आपका अखबार ब्यूरो।
शनिवार, 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमले के बाद सीआरपीएफ का जो जवान लापता था, आज नक्सलियों ने उसकी तस्वीर जारी की है। नक्सलियों ने इसके पहले दावा किया था कि सीआरपीएफ का जवान उनके कब्जे में है और उसे छुड़ाने के लिए उन्होंने सरकार के सामने शर्त रखी थी।
नक्सलियों ने आज उस जवान की तस्वीर जारी कर कहा है कि वे जवानों के दुश्मन नहीं हैं। वे अपहृत कोबरा कमांडो को रिहा कर देंगे। उन्होंने सरकार से कहा है कि वह बातचीत के लिए मध्यस्थों की समिति बनाकर उसके सदस्यों के नामों की घोषणा करे। वह मध्यस्थों की समिति के सामने अपनी मांगें रखेंगे।
सरकार से मध्यस्थों की समिति बनाने को कहा
बीजापुर के एक पत्रकार गणेश मिश्रा ने बताया है कि उनके पास नक्सलियों ने फोन किया था कि सीआरपीएफ का लापता जवान उनके कब्जे में है। वह घायल है और उसका इलाज किया जा रहा है। जवान को गोली लगी है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने इससे पहले एक पर्ची जारी कर केंद्र सरकार से बातचीत करने की इच्छा जताई थी। साथ ही जवानों को रिहा करने के लिए मध्यस्थों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा था।
नक्सलियों ने कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करें। फिर उसके बाद वे उन्हीं मध्यस्थों के सामने अपनी शर्तों के बारे में बताएंगे कि वे सरकार से क्या चाहते हैं।
दो-तीन दिन में रिहाई संभव
उम्मीद जताई जा रही है कि जवान की रिहाई अगले दो-तीन दिन में हो सकती है। राकेश्वर के परिवार ने सरकार से आग्रह किया है कि वे उन्हें जल्दी से जल्दी सुरक्षित रिहा कराए। राकेश्वर की पांच साल की बेटी ने भी एक वीडियो के जरिये नक्सलियों से अपने पिता को छोड़ने की अपील की थी।
ली जा रही स्थानीय लोगों की मदद
दूसरीओर सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह का कहना है कि लापता जवान की रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मीडिया के साथ-साथ गांव के लोगों को भी मध्यस्थता के लिए लगाया गया है। पुलिस को अभी जवान की लोकेशन का पता नहीं चला है, लेकिन विश्वास है कि जल्दी ही जवान को रिहा करा लिया जाएगा।
वहीं बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी. का भी कहना है कि लापता जवान को ढूंढ़ने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं। इलाके के निवासियों, सामाजिक संगठनों, स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के माध्यम से भी राकेश्वर के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
घात लगाकर किया था हमला
ज्ञात हो कि सुरक्षाबलों की टीम जब नक्सलियों की तलाश में इलाके में सर्च ऑपरेशन के लिए गई थी, तब नक्सलियों ने घात लगाकर जवानों पर हमला बोल दिया था। करीब तीन घंटे तक उन्होंने गोलीबारी की, ग्रेनेड लॉन्चर और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया, जिसमें 22 जवान मारे गए थे।
मुठभेड़ के दौरान नक्सली सीआरपीएफ के एक जवान का अपहरण कर अपने साथ ले गए थे। सीआरपीएफ के जवान का नाम राकेश्वर मन्हास है, जो जम्मू के निवासी हैं। वे 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे और तीन महीने पहले ही उनकी छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग हुई थी।
नक्सली भी मारे गए
सुरक्षाबलों के अनुसार, एक दर्जन से ज्यादा नक्सली भी इस मुठभेड़ में मारे गए थे। अपने साथियों की लाशों को ले जाने के लिए नक्सलियों ने ट्रॉली का इस्तेमाल किया था, यह बात सर्विलांस ड्रोन द्वारा ली गई तस्वीरों और वीडियो से पता चली थी। हालांकि नक्सलियों का कहना है कि इस मुठभेड़ में उनके 4 लोग ही मारे गए हैं।