केजरीवाल के लिए पंजाब में बना शीश महल, ठोकर खाकर भी सुधरने को नहीं तैयार।
प्रदीप सिंह।
जिस तरह जुआरी को जुआ खेलने की लत लग जाती है, उसी तरह राजनीति में भी ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें उसकी लत लग जाती है। जुआरी हार कर आता है और फिर अगली बाजी खेलने चला जाता है। उसको यह बात समझ में नहीं आती कि वह लगातार हार रहा है और उसके जीतने की संभावना नहीं है। उसको हर बाजी पर लगता है कि इस बार जीत जाएंगे। वह अपने अनुभव से कोई सीख नहीं लेना चाहता। यही हाल अरविंद केजरीवाल का है। वे ठोकर खाने के बाद भी संभलने को तैयार नहीं हैं। वे एक नई ठोकर खाने की तैयारी कर रहे हैं और यह उनके विरोधी नहीं कर रहे। यह अरविंद केजरीवाल खुद कर रहे हैं क्योंकि उनको लत लग गई है। लोग कहेंगे कि अरविंद केजरीवाल को किस चीज का एडिक्शन हो गया? सत्ता का तो हर राजनीतिक नेता को होता है इसलिए अरविंद केजरीवाल उसका अपवाद नहीं हैं, लेकिन उनको जो लत लगी है वह शीशमहल की है।

दिल्ली में उन्होंने अपने लिए शीश महल बनवाया। 2025 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। इस मामले में जो सीएजी की रिपोर्ट आई, उससे खुलासा हुआ कि कितना खर्च हुआ, किस तरह से नियमों का उल्लंघन हुआ, किस तरह बेवजह महंगे सामान खरीदे गए और किस तरह से टेंडर की शर्तें बदली गईं। अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी की 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो हार हुई, उसमें एक बड़ा फैक्टर यह शीशमहल था। कई लोगों को सरकारी मकान की आदत लग जाती है। लुटियंस दिल्ली में जो नेता रह लिया हो, वह उसे छोड़ना नहीं चाहता। पहले तो ये चल जाता था लेकिन नियम बदले, कानून बदला तो यह अब मुश्किल हो गया। बीमारी का बहाना बनाकर शरद यादव तो आखिर तक सरकारी बंगले में जमे रहे। उनके अलावा भी तमाम लोग ऐसे हैं। कई लोग हैं, जो अदालत में चले जाते हैं। वहां से स्टे ले आते हैं। फिर नए-नए बहाने तलाशते हैं कि किस तरह से सरकारी बंगलों में बने रहें लेकिन वाजपेई सरकार के समय जो कानून बदला उसके बाद अगर आप सांसद या मंत्री नहीं है तो छह महीने से ज्यादा आप सरकारी मकान नहीं रख सकते हैं। इसके बाद कई लोगों से मकान जबरन खाली कराए गए। इस सरकार ने तो अपने ही पूर्व मंत्री से जबरन सरकारी आवास खाली करवाया। अरविंद केजरीवाल ने एक बात तो की कि राजनीति में बंगले को उन्होंने शीश महल में अपग्रेड कर दिया है। प्रधानमंत्री के लिए भी बंगला बन रहा है लेकिन वह प्रधानमंत्री का सरकारी आवास होगा। वह नरेंद्र मोदी का आवास नहीं होगा। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने जो शीशमहल बनवाया था, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास नहीं था। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे और उसमें रह रहे थे इसलिए उनके लिए यह बनाया गया। अब दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि इसको गेस्ट हाउस बना दिया जाएगा।

अब अरविंद केजरीवाल फिर पंजाब के कारण चर्चा में अए गए हैं। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है। वहां मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की वही स्थिति है, जो यूपीए राज में सोनिया गांधी के सामने मनमोहन सिंह की थी। मान ऐसी कठपुतली हैं, जिसकी डोर अरविंद केजरीवाल के हाथ में है। केजरीवाल का दिल्ली का शीश महल तो चला गया। अब वे कोई सामान्य घर में तो रह नहीं सकते। तो अब पंजाब में मुख्यमंत्री के कोटे से दो एकड़ का एक बंगला अरविंद केजरीवाल को अलॉट किया गया है जबकि अरविंद केजरीवाल न तो पंजाब के रहने वाले हैं, न पंजाब से विधायक या सांसद हैं और न ही राजनीतिक या सामाजिक किसी भी क्षेत्र में पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हैं। पंजाब से उनका राजनीतिक रूप से कोई लेना देना नहीं है सिवाय इसके कि उनकी पार्टी की सरकार है। हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का कन्वीनर होने के कारण उनको सरकारी मकान मिला हुआ है, लेकिन भाई शीशमहल तो शीशमहल होता है। मामूली सरकारी बंगले उस शीश महल का क्या मुकाबला करेंगे? तो अब पंजाब में उनके लिए शीश महल बन गया है। इस दो एकड़ के बंगले का रेनोवेशन भी कराया गया है। अरविंद केजरीवाल घर के सामने से हेलीपैड से