#pradepsinghप्रदीप सिंह।

भारतीय जनता पार्टी को एक नया नाम मिला है- मुसलमान भारतीय जनता पार्टी। सभी पार्टियों की तरह भारतीय जनता पार्टी भी जब सत्ता में आती है तो उसे भी सेकुलरिज़्म का भूत कुछ सताता है। उसे भी लगता है कि अगर वह सेक्युलर नहीं हुई तो उसके बारे में लोगों की धारणा खराब हो जाएगी उसके लिए जीतना मुश्किल हो जाएगा। वह पार्टी जो दो-दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 बिना मुस्लिम वोट की जीत चुकी है- जो बिना मुस्लिम वोट के लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर चुकी है- एक बार 283 और दूसरी बार 303 सीटें लेकर। उस भारतीय जनता पार्टी को आज लग रहा है कि मुस्लिम वोटों के बिना उसका काम नहीं चलेगा।

तुष्टिकरण की राह पर भाजपा

बात इसकी नहीं है कि मुस्लिम वोट लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए- कोशिश करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर आप भी वही रास्ता अपना रहे हैं जिसका अपने विरोधियों पर आरोप लगाते थे- मुस्लिम तुष्टिकरण का- तो फिर आप में और बाकी में फर्क क्या रह गया? सवाल इसका है। किसी को एतराज नहीं है कि आप मुस्लिम समाज को अपने साथ जोड़ें। मुस्लिम समाज के लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़ें, वोट दें। वे हर पार्टी से जुड़ें- जो पार्टी उन्हें पसंद आए उससे जुड़ें- उसको वोट दें। यह डेमोक्रेसी की खूबसूरती है। इससे कोई एतराज नहीं कर सकता। लेकिन आप जिस बात की 75 साल से आलोचना कर रहे हैं अगर आप वही करने लगे तो सवाल उठना तो बड़ा लाजमी है।


आजम सवाल उठा रहे- फिर गौमाता की रक्षा कौन करेगा?

सवाल यह है कि यह मुद्दा उठा क्यों है? यह मुद्दा इसलिए उठा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में दो उपचुनाव हो रहे हैं। मैनपुरी में लोकसभा का उपचुनाव और दूसरा रामपुर में विधानसभा का उपचुनाव। मोहम्मद आजम खान जो रामपुर से विधायक थे उनकी विधायकी खत्म हो गई है। हेट स्पीच के आरोप में उनको तीन साल की सजा हो गई तो उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई है। उसके लिए उपचुनाव हो रहा है। अब आरोप कौन लगा रहा है आप देखें? आजम खान कह रहे हैं कि उन्हें खुशी है कि भाजपा कोर्स करेक्शन कर रही है… तो पसमांदा मुसलमान ही क्यों सारे मुसलमानों का भला करना चाहिए क्योंकि सारे मुसलमान बैकवर्ड हैं। आजम खान कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी अब ‘मुसलमान भारतीय जनता पार्टी’ बन गई है। आजम खान यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने जो कहा उसे भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रामपुर में मुस्लिम क्रिमिनल्स को भाजपा में भर्ती किया जा रहा है उससे सवाल उठता है कि क्या यह वही तुष्टीकरण की नीति है जिसका आरोप दूसरों पर लगाते थे। उन्होंने कहा कि इनमें ऐसे कई लोग हैं जो गौ-हत्या के दोषी हैं- गौ-तस्करी के दोषी हैं। इनको अब भाजपा अपनी पार्टी में शामिल कर रही है। आप देखिए कि आजम खान सवाल उठा रहे हैं- फिर गौ-माता की रक्षा कौन करेगा?

विचित्र स्थिति

अब यह एक विचित्र स्थिति हो रही है। भारतीय जनता पार्टी जो उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के बिना दो-दो बार दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आ चुकी है अगर उसे एक बाई इलेक्शन लड़ने के लिए तुष्टीकरण की नीति पर चलना पड़ रहा है तो प्रदेश और देश में दूसरी पार्टियां अपनी सरकार बनाने के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण करती हैं तो क्या गलत करती हैं? भारतीय जनता पार्टी उन पर सवाल कैसे उठा सकती है? तो क्रिमिनल्स भर्ती हो रहे हैं भाजपा में। जैसा कि सुन रहे हैं- शायद उनको पुलिस प्रोटेक्शन भी मिल जाए। इस तरह की मांग उठने लगी है उनकी ओर से तो वह भी किया जा सकता है।

किसका है ये फैसला

सवाल यह है कि पार्टी में यह फैसले कौन कर रहा है? किसके कारण इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं? और, इससे पार्टी को क्या फायदा होने वाला है? फिर उस हिन्दू मतदाता का क्या… जिसको आप समझाते थे कि हम मुस्लिम तुष्टीकरण नहीं करते- हम किसी का तुष्टीकरण नहीं करते- हम सबको समान भाव से देखते हैं। इस मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर अगर आप एक बाई इलेक्शन जीतने के लिए चल रहे हैं- तो यह आप पाप कर रहे हैं। फिर आप तुष्टीकरण- या मुस्लिम तुष्टीकरण- की राजनीति का विरोध करने का नैतिक अधिकार नहीं रखते… राजनीतिक अधिकार भी नहीं रखते। जैसे सब कर रहे हैं वैसे ही अगर आप भी कर रहे हैं तो आपने और सब में कोई फर्क नहीं है।

हिन्दू मतदाताओं पर असर

रामपुर का विधानसभा उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए महंगा साबित हो सकता है। इसका असर उन हिंदू मतदाताओं पर पड़ सकता है जिनको अभी अभी तक यह समझाया जाता था कि हम तुष्टीकरण के नाम पर मुस्लिम क्रिमिनल्स को- किसी भी समाज के इस तरह के तत्वों को- पार्टी में शामिल नहीं करते। जिन लोगों पर गोवंश की हत्या के आरोप हैं उनको जेल भेजने की बजाय अगर वे भारतीय जनता पार्टी के मंच पर शामिल हो रहे हैं, बैठ रहे हैं- तो इसके जरिए पार्टी संदेश क्या देना चाहती है? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी के दूसरे पदाधिकारी- या जिन लोगों ने भी यह फैसला किया है उनको सामने आकर जवाब देना चाहिए कि क्या पार्टी की नीति बदल गई है? जो मोहम्मद आजम खान कह रहे हैं कि पार्टी कोर्स करेक्शन कर रही है- तो  क्या भाजपा कोर्स करेक्शन कर रही है। क्या उसे लगा कि अभी तक वह जो कर रही थी वह गलत कर रही थी। अब वह जो करने जा रही है और कर रही है इस समय वही सही रास्ता है। ऐसा है तो पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए। फिर लोग अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी से बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को सामने आकर उनका जवाब देना चाहिए।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)