दिन-भर काम करके रात में घर आते हैं लोग।
श्री श्री रविशंकर।
नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें और नयी रात। सृष्टि अंधकार में ही होती है, माता के गर्भ में या मिट्टी के अन्तराल में। गर्भ के ये नौ महीने नौ लम्बी रातों के समान हैं जिनमें आत्मा मानव – शरीर धारण करती है। रात्रि विश्राम देती है और शक्ति का पुनः संचार करती है। रात्रि विश्राम का समय होता है। यह मन और शरीर में पुनः ऊर्जा भरने का समय होता है। दिन-भर काम करके लोग रात में घर आते हैं और उत्सव एवं खुशी मनाते हैं, प्रार्थना करते हैं। रात्रि में सारी सृष्टि सो जाती है।
ये नौ रातें बहुमूल्य
नवरात्रि की ये नौ रातें बहुमूल्य हैं क्योंकि ये अति सूक्ष्म ऊर्जा से परिपूर्ण हैं। “देवी माँ” की चौसठ प्रेरणाएँ हैं जो सूक्ष्म सृष्टि का नियंत्रण करती हैं। और सभी सांसारिक व आध्यात्मिक हितों का पुन: संचार करने का दायित्व इनका ही है। ये प्रेरणाएँ, शक्तियाँ, हमारी जाग्रत चेतना में निहित हैं। इन दैवी शक्तियों को पुनः प्रज्जवलित करने के लिए और हमारे जीवन की आंतरिक गहनता को पुनः नवीन करने के लिए नौ रातों का यह उत्सव मनाया जाता है।
अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करो। अपने शरीर को जल से स्वच्छ करो, अपनी आत्मा को ज्ञान से, प्राणायाम व ध्यान से शुद्ध करो।
नवरात्रि को सही रूप में कैसे मनाएं?
अपने मन और शरीर को विश्राम दें
नवरात्रि आपकी आत्मा के विश्राम का समय है। यह वह समय है जिसमें आप खुद को सभी क्रियाओं से अलग कर लेते हैं (जैसे खाना, बोलना, देखना, छूना, सुनना और सूंघना) और खुद में ही विश्राम करते हैं। जब आप इन्द्रियों की इन सभी क्रियाओं से अलग हो जाते हैं तब आप अंतर्मुखी होते हैं और यही वास्तविक रूप में आनंद, सुख और उत्साह का स्त्रोत है।
हममें से बहुत से लोग इसका अनुभव नहीं कर पाते क्योंकि हम निरंतर किसी न किसी काम में उलझे रहते हैं। हमारा मन हर समय व्यस्त रहता है। नवरात्रि वह समय है, जब हम खुद को अपने मन से अलग कर लेते हैं और अपनी आत्मा में विश्राम करते हैं। यही वह समय है जब हम अपनी आत्मा को महसूस कर सकते हैं।
याद करिए कि आपका मूल क्या है
नवरात्रि वह मौका है जब आप इस स्थूल भौतिक संसार से सूक्ष्म आध्यात्मिक संसार की यात्रा कर सकते हैं। सरल शब्दों में – अपने रोज़ाना के कार्यों में से थोड़ा समय निकालिए और अपने ऊपर ध्यान ले जाईये। अपने मूल के बारे में सोचिये, आप कौन हैं और कहाँ से आये हैं। अपने भीतर जाईये और ईश्वर के प्रेम को याद करके विश्राम करिए।
तीन दिन तमोगुण, तीन दिन रजोगुण और अंतिम तीन दिन सत्त्वगुण
नवरात्रि के नौ दिन ब्रह्मांड को बनाने वाले तीन मौलिक गुणों में आनन्दित होने का अवसर हैं। यद्यपि हमारा जीवन तीन गुणों से संचालित होता है, हम शायद ही कभी उन्हें पहचानते हैं और उन पर विचार करते हैं। नवरात्रि के पहले तीन दिन तमोगुण, अगले तीन दिन रजोगुण और अंतिम तीन दिन सत्त्वगुण के हैं। हमारी चेतना तमो और रजो गुणों के माध्यम से चलती है और अंतिम तीन दिनों के सत्व गुण में खिलती है। जीवन में जब भी सत्त्व हावी होता है, विजय उसके बाद आती है। इस ज्ञान के सार को दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाकर सम्मानित किया जाता है।
श्रद्धा रखिये
हम इस ब्रह्माण्ड से जुड़े हुए हैं, उस परम शक्ति से जुड़े हुए हैं जो इस पूरी सृष्टि को चला रही है। यह शक्ति प्रेम से परिपूर्ण है। यह पूरी सृष्टि प्रेम से परिपूर्ण है। नवरात्रि वह समय है, जिसमें आप याद करते हैं कि उस परम शक्ति को आप बहुत प्रिय हैं! प्रेम की इस भावना में विश्राम करिए। ऐसा करने पर आप पहले से अधिक तरोताज़ा, मज़बूत, ज्ञानी और उत्साहित महसूस करते हैं।
यदि आप आध्यात्मिक संसार की यात्रा करना चाहते हैं तो उसका मार्ग है– मौन, उपवास, जाप और ध्यान।
(लेखक प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी हैं)