स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का काम किया शुरू।
उल्लेखनीय है कि नितिन गडकरी ने बीते 12 जनवरी, 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च किया था।अब वे देश के हर एक गांव में इस इकोफ्रेंडली पेंट की फैक्ट्री खोलना चाह रहे हैं।गोबर से पेंट बनाने वाली एक फैक्ट्री खोलने में लगभग 15 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। यह पेंट पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है। इसके साथ ही यह देश का ऐसा पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ फफूंद-रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला है।
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, ये पेंट गाय के गोबर से जरूर बनता है लेकिन ये पूरी तरह से गंधहीन है। फिलहाल यह पेंट दो रूपों में उपलब्ध है – डिस्टेंपर और प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के रूप में मार्केट में आया है।
ज्ञात हो कि गोबर से पेंट बनाने का एमओयू छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग और नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के बीच हुआ है।इसके तहत प्रथम चरण में राज्य के 75 चयनित गौठान में प्राकृतिक पेंट निर्माण की इकाई स्थापित की जा रही है।
छत्तीसगढ़ के गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाएं और निजी संस्था गोबर से पेंट बना रही है, जो कि बिल्कुल बाजार में बिकने वाले अन्य पेंट की तरह दिखता है।रायपुर के जरवाय इलाके में गोबर से पेंट बनाने का काम हो रहा है। यहां गौठान में गोबर से इसे तैयार किया जा रहा है। इसे प्राकृतिक पेंट तथा अष्टलाभ भी कहा गया है।जरवाय गौठान की स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे के अनुसार समूह में 22 महिलाएं ने पेंट बनाने की शुरुआत अप्रैल 2022 से की है । गोबर से पेंट बनाने के लिए महिलाओं ने जिला प्रशासन की मदद से ट्रेनिंग ली। गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, एक, चार, और दस लीटर के डिब्बों में मिल रहा है । गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है । इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपये प्रति लीटर से शुरू होती है। गोबर वाला पेंट 150 रुपये से शुरू है। यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाता है।
इसे बनाने के लिए गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है ।फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है। इस लिक्विड को 100 डिग्री में गरम कर के उसका अर्क बनता है जिसे पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है। कुदरती कलर्स मिलाए जाते हैं। इसमें कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण महिलाओं को रोजगार का जरिया देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए सभी स्कूलों में रंगाई-पोताई गोबर से बने पेंट से करने के निर्देश दिये हैं।अब स्कूलों की पुताई में इसका इस्तेमाल हो रहा है।