महिलाओं को भी हो रही फांसी
आईएचआर के अनुसार, जिन लोगों को सजा-ए-मौत दी गई है उनमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। दो दिन पहले ही एक महिला को मौत की सजा दी गई थी। महिला पर उसके ससुर की हत्या का आरोप था। रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में जिन महिलाओं को मौत की सजा दी गई, उनमें अधिकतर पर खराब रिश्तों की वजह से अपने पार्टनर या रिश्तेदारों की हत्या का आरोप था।
नाकामियों से ध्यान बंटाना मकसद
आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोगद्दम ने कहा, इन मृत्युदंडों का मकसद सामाजिक भय पैदा करना और इस्लामी गणतंत्र की खुफिया विफलताओं से जनता का ध्यान हटाना है। आईएचआर का कहना है कि ईरान के विरोध प्रदर्शनों में 6 लोगों को पहले ही मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। खासतौर पर ईरान पर लगे प्रतिबंधों के चलते देश की माली हालत काफी खराब है और हुकूमत इससे लोगों का ध्यान भटका रही है।
पांच सालों में सबसे ज्यादा मृत्युदंड इसी वर्ष
आईएचआर के अनुसार, इस साल सजा-ए-मौत देने का जो आंकड़ा रहा, वह पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है। 2021 में 333 लोगों को यह खौफनाक सजा दी गई जबकि 2020 में 267 लोगों को मौत के घाट उतारा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन नाबालिगों समेत 26 लोग वर्तमान में ऐसे आरोपों का सामना कर रहे हैं जिसमें उन्हें फांसी की सजा हो सकती है। (एएमएपी)