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— YourStory Ecosystem (@YSEcosystem) February 13, 2024
मनी लॉन्ड्रिंग ने बढ़ाई मुश्किल
दरअसल, अब यूपीआई बाजार में घरेलू फिनटेक कंपनियों को बढ़ावा देने और फोनपे, गूगल पे जैसे विदेशी ऐप का वर्चस्व खत्म हो सकता है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में विदेशी फिनटेक ऐप की ज्यादा हिस्सेदारी पर चिंता जताई है। इस समिति ने घरेलू एप्प को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि विदेशी फिनटेक कंपनियां और ऐप भारतीय यूपीआई क्षेत्र पर हावी हैं। समिति ने कई फिनटेक कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए होने की बात कहकर इन विदेशी कंपनियों को परेशानी में डाल दिया है।
30% मार्केट शेयर की सीमा तय होगी!
आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर 2023 में ट्रांजेक्शन वॉल्यूम के मामले में फोनपे की बाजार हिस्सेदारी 46.91 फीसदी और गूगल पे की 36.39 परसेंट हिस्सेदारी थी। इस मामले में भारतीय ऐप भीम यूपीआई तो काफी पीछे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि भारतीय यूपीआई मार्केट में पूरी तरह से वॉलमॉर्ट की फोन पे और गूगल पे जैसी विदेशी कंपनियों का बोलबाला है।
नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई ने अगले साल से यूपीआई लेनदेन की संख्या के आधार पर घरेलू बाजार में फिनटेक ऐप की हिस्सेदारी अधिकतम 30 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है। वहीं समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी कंपनियों के मुकाबले भारतीय फिनटेक ऐप पर निगरानी रखना आरबीआई और एनपीसीआई के लिए ज्यादा आसान होगा।
देसी फिनटेक कंपनियों को होगा फायदा!
रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की है कि फिनटेक सेक्टर में घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। स्वदेशी विकसित भीम यूपीआई इसकी अच्छी मिसाल है। हालांकि, यूपीआई बाजार में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मेक इन इंडिया पर फोकस बढ़ा रहा है। इसलिए, समिति की राय है कि फिनटेक सेक्टर में घरेलू संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। (एएमएपी)