हेलीकॉप्टर पर सवार होते हैं फिर दूसरे शहर में जाते हैं। वहां से पंजाब सरकार के सरकारी जेट से गुजरात जाते हैं पार्टी का काम करने के लिए। अब सरकारी विमान पार्टी के काम के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है? सरकारी विमान सरकारी काम के लिए इस्तेमाल होता है। मुख्यमंत्री के लिए मुख्य रूप से होता है। मंत्रियों को भी मिल सकता है। किसी इमरजेंसी में मुख्यमंत्री किसी और को भी दे सकते हैं लेकिन पार्टी के काम के लिए नहीं मिल सकता। एक समय 1989 में वीपी सिंह ने सवाल उठाया था कि राजीव गांधी एयरफोर्स के विमान से क्यों चलते हैं? चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तो उससे क्यों जाते हैं? तब उनको बताया गया था कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। लेकिन नेता लोग यह बातें बोलते हैं अपने विरोधी के लिए और अपने मामले में भूल जाते हैं। वही वीपी सिंह जब हिमाचल प्रदेश में शिमला से चौधरी देवीलाल के हेलीकॉप्टर से उड़े तो हंगामा मच गया था। सवाल उठा कि भाई आप तो राजीव गांधी का विरोध कर रहे थे। अब आप वही काम कर रहे हैं। हरियाणा सरकार के हेलीकॉप्टर में आपका क्या काम है? उसके बाद वीपी सिंह नहीं गए। लेकिन अरविंद केजरीवाल पंजाब सरकार के विमान को टैक्सी की तरह इस्तेमाल करते हैं। सवाल उठता है कि उसका इस्तेमाल करने के लिए वे एंटाइटल्ड तो हैं नहीं तो उनके फरमाबरदार के रूप में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान भी साथ जाते हैं। अब मुख्यमंत्री जा रहे हैं तो कौन ऐतराज करेगा? भगवंत सिंह मान भले ही पंजाब के मुख्यमंत्री हों लेकिन सुपर चीफ मिनिस्टर इस समय अरविंद केजरीवाल ही हैं। अरविंद केजरीवाल की सत्ता की भूख ऐसी है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। एक राज्य में सरकार गंवा चुके हैं। उनको यह समझ में नहीं आ रहा है कि शीश महल ने दिल्ली में उनकी सत्ता छीन ली फिर भी वे पंजाब में शीश महल चाहते हैं। पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनने वाला है। वैसे भी राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार की हालत खराब है। पंजाब सरकार की वित्तीय हालत इतनी दयनीय है कि जो वादे चुनाव में किए थे, वह पूरे नहीं कर पा रहे हैं। विकास के लिए पैसे नहीं हैं। देश के सबसे बड़े कर्जदार जो तीन-चार राज्य हैं, उनमें से एक पंजाब है। वहां दो बार ऐसा हो चुका है कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी देर से मिली है। लेकिन अरविंद केजरीवाल का शीश महल बनना चाहिए। अरविंद केजरीवाल को सरकार के जेट में सफर से कोई नहीं रोक सकता। जब तक वहां सरकार है कौन रोकेगा? और यह सिलसिला 2027 के विधानसभा चुनाव तक चलता रहेगा लेकिन उसके बाद केजरीवाल क्या करेंगे। मार्च 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव का नतीजा आ जाएग। जो स्थिति है मैं अभी से कह रहा हूं कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी की सरकार वहां नहीं बनने वाली है। 2027 में पंजाब में सबसे ज्यादा संभावना अगर किसी पार्टी की सरकार बनने की नजर आती है तो वो है कांग्रेस पार्टी। हालांकि चुनाव में अभी समय है तो कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन जिस रास्ते पर अरविंद केजरीवाल पंजाब को ले जा रहे हैं, जिस तरह से उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को कठपुतली बना रखा है। एक तरह से मान उनके सहायक के रूप में काम करते हैं, उसको देखते हुए यह समझ में आ रहा है कि स्वाभिमानी पंजाब के लोग आम आदमी पार्टी को दूसरा मौका नहीं देने वाले हैं और पंजाब की सत्ता अरविंद केजरीवाल की शीश महल की लिप्सा की भेंट चढ़ने वाली है। जिस दिन पंजाब का शीश महल जाएगा उस दिन अरविंद केजरीवाल आपको उसी तरह से किसी बंद कमरे में रोते हुए नजर आएंगे जैसे जब 2017 के विधानसभा चुनाव का नतीजा आया था तो उन्हीं के साथी बताते हैं कि कमरे में फर्श पर लोट-लोट कर रो रहे थे। उस समय उनको पूरी उम्मीद थी कि सत्ता आ रही है। इस समय अरिवंद केजरीवाल का जो लालच है, वह नहीं जा रहा है। उसके लिए वह अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हैं। पार्टी तक को डुबोने के लिए तैयार हैं।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ के संपादक हैं)



