रेपो रेट में बदलाव नहीं, ब्याज दरें 6.5 प्रतिशत पर रहेंगी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार चौथी बार ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत रखने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज यानी शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि RBI की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। वह भी तब जब खुदरा महंगाई की दर आरबीआई के लक्ष्य से बाहर है। आरबीआई के इस फैसले से होम, कार समेत तमाम तरह के लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली है। इसे आप मोदी सरकार की देश की जनता को दी जानेवाली राहत के रूप में भी देख सकते हैं।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम में मजबूती बनी हुई है। पर्सनल लोन की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। आरबीआई की इस पर नजर है। इसके साथ ही आरबीआई वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि कोर महंगाई में कमी आई है। यह प्राइस स्टेबिलिटी के लिए अहम है।
जीडीपीवृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान
इस संबंध में शक्तिकांत ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि नीतिगत दर रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला लिया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत अनुमानित है। वहीं, अगले वित्तीय वर्ष 2024 -25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस दौरान यह भी कहा कि 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। शक्तिकांत दास ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल मुद्रास्फीति घटकर 4.6 प्रतिशत हो गई, जबकि पिछले साल की पहली तिमाही में यह 7.3 प्रतिशत थी।
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उन्होंने बताया कि ऊंची महंगाई दर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। शक्तिकांत दास ने कहा है कि सब्जियों के दाम में कमी आई है। गवर्नर ने कहा कि आरबीआई का लक्ष्य महंगाई दर को चार फीसदी लाने का है। हम उस लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। हालांकि, हम विकास के साथ तालमेल कर महंगाई को धीरे-धीरे कम करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि अगस्त में खुदरा महंगाई की दर 6.83% रही थी। यह आरबीआई के महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने के लक्ष्य से बाहर है।
दास ने कहा कि भारत दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है, लेकिन आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं है। एमपीसी मुद्रास्फीति को लेकर जरूरत के अनुसार कदम उठाएगी। आरबीआई ने अगस्त, जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था। इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था। नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि उसके बाद से आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारण संबंधी सर्वोच्च इकाई एमपीसी ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली तीन द्विमासिक बैठकों में एमपीसी ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर ही बनाए रखा है।
ये रहीं आरबीआई पॉलिसी की खास बातें : –
1. मजबूत मांग से घरेलू अर्थव्यवस्था जुझारू बनी हुई है।
2. सितंबर में महंगाई दर में कुछ नरम आएगी। यानी महंगाई घटेगी।
3. मौद्रिक समिति ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है।
4. एमपीसी मुद्रास्फीति के हिसाब से जरूरत के अनुरूप कदम उठाने को तैयार।
5. पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन से संकेत मिलता है कि निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ रहा है।
6. रेपो दर में ढाई प्रतिशत की कटौती का पूरा लाभ अभी तक उपोभक्ताओं तक नहीं पहुंचा है।
7. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा।
8. केंद्रीय बैंक का अनुमान, 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहेगी।
9. सब्जियों की कीमत कम होने और रसोई गैस सिलेंडर के दाम में घटने से निकट भविष्य में मुद्रास्फीति में नरमी आएगी।
10. खुदरा मुद्रास्फीति के अगले वर्ष 5.2 प्रतिशत पर आने की उम्मीद।
11. तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर कमी देखने को नहीं मिलेगी।
12. खाद्य और ईंधन की कीमतों में अचानक वृद्धि से निपटने के लिए मौद्रिक नीति पूरी तरह तैयार होनी चाहिए।
13. संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है।
भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत
यह होता है रेपो रेट
दरअसल, रेपो एक तरह की ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। वहीं, आरबीआई मुद्रास्फीति को कंट्रोल करन के लिए इसका उपयोग करता है। साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है।(एएमएपी)