ईरान में हिजाब के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच बेहद क्रूर खबर सामने आई है। इस शिया बहुल देश में इस साल अब तक 504 लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है और अभी अन्य मामलों में भी मृत्युदंड की पुष्टि की जा रही है। नॉर्वे स्थित समूह ईरान ह्यूमन राइट्स (आईएचआर) ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ईरानी हुकूमत ने अलग-अलग अपराधों में इन लोगों को यह सजा दी है।रिपोर्ट के मुताबिक, यदि अन्य मामलों के संबंध में की जा रही मृत्युदंड की पुष्टि को भी जोड़ा जाए तो मृतक संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। यह आंकड़ा उन चिंताओं के बीच आया है कि अधिकारी ईरान में सितंबर से शुरू हुए हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में शामिल लोगों के खिलाफ मौत की सजा का व्यापक इस्तेमाल करेंगे। आईएचआर की गिनती में वे चार लोग भी शामिल हैं, जिन्हें रविवार को इस्राइल की खुफिया एजेंसी के साथ काम करने के आरोप में मौत के घाट उतार दिया गया है। इन लोगों पर अपहरण, हथियार बनाने और डिजिटल मुद्रा में भुगतान लेने का आरोप लगाया गया था। ईरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौत की सजा देने के चार दिन बाद उन्हें फांसी दे दी गई। आईएचआर निदेशक महमूद अमीरे मोघहद्दम ने बताया कि इन सभी लोगों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ही सजा-ए-मौत दे दी गई।

महिलाओं को भी हो रही फांसी

आईएचआर के अनुसार, जिन लोगों को सजा-ए-मौत दी गई है उनमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। दो दिन पहले ही एक महिला को मौत की सजा दी गई थी। महिला पर उसके ससुर की हत्या का आरोप था। रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में जिन महिलाओं को मौत की सजा दी गई, उनमें अधिकतर पर खराब रिश्तों की वजह से अपने पार्टनर या रिश्तेदारों की हत्या का आरोप था।

नाकामियों से ध्यान बंटाना मकसद

आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोगद्दम ने कहा, इन मृत्युदंडों का मकसद सामाजिक भय पैदा करना और इस्लामी गणतंत्र की खुफिया विफलताओं से जनता का ध्यान हटाना है। आईएचआर का कहना है कि ईरान के विरोध प्रदर्शनों में 6 लोगों को पहले ही मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। खासतौर पर ईरान पर लगे प्रतिबंधों के चलते देश की माली हालत काफी खराब है और हुकूमत इससे लोगों का ध्यान भटका रही है।

पांच सालों में सबसे ज्यादा मृत्युदंड इसी वर्ष

आईएचआर के अनुसार, इस साल सजा-ए-मौत देने का जो आंकड़ा रहा, वह पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है। 2021 में 333 लोगों को यह खौफनाक सजा दी गई जबकि 2020 में 267 लोगों को मौत के घाट उतारा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन नाबालिगों समेत 26 लोग वर्तमान में ऐसे आरोपों का सामना कर रहे हैं जिसमें उन्हें फांसी की सजा हो सकती है। (एएमएपी)