इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक आधिकारिक पत्र भेजा है। शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि इन सरकारी स्कूलों में मोटा अनाज, सहजन, पालक, फली वाली सब्जियां से बना भोजन छात्रों को परोसा जाए। इसके साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे पौष्टिक और बच्चों की पसंद का खाना परोसें। खाने में मौसमी सब्जियां शामिल करने और बच्चों की रुचि बनाए रखने के लिए मेन्यू में बदलाव की बात भी रखी गई है।शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि प्रत्येक तीन महीने में मिड डे मील के मेन्यू में बदलाव करें। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है ताकि बच्चों के खाने में नयापन रहे। केंद्र सरकार ने राज्यों से एक औपचारिक निवेदन में कहा है कि इसके लिए रसोइयों और शिक्षकों को ट्रेनिंग दिलाई जाए। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने मिड डे मील तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में अभिभावकों को भी साथ रखने की बात कही है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि अभिभावक सुझाव दे सकें और उनके सुझावों पर काम हो सके। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में डाइटिशियन की भी मदद ली जा सकती है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि देशभर के सभी राज्यों में मिड डे मील ऐसा हो जिसे वहां पढ़ने वाले बच्चे पसंद करें। सभी राज्यों से पीएम पोषण योजना के अंतर्गत स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील में मौसमी सब्जियों को भी शामिल करने को कहा गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखा गया है। इसमें पीएम पोषण योजना में बच्चों की पसंद, स्थानीय, मौसमी हरी पत्तेदार, फलीदार, सहजन आदि सब्जियां शामिल करेंगे। देश के सभी सरकारी स्कूलों में दोपहर को मिलने वाले भोजन में मोटा अनाज, सहजन, पालक, फली वाली सब्जियां देने की तैयारियां चल रही हैं। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों से पीएम पोषण योजना के तहत मिलने वाले भोजन में स्थानीय पौष्टिक और बच्चों की पसंद के आधार पर भोजन परोसने का आग्रह किया है।
दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न राज्यों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में आयरन और विटामिन की कमी रहती है। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि ऐसी स्थिति में मिड डे मील के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। मंत्रालय के मुताबिक मिड डे मील में मोटा अनाज, सहजन, पालक और फली वाली सब्जियां मिलने यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होंगी। मिड डे मील के भोजन में बदलाव के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को बाकायदा एक आधिकारिक पत्र भी लिखा है।
केंद्र सरकार के इस पत्र में कहा गया है कि पीएम पोषण योजना में बच्चों की पसंद, स्थानीय, मौसमी हरी पत्तेदार, फलीदार, सहजन आदि सब्जियां शामिल करें। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस वर्ष हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में मिड डे मील को लेकर यह समीक्षा की गई है। साथ ही इस उच्च स्तरीय बैठक में मिड डे मील के भोजन में पौष्टिकता बढ़ाने, बच्चों में आयरन व विटामिन की कमी को दूर करने पर चर्चा हुई। विशेषज्ञ भी मिड डे मील में हो रहे इस बदलाव को सही और आवश्यक मानते हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2019-20 में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में बच्चों का उम्र और ऊंचाई के आधार पर वजन कम व खून की कमी मिली थी।
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हर तीन महीने के बाद मेन्यू में बदलाव करें, ताकि बच्चों के खाने में नयापन रहे। इसके लिए रसोइयों और शिक्षकों को ट्रेनिंग दिलवाएं। अभिभावकों को भी साथ में रखें, ताकि उनके सुझाव पर काम हो सके। इसमें डाइटिशियन भी मदद ली जा सकती है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखा गया है। इसमें पीएम पोषण योजना में बच्चों की पसंद, स्थानीय, मौसमी हरी पत्तेदार, फलीदार, सहजन आदि सब्जियां शामिल करेंगे।इ वरिष्ठ अधिकारी ने लिखा कि वर्ष 2023-24 की बैठक में राज्यों की समीक्षा के आधार पर भोजन में पौष्टिकता बढ़ाने, बच्चों में आयरन व विटामिन की कमी को दूर करने पर चर्चा हुई थी। इसी के आधार पर यह पत्र भेजा गया है। स्कूलों में जगह उपलब्ध हो तो बच्चों के सहयोग से स्थानीय, मौसमी सब्जियां भी उगाएं। इससे उन्हें कृषि की जानकारी के साथ हरी सब्जियां की महत्ता का भी पता चलेगा। वर्ष 2019-20 को जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में 32 फीसदी बच्चों का उम्र और ऊंचाई के आधार पर वजन कम, 67 फीसदी बच्चों में किसी न किसी स्तर पर खून की कमी मिली थी। बच्चों में यह कमी उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधक है। ऐसे में हम सबको मिलकर बच्चों के विकास के लिए उनके खाने में विटामिन, आयरन आदि की मात्रा बढ़ानी होगी। (एएमएपी)