रंधावा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह आखिरी साल है इसलिए नेताओं का प्रदर्शन देखा जाएगा। मंत्रियों, विधायकों और पार्टी नेताओं को उनके प्रदर्शन के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। मैंने मुख्यमंत्री से कहा है कि वह नरम हैं। चुनावी साल में पार्टी को कड़ा फैसला लेना है। कोई भी घर बिना सख्ती के नहीं चल सकता है। इसलिए हम सख्ती करेंगे। हमें गांव गांव जाकर पार्टी के लिए काम करना होगा। जीरो परफारमेंस वाले मंत्रियों नेताओं को टिकट देकर क्या होगा। ऐसे नेताओं को हम टिकट नहीं देंगे।

रंधावा के संकेतों से साफ है कि पार्टी सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए गुजरात में आजमाए गए भाजपा के फॉर्मूले को अपनाने से नहीं चूकेगी। कांग्रेस उन नेताओं, मंत्रियों और विधायकों को टिकट नहीं देगी जिनसे लोग नाराज हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के इस रुख से कई नेताओं को विधानसभा चुनावों में टिकट से महरूम होना पड़ सकता है। सनद रहे गुजरात में भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए कई मंत्रियों और विधायकों को टिकट नहीं दिया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान की तैयारी बैठक में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिला समन्वयक नियुक्त किए। ये समन्वयक जिलों में प्रभारी मंत्री से चर्चा करेंगे और प्रत्येक प्रखंड में एक-एक समन्वयक नियुक्त कराएंगे। कांग्रेस के नेता हर बूथ का दौरा करेंगे और लोगों को राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं के लाभों से अवगत कराएंगे। अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सत्ता विरोधी लहर नहीं होने को एक अवसर के तौर पर भुनाना चाहिए। (एएमएपी)



