आपका अखबार ब्यूरो । 
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव एक बार फिर टल गया है। शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में फैसला हुआ कि संगठन के चुनाव मई के अंत कर करा लिए जायं। पार्टी के पूर्ण अधिवेशन के लिए 29 मई की तारीख तय की गई है। इन फैसलों से पहले बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यसभा उपनेता आनंद शर्मा में झड़प हो गई। अशोक गहलोत ने पूछा कि आप लोगों को चुनाव कराने की इतनी जल्दी क्यों है। गहलोत इस समय परिवार के खामखास हैं।

सचमुच चुनाव होने वाले हैं?

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह ऐलान पार्टी के असंतुष्टों को चुप कराने के लिए है या सचमुच चुनाव होने वाले हैं। क्योंकि अभी तक साफ नहीं हुआ है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए तैयार हैं या नहीं। चुनाव कार्यक्रम की अंतिम तारीख इसी आधार पर तय होगी। बहरहाल कार्यसमिति की बैठक का लब्बोलुआब यह कि सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी रहेंगी। वे डेढ़ साल पहले राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं। राहुल गांधी ने यह कहते हुए त्यागपत्र दिया था कि उनके परिवार से कोई अध्यक्ष पद नहीं संभालेगा। पर उनकी बात किसी और ने तो क्या परिवार यानी मां और बहन ने भी नहीं मानी।

पार्टी का असंतुष्ट गुट जल्दी से जल्दी संगठन के चुनाव चाहता है। पर सोनिया गांधी और उनके सिपहसालारों को राहुल गांधी की हां का इंतजार है। राहुल गांधी हैं कि हां तो करते नहीं लेकिन पार्टी के सारे अहम फैसले लेने में कोई संकोच नहीं करते। इससे एक बात जाहिर होती है कि वे जवाबदेही के बिना अधिकार चाहते हैं। और क्यों न चाहें। उनके सामने अपनी मां का उदाहरण है। जिन्होंने प्रधानमंत्री बने बिना दस साल तक सरकार चलाई। मनमोहन सिंह कठपुतली प्रधानमंत्री बने रहे।
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बिदक गए गहलोत- चुनाव की इतनी जल्दी क्यों

बैठक शुरू होते ही आनंद शर्मा ने संगठन चुनावों का मुद्दा उठाया। इस पर गहलोत बिदक गए। उन्होंने कहा आप लोगों को चुनाव की इतनी जल्दी क्यों है। क्या आपको सोनिया जी के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है। गहलोत ने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं, किसान आंदोलन चल रहा है और भी अहम मुद्दे हैं। ऐसे में आपको संगठन चुनाव की पड़ी है। आनंद शर्मा पर गहलोत की बात का असर नहीं पड़ा। वे संगठन चुनाव की तारीखों के एलान की बात करते रहे। दरअसल गहलोत सिर्फ परिवार का ही बचाव नहीं कर रहे थे। वे अपनी कुर्सी भी बचा रहे थे। राहुल गांधी के तैयार न होने पर सोनिया गांधी सिर्फ गहलोत पर भरोसा करने को तैयार हैं। पर गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़कर नहीं आना चाहते। उन्हें लग रहा है कि जब तक चुनाव टलता रहेगा उनकी सत्ता निष्कंटक रहेगी।
If Opposition Starts Singing Praises, Democracy Will Be Destroyed, Says Congress

असंतुष्ट गुट प्रसन्न नहीं

शुक्रवार की बैठक से पार्टी का असंतुष्ट गुट प्रसन्न नहीं है। वह चाहता है कि केवल अध्यक्ष पद ही नहीं कार्यसमिति के सदस्यों का भी चुनाव हो। वे नहीं चाहते कि कार्यसमिति में फिर से परिवार के नामजद किए लोग आएं। वैसे यह स्पष्ट नहीं है कि असंतुष्ट खेमा अपनी ओर से अध्यक्ष पद और कार्यसमिति के लिए कोई उम्मीदवार खड़ा करेगा या नहीं।