एनटीए को इस मामले में हुई अनियमितताओं से बचना चाहिए।
आपका अख़बार ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 अगस्त) को कहा कि उसने प्रश्नपत्र लीक की चिंताओं के कारण विवादों से घिरी राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 परीक्षा को रद्द नहीं किया क्योंकि इसकी शुचिता में कोई प्रणालीगत चूक नहीं पायी गई है। कोर्ट ने परीक्षा के आयोजन के संबंध में की गई “अनियमितताओं” के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की आलोचना की।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश के विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई के अपने आदेश के कारणों को बताते हुए विस्तृत निर्णय सुनाया, जिसमें पेपर लीक और कदाचार के कारण 5 मई को आयोजित NEET-UG परीक्षा रद्द करने से इनकार किया था।
यह मानते हुए कि इस बात को दर्शाने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि लीक व्यापक थी और पूरी परीक्षा की पवित्रता को प्रभावित कर रही थी, कोर्ट ने एनटीए द्वारा की गई चूकों को उजागर किया।
मौखिक घोषणा के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने कहा कि एनटीए को अब इस मामले में की गई अनियमितताओं से बचना चाहिए। एनटीए में ये अनियमितताएं छात्रों के हित में नहीं हैं।” सीजेआई ने उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र बदलने की अनुमति देने और नए रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने के लिए “पीछे का दरवाजा” खोलने के लिए एनटीए पर सवाल उठाया।
सीजेआई ने गलत प्रश्नपत्र दिए जाने के कारण समय की हानि की भरपाई के लिए 1563 स्टूडेंट को अनुग्रह अंक देने के एनटीए के फैसले पर भी सवाल उठाया। हालांकि, बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया और उन स्टूडेंट को फिर से परीक्षा देनी पड़ी।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने अस्पष्ट प्रश्न के लिए दूसरा विकल्प देने वाले स्टूडेंट को अनुग्रह अंक देने के एनटीए के फैसले की ओर भी इशारा किया। बाद में आईआईटी-दिल्ली द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने राय दी कि प्रश्न का केवल एक ही सही उत्तर है, जिसके बाद न्यायालय ने एनटीए को तदनुसार परिणामों को संशोधित करने का निर्देश दिया।
सीजेआई ने बताया कि दो उत्तरों को सही उत्तर मानने के एनटीए के फैसले के कारण 44 स्टूडेंट को पूरे 720 अंक मिले। सीजेआई ने कहा, “हमने सभी कमियों को उजागर किया और हमने कहा कि विशेषज्ञ समिति को सुधार करना चाहिए।”
विशेषज्ञ समिति को अतिरिक्त निर्देश
न्यायालय ने अपने निर्णय में परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाने के उपायों की जांच करने के लिए 22 जून को केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को अतिरिक्त निर्देश दिए । न्यायालय ने विशेषज्ञ समिति से परीक्षा प्रक्रिया में कठोर जांच सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा तंत्र का मूल्यांकन करने के लिए कहा है। समिति को रजिस्ट्रेशन, परीक्षा केंद्रों के परिवर्तन, ओएमआर शीट की सीलिंग और भंडारण के लिए समय-सीमा के संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए कहा गया। अन्य सुझाव इस प्रकार हैं:
1. उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र आवंटित करने की प्रक्रिया की समीक्षा करें।
2. सभी परीक्षा केंद्रों पर व्यापक सीसीटीवी निगरानी की व्यवहार्यता पर विचार करें।
3. पेपरों की छपाई, परिवहन की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए समीक्षा करें।
4. सुझाव दें परिवहन के लिए खुले ई-रिक्शा के बजाय वास्तविक समय के लॉक वाले बंद वाहनों का उपयोग करने की व्यवहार्यता का पता लगाएं।
5. विभिन्न चरणों में पहचान जांच को बढ़ाएं, प्रतिरूपण की जांच के लिए तकनीकी नवाचार और प्राइवेसी लॉ को ध्यान में रखें।
