अजय विद्युत।
भारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक खूबसूरत देश है। यहां धर्म, खेल, रोमांच- वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है।
देवताओं का घर
नेपाल विविधताओं से पूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर यहां बर्फ से ढ़कीं पहाड़ियां हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहां रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं।
बागमती नदी के तट पर भव्य मंदिर
देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल की राजधानी काठमांडो के तीन किलोमीटर उत्तर पश्चिम में देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है। हर साल हजारों लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं जिनमें से अधिकतर भारत के लोग होते हैं। यह भव्य मंदिर यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल है।
मंदिर में भारतीय पुजारियों की काफी संख्या है। सदियों से यह परंपरा रही है कि मंदिर में चार पुजारी और एक मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।
देवताओं ने शिव को वाराणसी लाने का प्रयास किया तो
नेपाल महात्म्य और हिमवतखंड पर आधारित स्थानीय किंवदंती के अनुसार भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले गए, जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में है। भगवान शिव वहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए।
केदारनाथ और पशुपतिनाथ
भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की किंवदंती के अनुसार पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए। लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया, तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया।
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