नैनो टेक्नोलॉजी विधि से इंसुलिन की नई कैप्सूल

इस नई दवा से मधुमेह रोगियों को नया जीवन मिल सकता है। उन्हें इंसुलिन की रोज-रोज लगाई जाने वाली सुई से छुटकारा मिल जाएगा। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कैप्सूल के रूप में नई इंसुलिन दवा वर्ष 2025 तक बाजार में आ जाएगी।हाल ही में प्रकाशित नेचर नैनो टेक्नोलॉजी रिसर्च पत्रिका में छपे ऑस्ट्रेलिया और नार्वे के वैज्ञानिकों के अनुसंधान कार्य को उल्लेखनीय सफलता मिली है जिससे मधुमेह के निदान में नई आशा का संचार हुआ है।फिलहाल , प्रयोगशाला स्तर पर दवा बनकर तैयार है और वैज्ञानिक बाजार में उतरने से पहले फील्ड ट्रायल के तहत मनुष्यों पर परीक्षण के लिए ले जाने वाले हैं।

विश्व प्रसिद्ध साइंस जर्नल “नेचर नैनोटेक्नोलॉजी” में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार दुनिया भर में लगभग 425 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इनमें से लगभग 75 मिलियन प्रतिदिन इंसुलिन इंजेक्शन लेते हैं। इस अनुसंधान से वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि शरीर में स्मार्ट इंसुलिन की आपूर्ति करने का नया तरीका खोज लिया गया है। इसके तहत इंजेक्शन के बदले में मधुमेह से पीड़ित मरीज इंसुलिन का कैप्सूल खाएंगे और सामान्य जीवन जी सकेंगे। इस नए इंसुलिन को एक कैप्सूल या इससे भी बेहतर मतलब, एक टुकड़े चॉकलेट के भीतर लेकर भी खाया जा सकेगा। इस कैप्सूल में इंसुलिन के छोटे-छोटे नैनो-वाहक डाले जाएंगे जिसके लिए नैनो टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाएगा।

नैनो टेक्नोलॉजी वह तकनीक है जिसमें बहुत भारी मात्रा को थोड़े से अंश में एकत्र कर लिया जाता है। यानी, नैनो टेक्नोलॉजी से निर्मित कण हमारे बाल की चौड़ाई का 1/10,000वां हिस्सा वल्बला इंसुलिन बनाया जा सकता है । इतने छोटे कि कोई भी उन्हें सामान्य माइक्रोस्कोप से भी नहीं देख सकता है।

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यूआईटी नॉर्वे के आर्कटिक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और इस अध्ययन टीम के रिसर्चर डॉक्टर पीटर मैककोर्ट बताते हैं कि, “इंसुलिन लेने का यह तरीका अधिक सटीक है क्योंकि यह शरीर के उन क्षेत्रों में तेजी से इंसुलिन पहुंचता है, जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जब एक सिरिंज के साथ इंसुलिन लेते हैं, तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है और बेवजह दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है,जबकि इसमें इस तरह की समस्या नहीं होगी। यह दवा सीधे इंसुलिन को लीवर तक ले जाएगा ।”(एएमएपी)