अमीश त्रिपाठी।

जब मैं बैंकिंग में था, तब अगर मुझसे कहा जाता कि मैं सफलता के अपने सारे प्रलोभन छोड़ दूं: कांच की दीवारों वाला केबिन, बोनस, तन्खाह, निजी सहायक, सीनियर मैनेजमेंट का ओहदा… और फिर पूछा जाता कि क्या अपने बैंकिंग करियर में मैं समान रूप से खुश रहूंगा… तो ईमानदारी भरा जवाब होता नहीं, मैं खुश नहीं रहूंगा।


 

सफलता पहली शर्त

मेरे लिए अपने बैंकिंग करियर को पसंद करने की थी। ऐसे भी अवसर आए जब मुझे वे प्रमोशन नहीं मिले थे जिनके लिए मैं खुद को हकदार मानता था, या वे बोनस जो उनसे कम थे जो मुझे मिलने चाहिए थे। ऐसे मौकों पर केवल मेरा हौसला ही नहीं, मेरी व्यक्तिगत खुशी भी रसातल में गिर जाती थी।

लेखन करियर की कहानी

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मेरे लेखन के करियर में कहानी बिल्कुल अलग है। अगर कोई मुझसे कहता कि मेरी किताबें सुपर फ़्लॉप रहेंगी! कि द इमॉर्टल्स आफ मेलूहा और द सीक्रेट आॅफ द नागाज उस तरह नहीं बिकेंगी जिस तरह बिकी हैं, कि उनकी केवल पच्चीस-पच्चीस प्रतियां ही बिकेंगी! तब भी क्या मैं खुश होता? …ईमानदारी का जवाब है हां। लेखन के मेरे कैरियर में सफलता या असफलता वाकई बेमानी हो गई हैं। उस समय भी जब सारे प्रकाशक, वाम, दक्षिण और केंद्रीय, मेरी किताब को रिजेक्ट कर रहे थे, मैंने एक पल के लिए भी यह नहीं सोचा कि किताब लिखकर मैंने अपना वक़्त बर्बाद किया। तब भी जब लग रहा था कि मेरी किताब कभी प्रकाशित नहीं होगी, मैं अपनी दूसरी किताब लिखने लगा था। मैं जानता था कि अगर मेरी किताबें नाकाम भी रहती हैं तब भी मैं बैंकिंग सैक्टर में तो काम कर ही रहा होऊंगा। मगर मैं लिखता भी रहूंगा, भले ही मेरी किताबें मेरे लैपटॉप में ही रहें। भले ही मेरी किताबें पढ़ने वाले लोग केवल लंबे समय से त्रस्त मेरे परिवार के लोग ही हों! मैं लिखना जारी रखूंगा। और यह एक शानदार स्थिति है। क्योंकि तब सफर खुद आनंदमय हो जाता है और मंजिल बेमानी हो जाती है।

नाकामी उदास न करे, कामयाबी अहंकार न भरे

107 Quotes on Failure and on How to Handle It (2021 Update)

मेरी मां, जो कि बेहद जहीन महिला हैं, ने एक बार मुझसे कहा था कि अगर तुम्हें कभी पता लगे कि तुम्हारा काम खुद तुम्हें आनंद दे रहा है और कि नाकामी तुम्हारे दिल को उदास नहीं करती है, और कामयाबी तुम्हारे मन में अहं भाव नहीं भरती तब तुम जान लोगे कि तुम अपनी आत्मा के उद्देश्य के साथ, अपने स्वधर्म के साथ तालमेल में काम कर रहे हो। मैं उसी शानदार स्थिति में हूं।

आत्मा की सलाह पर चलें

तो मेरे कहने का मुद्दा क्या है? क्या यह कि अगर आप अपनी आत्मा की सलाह पर चलें तो यकीनन सफलता पा लेंगे? यह सच हो सकता है लेकिन इस मुद्दे को तो कितने लोग साबित कर चुके हैं- वे लोग जो मुझसे कहीं ज्यादा ज्ञानी थे- उस भाषा में जो मेरी भाषा से कहीं ज्यादा काव्यात्मक है। मेरा नुक़्ता पूरी तरह से अलग है। वह यह है कि अगर आप अपनी आत्मा की आवाज सुनें और अपने जीवन का उद्देश्य पा लें, तो सफलता या असफलता वास्तव में अपने मायने खो देती हैं। और यही वह शानदार स्थान है जो मैंने खोजा था।

हमें करना बस यह है

जब भी मैं लिखता हूं या अपनी किताबों से जुड़ा कोई काम करता हूं, तो मैं अपने अंदर एक अथाह, गहन और सतत प्रसन्नता महसूस करता हूं। मेरे लिए, यह जीवन का सबसे बड़ा वरदान है। और यह वरदान हममें से प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध है! हमें करना बस यह है कि अपनी आत्मा की आवाज को सुनें और अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पाएं।
(लेखक भारतीय पौराणिक कथाओं के अत्यंत लुभावने, नूतन व्याख्याता हैं)