क्या है भौगोलिक स्थिति?
भौगोलिक नजरिए से देखें तो यह जिला कंसावती, हल्दी, केलेघई और स्वर्णरेखा नदियों से घिरा है। यह संसदीय क्षेत्र 1951 में ही अस्तित्व में आ गया था। मेदिनीपुर का लिंगानुपात 960 है यानी 1000 पुरुषों पर 960 महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 90 फीसदी है। पुरुषों की साक्षरता दर 92 फीसदी है तो महिलाओं की साक्षरता दर 83 फीसदी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे पश्चिम बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के बीच हुई लेकिन मेदिनीपुर में लड़ाई ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और सीपीआई के बीच थी। 2009 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी दीपक कुमार घोष दूसरे नंबर पर रहे थे और सीपीआई के प्रबोध पंडा जीत गए थे।
ऐसा रहा राजनीतिक इतिहास
प्राचीन समय में यहां हिजली और गजपति का शासन था। स्वतंत्रता संग्राम में भी मेदिनीपुर का गौरवशाली इतिहास रहा है। विश्व प्रसिद्ध आईआईटी खड़गपुर भी इसी क्षेत्र में है। कुल 14 लाख 99 हजार 673 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में 60 के दशक में वामपंथ का प्रभाव था। इस क्षेत्र की पहचान पूर्व सांसद स्वर्गीय नारायण चौबे और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वर्गीय इंद्रजीत गुप्ता के गृहक्षेत्र के रूप में भी रही है। 2002 में इंद्रजीत गुप्ता के देहावसान के बाद भाकपा नेता प्रबोध पांडा तीन बार यहां से सांसद निर्वाचित हुए। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पांडा को पराजय का मुंह देखना पड़ा और तृणमूल की संध्या राय निर्वाचित हुईं।
विधानसभा क्षेत्र
इसके तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें खड़गपुर सदर, खड़गपुर, मेदिनीपुर, केशियाड़ी, दांतन, नारायणगढ़ और पूर्व मेदिनीपुर जिले का एगरा शामिल हैं। 2016 में केशियाड़ी में भसराघाट पुल अरण्य कन्या का उद्घाटन हुआ था। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में पंचायतों पर निर्भरता है।
मतदाताओं का आंकड़ा
मेदिनीपुर लोकसभा में वर्तमान में सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उनमें से आठ लाख 26 हजार 29 पुरुष वोटर हैं। महिला मतदाताओं की संख्या आठ लाख 48 हजार 191 हैं। थर्ड जेंडर के मतदाता 16 हैं। 2019 में कुल वोटरों की संख्या 14 लाख नौ हजार 815 थी। इनमें से कुल पुरुष मतदाता सात लाख 13 हजार 838 और महिला मतदाता छह लाख 93 हजार 138 थीं। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 84.21 फीसदी था।(एएमएपी)