरोप लगाया, “बैठक में पीएम ने हमारे साथ कभी राजनीतिक शिष्टाचार नहीं दिखाया। हम (मुख्यमंत्री) उनके बंधुआ मजदूर नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री इतना असुरक्षित क्यों महसूस करते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया और बोलने नहीं दिया। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्रियों को मीटिंग में बोलने की इजाजत नहीं दी गई, इस बात का विरोध सभी मुख्यमंत्रियों को करना चाहिए।
भाजपा ने किया ममता पर पलटवार
भाजपा ने ममता के इन आरोपों को खारिज करते हुए उन पर बैठक को मुद्दे से भटकाने का आरोप लगाया है। कभी उनके खासमखास रहे और पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रतिपक्ष भाजपा के नेता शुवेंदु अधिकारी, जो उन्हीं को हरा कर विधायक बने हैं, ने ममता पर जवाबी हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक का राजनीतिकरण करने में व्यस्त हैं, जबकि वह मुख्यमंत्रियों के साथ हुई पिछली बैठकों में शामिल नहीं हुई थीं। शुवेंदु अधिकारी ने इस संदर्भ में कई ट्वीट किए और कहा, “आज हमारी सम्माननीय मुख्यमंत्री ने फिर दिखाया कि प्रशासन में उनकी कोई रुचि नहीं है। अपनी शैली के अनुरूप ही उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिला अधिकारियों के साथ हुई बैठक का राजनीतिकरण किया है, जिसमें कोविड-19 से लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर चर्चा की जा रही थी।”
अधिकारी ने ममता पर यह भी आरोप लगाया कि वे काम की जगह मुद्दों के राजनीतिकरण में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में कोविड के आंकड़े दयनीय हैं, लेकिन मुख्यमंत्री राजनीति कर रही हैं। टीएमसी अभी भी जीत का जश्न मनाने और विरोधियों को निशाना बनाने में व्यस्त है। बेहतर होगा कि वे अब काम करना शुरू कर दें, क्योंकि पश्चिम बंगाल के महान लोग सब देख रहे हैं!”
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोपों का दिया जवाब
मैं ममता बनर्जी से पूछना चाहता हूं कि अगर भारत के प्रधानमंत्री भारत के सभी जिला अधिकारियों से उनके जिले में जो अच्छे काम किए हैं उनकी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं तो उसे ममता जी को क्या परेशानी है?
कौन से जिले में शासन किस राजनीतिक रंग का है इससे मोदी जी को मतलब नहीं है। pic.twitter.com/mO1oxE8ryh— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 20, 2021
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा, “उनका (ममता का) आचरण अनुचित था और उन्होंने कोविड का सामना करने के सभी प्रयासों को पटरी से उतारने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि केवल भाजपा शासित राज्यों को बोलने की अनुमति दी गई, जो गलत है। इससे पहले हुई बैठक में तेलंगाना और दूसरे गैर-भाजपा शासित राज्यों के जिलाधिकारियों ने हिस्सा लिया था। आज उन्होंने बैठक में दक्षिण परगना के डीएम को बोलने नहीं दिया।” रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा, ममता ने पहले नीति आयोग या प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई किसी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया। आज उन्होंने बैठक की कार्रवाई में बाधा डालने की कोशिश की। प्रधानमंत्री के साथ जिलाधिकारियों की बैठक में गलत क्या है? व्यक्तिगत प्रयासों को भी साझा किया जाना चाहिए।