भगवान रामलला से जुड़ा ये रोचक तथ्य आपको रोमांचित कर देगा
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर में रामलला विराजमान होने के बाद श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। पहले ही दिन 5 लाख लोगों ने प्रभु के बाल स्वरूप के दर्शन किए और आज भी भीड़ लगी ही हुई है। इस उत्साह के बीच राम मंदिर में विराजमान हुए रामलला के नवनिर्मित विग्रह को लेकर कुछ जानकारी सामने आई है।
कोई सामान्य पत्थर नहीं
मीडिया में आई सभी जानकारियों में विशेषज्ञों के हवाले से यह बताया गया है कि 51 इंच ऊँची और 200 किलो के वजन वाली रामलला की मूर्ति कोई सामान्य पत्थर से नहीं बनी, बल्कि इसे बनाने के लिए इस्तेमाल हुआ पत्थर 2.5 अरब साल पुराना ग्रेनाइट है। इसपर न पानी का असर पड़ता है और न ही कार्बन का। मौसम के तमाम बदलावों के बाद भी ये पत्थर वैसे का वैसा ही रहता है। इस चट्टान को ‘कृष्ण शिला’ भी कहा जाता है क्योंकि इसका रंग प्रभु कृष्ण के रंग जैसा है।
इस पत्थर पर मौसम का कोई असर नहीं
इस बारे में जानकारी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रॉक मेकेनिक्स के डायरेक्टर एच एच वेंकटेश ने दी है। भारत में न्यूक्लियर पावर प्लांट्स और बाँधों के निर्माण के लिए पत्थरों एवं चट्टानों को चेक करने का कार्य यही संस्था करती है। उन्होंने इस चट्टान के बारे में बात करते हुए कहा कि ये एक ग्रेनाइट पत्थर है। इस पर मौसम का कोई असर नहीं होता है।
लावा के पिघलने से बना ग्रेनाइट पत्थर
उन्होंने बताया कि पृथ्वी निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए थे तो उसी लावा के पिघलने से ग्रेनाइट पत्थर बने थे। ये पत्थर बेहद ठोस होते हैं। बदलते मौसम से इसपर कोई असर नहीं पड़ता। वहीं विशेषज्ञों ने बताया कि ये पत्थर प्री क्रैम्ब्रियन काल का है, जिसकी शुरुआत 4 अरब साल पहले हुई थी यानी वैज्ञानिकों के अनुसार, ये पत्थर तब का है जब जीवन की शुरुआत हुई थी।
पत्थर पर 1 हजार साल तक कोई फर्क नहीं पड़ेगा
केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी पिछले दिनों राम मंदिर को लेकर कहा था कि प्रभु का मंदिर ऐसे तकनीक से बन रहा है कि 1 हजार साल तक इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके निर्माण में श्रेष्ठ तकनीक और उच्चतम क्वॉलिटी के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मूर्ति के लिए पत्थर कर्नाटक के मैसुरु के जयपुरा होबली गाँव से लिया गया। ये जगह शानदार क्वालिटी के काले ग्रेनाइट पत्थरों के लिए जानी जाती है।
अरुण योगीराज ने बनाई मूर्ति
मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकार हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में विराजमान रामलला की मूर्ति अरुण योगीराज द्वारा निर्मित की गई है। अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर चंपत राय भी सराहना कर चुके हैं। मूर्तिकार अरुण योगीराज को यह कला विरासत में मिली है, लेकिन वह हमेशा से मुर्तिकार नहीं बनना चाहते थे, उन्होंने एमबीए भी किया, लेकिन इस कला से दूर नहीं रह पाए और आज कई ऐतिहासिक मूर्तियों को तराशने का काम उन्होंने किया।
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योगीराज ने कई मूर्तियों को गढ़ा
अरुण योगीराज ने इस प्रकार की अन्य कई मूर्तियां तैयार की है जिसको प्रधानमंत्री मोदी ने अनावरण किया है। उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम में जगद्गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा हो या दिल्ली के इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा दोनों को योगीराज ने ही तैयार किया। वहीं, मैसूर में भगवान हनुमान की 21 फीट की मूर्ति भी अरुण योगीराज ने ही गढ़ा था।(एएमएपी)