-यह प्राचीन मंदिर 600 वर्ष पूर्व,108 शक्तिपीठों में से एक है
-प्राचीन समय में धारी माता की मूर्ति अलकनंदा नदी में आई बाढ़ से बह गई थी
श्रद्धालु मां धारी देवी के दर्शन के लिए सालों भर आते हैं, परंतु नवरात्र के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। चार धाम यात्रा के क्रम में श्रद्धालु चारधाम की संरक्षक और रक्षक मां धारी देवी के दर्शन कर पुण्य का लाभ कमा सकते हैं और उनके समक्ष अपनी मनोवांछित इच्छा प्रकट कर उसे फलीभूत कर सकते हैं।
मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में धारी माता की मूर्ति अलकनंदा नदी में आई बाढ़ से बह गई थी और धारी गांव के पास चट्टानों के बीच फंस गई थीं। ऐसा माना जाता है कि धारी माता एक ग्रामीण के सपने में आईं और उसे आदेश दिया कि वह उनकी मूर्ति को नदी से बाहर ले आए और मूर्ति को वहीं स्थापित कर दे। जहां वह मिली थीं और उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाना चाहिए। इस प्रकार, मंदिर को धारी देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है।
पुजारियों का कहना है मंदिर में मां धारी की प्रतिमा द्वापर युग से ही स्थापित है। उनके अनुसार, देवी का रूप समय के साथ बदलता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। वास्तव में मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। मंदिर में मूर्ति देवी धारी देवी का ऊपरी आधा हिस्सा है और निचला आधा कालीमठ में स्थित है। जहां उन्हें काली अवतार के रूप में पूजा जाता है।
वर्ष 2013 में अलकनंदा पावर प्लांट निर्माण के दौरान जून के महीने में देवी की मूर्ति को मूल स्थान से हटाकर हटाकर अलकनंदा नदी से लगभग 611 मीटर की ऊंचाई पर कंक्रीट के चबूतरे पर स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके फलस्वरूप क्षेत्र को उस वर्ष भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था। बादलों के फटने के कारण उत्पन्न बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे शहर व राज्य को क्षति पहुंचाई, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए थे। भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना था कि यह हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए रास्ता बनाने के लिए मूर्ति को उसके ”मूल स्थान” से स्थानांतरित करने के कारण हुआ था।इस स्थिति को भांपते हुए मंदिर प्रशासन ने पिछले माह मंदिर के स्तंभ को उठाकर मूल गर्भगृह को ऊंचा उठाकर मूर्ति को वापस से पुजारियों ने विधिवत स्थापित किया।
चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु पूरे यात्रा मार्गों में ऐसे ही अनेक पवित्र और अतिमहत्वपूर्ण धर्मस्थलों के दर्शन कर सकते हैं। इस वर्ष की चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के पंजीकरण अनिवार्य रूप से किए जा रहे हैं। इस बार सुगम व सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के क्रम में केवल श्रद्धालुओं को ही धामों के दर्शन के लिए टोकन प्रदान किया जाएगा।
केदारनाथ धाम के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन सोनप्रयाग और बद्रीनाथ के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन पांडुकेश्वर में किया जाएगा। गंगोत्री व यमुनोत्री के लिए श्रद्धालुओं का सत्यापन क्रमशः हिना और बड़कोट में होगा। सत्यापन के पश्चात इन पंजीकृत श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए टोकन प्रदान किया जाएगा। इनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री के श्रद्धालु इन्हीं धामों से टोकन प्राप्त कर पाएंगे। यमुनोत्री के श्रद्धालुओं को टोकन जानकीचट्टी में दिया जाएगा।
चारधाम यात्रा के तहत केदारनाथ-476811, बद्रीनाथ-398361, यमुनोत्री-217815, गंगोत्री-241356 और हेमकुंड के लिए 2916 यात्री विभिन्न माध्यमों से अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। अभी तक कुल 13 लाख 37 हजार 261 यात्री अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। इतना ही नहीं 16 फरवरी 2023 से शुरू हुई जीएमवीएन गेस्ट हाउसों की बुकिंग के तहत अभी तक कुल 87905963 (आठ करोड़ उन्यासी लाख पांच हजार नौ सौ तिरसठ) रुपये की बुकिंग की जा चुकी है।
धर्मस्व और संस्कृति व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने का काम कर रही है। चारधाम यात्रा पर आये यात्रियों की सुविधा का विशेष ख्याल रखेगी। धार्मिक सर्किटों जिनमें शाक्त, शैव, वैष्णव, गोलज्यू, गुरुद्वारा, हनुमान, नाग देवता, स्वामी विवेकानंद, महासू देवता, नरसिंह देवता, और नवग्रह देवता सर्किट का निर्माण किया गया है। अपनी सुविधानुसार यात्री इन धार्मिक सर्किट के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकता है।
पर्यटन ने कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु पर्यटन विभाग की
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