न्यायालय ने समिति को 30 सितंबर, 2024 तक रिपोर्ट तैयार करने को कहा। इसके बाद शिक्षा मंत्रालय एक महीने में लागू किए जाने वाले कार्यक्रम को तैयार करेगा और फिर उक्त निर्णय के दो सप्ताह बाद न्यायालय को घटनाक्रम से अवगत कराएगा।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 5 मई, 2024 को अंडर ग्रेजुएट (UG) मेडिकल एडमिशन के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) को पेपर लीक और कदाचार के लिए रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर यह फैसला सुनाया। परिणाम 4 जून को घोषित किए गए। न्यायालय ने कहा कि लीक हजारीबाग और पटना के केंद्रों में स्थानीय थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि दोबारा परीक्षा का आदेश देने से 23 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे और शैक्षणिक कार्यक्रम बाधित होगा, जिसका आने वाले वर्षों में व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
23 जुलाई के आदेश के मुख्य निष्कर्ष
यह तथ्य कि नीट-यूजी 2024 का पेपर हजारीबाग और पटना में लीक हुआ था, विवाद का विषय नहीं है।
जांच के हस्तांतरण के बाद सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई द्वारा किए गए खुलासे से संकेत मिलता है कि जांच जारी है। हालांकि, इसने संकेत दिया कि वर्तमान सामग्री से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए लगभग 155 स्टूडेंट घोटाले के लाभार्थी प्रतीत होते हैं।
चूंकि सीबीआई द्वारा की गई जांच अंतिम रूप नहीं ले पाई है, इसलिए न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह संकेत देने को कहा कि क्या 571 शहरों में परिणामों से कोई असामान्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। संघ ने आईआईटी मद्रास की एक रिपोर्ट पेश की है। न्यायालय ने संघ द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की स्वतंत्र रूप से जांच की।
वर्तमान चरण में रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री का अभाव है, जो इस निष्कर्ष पर ले जाए कि परीक्षा का परिणाम खराब है या परीक्षा की पवित्रता में कोई व्यवस्थित उल्लंघन है।
रिकॉर्ड पर प्रस्तुत डेटा प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक का संकेत नहीं देता है, जिससे परीक्षा की पवित्रता नष्ट हो जाएगी।
न्यायालय इस तथ्य से भी अवगत है कि वर्तमान वर्ष के लिए नए सिरे से NEET-UG परीक्षा का निर्देश देना 2 मिलियन से अधिक स्टूडेंट के लिए गंभीर परिणामों से भरा होगा, जिसमें विशेष रूप से शामिल हैं – (1) एडमिशन कार्यक्रम में व्यवधान, (2) मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रम पर व्यापक प्रभाव, (3) भविष्य में योग्य मेडिकल पेशेवरों की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव, (4) स्टूडेंट के हाशिए के समूहों के लिए गंभीर नुकसान का तत्व, जिनके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया।
न्यायालय दागी और बेदाग को अलग करने की संभावना के सुस्थापित परीक्षण द्वारा निर्देशित है। इसके अलावा, यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि यदि जांच में लाभार्थियों की बढ़ी हुई संख्या की संलिप्तता का पता चलता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
तर्क और प्रस्तुतियां
पीठ को बताया गया कि 50वाँ प्रतिशत योग्यता के लिए कट-ऑफ का प्रतिनिधित्व करता है। परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार अंक होते हैं। इस प्रकार कुल 720 अंक होते हैं। गलत उत्तरों के लिए एक नकारात्मक अंक निर्धारित किया जाता है।
50वां प्रतिशत 720 में से 164 अंक बनता है। इस प्रकार सभी उम्मीदवार जिन्होंने कम से कम 164 अंकों की सीमा प्राप्त की है, वे प्रवेश के लिए विचार किए जाने के योग्य हैं।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लीक प्रकृति में प्रणालीगत था और परीक्षा के तौर-तरीकों में संरचनात्मक कमियों के साथ तन्वी सरवाल बनाम सीबीएसई (2015) में न्यायालय द्वारा निर्धारित मिसालों के मद्देनजर, एकमात्र स्वीकार्य कार्रवाई फिर से परीक्षा कराने का निर्देश देना है।
संघ और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने यह रुख अपनाया कि लीक प्रकृति में स्थानीय थी और लाभार्थियों की पहचान की जा सकती थी। संघ ने आईआईटी-मद्रास द्वारा तैयार की गई डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें परिणामों में कोई असामान्यता या किसी बड़े पैमाने पर कदाचार का संकेत नहीं दिखाया गया।
न्यायालय ने लगभग चार दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद शाम को फैसला सुनाया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इसके बाद तर्कपूर्ण निर्णय दिया जाएगा।