आपका अख़बार ब्यूरो।

अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने प्रसिद्ध पुरातत्वविद् के. के. मुहम्मद के व्याख्यान का आयोजन किया। इसका विषय था- टेंपल कंजर्वेशन: चैलेंजेस इन चंबल- अ स्टोरी ऑफ फॉलेन टेंपल्स एंड ह्यूमन इंजीनियरिंग। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के. के. मुहम्मद ने इस व्याख्यान में मुरैना जिले के बटेश्वर में मंदिरों के समूह के पुनरुद्धार की कहानी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इस मंदिर के पुनर्निर्माण में क्या चुनौतियां आईं और किस प्रकार चंबल के डकैतों ने इस कार्य में मदद की।

इस अवसर पर यूनेस्को के 50 साल पूरे होने और भारत को ‘जी20’ 2023 की अध्यक्षता मिलने के उपलक्ष्य में यूनेस्को के पोस्टरों की एक प्रदर्शनी ‘हेरिटेज अक्रॉस द वर्ल्ड’ का उद्घाटन भी किया गया। आईजीएनसीए के अभिलेखागार ने इस प्रदर्शनी का आयोजन किया। आईजीएनसीए अभिलेखागार में 44 यूनेस्को पोस्टर हैं, जो ‘जी20’ देशों और विशेष आमंत्रित देशों के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों के संरक्षित स्थलों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदर्शित किए गए। ये पोस्टर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित विश्व धरोहर स्थलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। गौरतलब है कि अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर डेटा के मानकीकरण, आदान-प्रदान और प्रसार के लिए आईजीएनसीए को यूनेस्को द्वारा दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में कला, सांस्कृतिक विरासत और जीवनशैली पर क्षेत्रीय डेटाबेस के विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में भी चिन्हित किया गया है।

अपने व्याख्यान में पद्मश्री के.के. मुहम्मद ने 2004 से 2012 तक मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के बटेश्वर में मंदिर समूह के पुनरुद्धार के बारे में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया। उन्होंने फोटोज के माध्यम से दिखाया कि बटेश्वर में वे सारे मंदिर किस अवस्था में थे और पुनरुद्धार के बाद कैसे वो पुनः एक मंदिर समूह में परिणत हो गए। यह देखना और जानना एक चकित कर देने वाला अनुभव था। उन्होंने बताया कि दस्यु प्रभावित चंबल के इलाके में यह कार्य शुरू करना कितना चुनौतीपूर्ण और खतरों से भरा था, लेकिन वे डकैतों को इन मंदिरों के महत्त्व के बारे में समझाने में सफल रहे, जो करीब 1,250 वर्ष पुराने हैं। इसके बाद डकैतों ने भी इन मंदिरों के पुनर्निर्माण में काफी सहयोग किया। उन्होंने कहा कि जब वे वहां मंदिरों का पुनरुद्धार कर रहे थे तो एक मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं थी। उन्होंने कुछ शास्त्रीय लक्षणों के अनुसार, उसके शिव मंदिर होने का निश्चय किया। लेकिन एक समस्या थी शिव मंदिर है, तो उसका नंदी कहां है। फिर उन्होंने मंदिर के आसपास देखा तो एक छोटे-से नंदी दिखाई दिए। के.के. मुहम्मद ने कहा, “मुझे एक छोटे-से क्यूट नंदी दिखाई दिए। मुझे ऐसा लगा, जैसे 1,200 सालों से मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे।” बटेश्वर के मंदिरों के पुनर्निर्माण का यह भागीरथ कार्य एक मील का पत्थर है। के.के. मुहम्मद ने अपने व्याख्यान में मंदिरों के स्थापत्य पहलुओं पर प्रकाश डाला और खंडित बटेश्वर मंदिरों और खंडहरों की आश्चर्यजनक तस्वीरें प्रस्तुत कीं। बटेश्वर हिंदू मंदिर समूह मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित बलुआ पत्थर से निर्मित लगभग 200 हिंदू मंदिरों का एक समूह है।

व्याख्यान से पहले, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय केंद्र, रांची के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक एवं पुरालेखापाल डॉ. कुमार संजय झा ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और विश्व सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए यूनेस्को संगठनों के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने दर्शकों को यह भी बताया कि यूनेस्को सूची में भारत की 32 विरासतें शामिल हैं और यूनेस्को की सूची में अब तक 167 से अधिक देशों के कुल 1157 विरासतों को शामिल किया गया है। डॉ. कुमार संजय झा ने 1992 में यूनेस्को, दिल्ली कार्यालय द्वारा दान किए गए 44 यूनेस्को पोस्टरों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने के लिए आईजीएनसीए संरक्षण प्रयोगशाला ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक संपदाओं के बारे में लोगों को शिक्षित करने और जागरूकता पैदा करने के लिए कला के संरक्षण पर एक कार्यशाला भी आयोजित की। यह कार्यशाला भारत सरकार द्वारा प्रगति मैदान में आयोजित ‘म्यूजियम एक्सपो’ का हिस्सा थी।

व्याख्यान से पूर्व आईजीएनसीए के संरक्षण प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. अचल पंड्या ने पद्मश्री के.के. मुहम्मद के कार्यों का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यकाल के दौरान श्री के.के. मुहम्मद द्वारा की गई खोजों और उनके योगदानों पर भी प्रकाश डाला। इस विशेष व्याख्यान का समापन आईजीएनसीए की शैक्षणिक इकाई के प्रभारी प्रोफेसर अरुण कुमार भारद्वाज के उद्बोधन के साथ हुआ। उन्होंने ने श्री के.के. मोहम्मद के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उनकी तुलना लोकनायक जय प्रकाश नारायण से की।