अमेरिका के मीडिया हाउस सीएनएन की रिपोर्ट।
आपका अख़बार ब्यूरो।
भारत इस शताब्दी की एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने की राह पर तेजी से चल निकला है और इसे अगले कुछ दशकों में साकार कर दिखाने की स्थिति में है। निवेशकों की विकास की खोज में और आपूर्ति श्रृंखला के जोखिमों को कम करने के नजरिये से, भारत चीन के वैकल्पिक के रूप में प्रमुखता से उभर रहा है। इस क्रम में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा प्रमुख उद्योगपति जैसे गौतम अडानी और मुकेश अंबानी देश की आर्थिक गाथा को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। आइए रिपोर्ट की खास बातों पर एक नज़र डालते हैं।
बुनियादी ढांचे में बड़ा बदलाव
मोदी सरकार ने विकास को बढ़ावा देने के लिए सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे के निर्माण पर अरबों की राशि खर्च करके बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में बदलाव शुरू किया है। यह डिजिटल कनेक्टिविटी को भी काफी बढ़ावा दे रहा है, जिससे वाणिज्य और दैनिक जीवन दोनों में सुधार हो सकता है।
देश एक क्रांति की ओर बढ़ रहा है। अडानी और अंबानी दोनों प्रमुख सहयोगी बन गए हैं। 2023 में 3.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। देश ने एक दशक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान रैंकिंग में चार स्थानों की छलांग लगाई और ब्रिटैन को पीछे छोड़ दिया है।
चुनौती कठिन, और मेहनत की जरुरत
आने वाले कुछ वर्षों में यह कम से कम 6 प्रतिशत की वार्षिक दर से विस्तार करने के लिए आरामदायक स्थिति में है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अगर देश आर्थिक महाशक्ति बनना चाहता है तो उसे आठ प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए।”
निरंतर विस्तार भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में काफी ऊपर ले जाएगा। कुछ पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि दक्षिण एशियाई देश भारत 2027 तक तीसरे नंबर पर आ जाएगा। केवल अमेरिका और चीन ही उससे ऊपर होंगे। अडानी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जीवाश्म ईंधन और स्वच्छ ऊर्जा से लेकर मीडिया और प्रौद्योगिकी तक के क्षेत्रों में कारोबार स्थापित किया है।
मोदी पर भरोसा
निवेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विकास के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चतुराई से दांव लगाने की दोनों की क्षमता की सराहना कर रहे हैं। मोदी वर्तमान में भारत का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर अपने लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए प्रचार कर रहे हैं।
भारत 21वीं सदी की आर्थिक महाशक्ति बनने के रास्ते पर अग्रसर है। विकास की तलाश कर रहे निवेशकों और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में जोखिम कम करने की चाहत रखने वाले निर्माताओं के लिए भारत चीन का एक वास्तविक विकल्प पेश कर रहा है। इसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री मोदी, अंबानी और अडानी आने वाले दशकों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
दोनों भारतीय दिग्गजों को जिस तरह की शक्ति और प्रभाव प्राप्त है, वह तेजी से औद्योगीकरण के दौर से गुजर रहे दूसरे देशों में पहले भी देखा जा चुका है। पत्रकार अक्सर अडानी और अंबानी दोनों की तुलना जॉन डी रॉकफेलर से करते हैं, जो गिल्डेड एज के दौरान अमेरिका के पहले अरबपति बने थे।
बढ़ती बेरोजगारी और असमानता चिंता की बात
विकास दर के मामले में भारत की सफलता के बावजूद युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और असमानता लगातार समस्या बनी हुई है। विश्व बैंक के अनुसार, 2022 में देश प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 147वें स्थान पर था, जो जीवन स्तर का माप है। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के विरोधी एक बार फिर अरबपतियों के साथ उनके कथित संबंधों को लेकर सवाल उठा जा रहे हैं।