apka akhbar-ajayvidyutअजय विद्युत।

पाकिस्तान में ‘ननकाना साहिब’ सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहां सभी भारतवासी अत्यंत श्रद्धा के साथ शीश नवाने जाते हैं। गुरु नानक जी का जन्म तलवंडी (अब पाकिस्तान) में 15 अप्रैल 1469 को एक साधारण किसान के घर हुआ था। यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर के पास है जिसे अब ‘ननकाना साहिब’ के नाम से जाना जाता है। गुरुनानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु थे। सिख धर्म में नानक जी के बाद नौ गुरु और हुए।


 

यहां भव्य एवं दिव्य गुरुद्वारा है। गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश स्थान के चारों ओर लम्बी चौड़ी परिक्रमा है। गुरुग्रंथ साहिब को मत्था टेककर श्रद्धालु इसी परिक्रमा में बैठकर शबद कीर्तन का आनन्द लेते हैं। परिक्रमा में गुरुनानक देव जी से संबंधित कई सुन्दर पेंटिग्स लगी हुई हैं।

सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता

मन में उल्लास, होठों पर वाहेगुरु का जाप। ननकाना साहिब में सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमग करता ननकाना साहिब एक स्वर्गिक नजारा पेश करता है। पवित्र सरोवर में स्नान करने वालों का सैलाब उमड़ पड़ता है। रागी साहिबान द्वारा गुरुवाणी के शबद कीर्तन का प्रवाह रात तक चलता रहता है। हॉल में बैठकर श्रद्धालु लंगर छकते हैं। पहले पंगत फिर संगत की शानदार प्रथा ढेरों गुण समेटे हुए है।

Ik Onkar: Devotees flock to Gurdwaras on Gurupurab across India & Pakistan | Photos | India News – India TV

गुरु पर्व पर छटा निराली

दुनियाभर से हजारों हिन्दू, सिख गुरुपर्व से कुछ दिन पहले ननकाना साहिब पहुंचते हैं और दस दिन यहां रहकर विभिन्न समारोहों में भाग लेते हैं। शानदार नगर कीर्तन निकाला जाता है।

इस अवसर पर पाकिस्तान के मुस्लिम भाइयों के अलावा वहां बसे हिन्दू भी बड़ी संख्या में पहुंच कर अपने मेहमानों की सेवा-सत्कार करते हैं। कई मुस्लिम गायक और संगीतकार भी गुरु घर के प्रति श्रद्धा रखते हैं। वे ननकाना साहिब में शबद कीर्तन करते हैं।

महाराजा रणजीत सिंह ने निर्माण कराया

महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु नानक देव के जन्म स्थान को चिह्नित करने के लिए इसका निर्माण कराया था। यात्रियों के ठहरने के लिए यहां कई सराय हैं। यह पाकिस्तान के सबसे तेज गति से विकसित होने वाले स्थानों में से एक है। गुरु नानक देव के जन्म के समय इस जगह को ‘रायपुर’ के नाम से भी जाना जाता था। उस समय राय बुलर भट्टी इस इलाके का शासक था और बाबा नानक के पिता उसके कर्मचारी थे।

गुरु नानक देव की आध्यात्मिक रुचियों को सबसे पहले उनकी बहन नानकी और राय बुलर भट्टी ने ही पहचाना। राय बुलर ने तलवंडी शहर के आसपास की 20 हजार एकड़ जमीन गुरु नानक देव को उपहार में दी थी, जिसे ‘ननकाना साहिब’ कहा जाने लगा।

The Pilgrims' Progress | Newsline

नौ गुरुद्वारे

ननकाना साहिब गुरुनानक देवजी की पवित्र याद को समेटे हुए है। इसकी धरती की गोद में गुरुनानक का बालपन बीता, खेले-कूदे। अज्ञान के अवसान और ज्ञान के सूर्याेदय की भूमि भी यही है।

ननकाना साहिब के आसपास ‘गुरुद्वारा जन्मस्थान’ सहित नौ गुरुद्वारे हैं। ये सभी गुरु नानक देव के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित हैं। जिस स्थान पर नानकजी को पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा गया, वहां आज पट्टी साहिब गुरुद्वारा शोभायमान है। निद्रा में लीन गुरुनानक देव जी पर जहां सांप ने अपने फन को फैला कर छाया की, वहां भी गुरुद्वारा बना हुआ है। करीब 70 किलोमीटर दूर सच्चा सौदा गुरुद्वारा है, जहां उन्होंने भूखे साधुओं को भोजन कराया था।


ये भी पढ़ें

राम … भारत में सबसे पहली किरण इंकलाब की : शम्सी मीनाई

कम्बोडिया : कभी ‘संस्कृत’ थी राष्ट्रभाषा

म्यांमार : भारतीय संस्कृति के रंग यहां भी