भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की मौद्रिक नीति के नतीजों का ऐलान हो गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यानी इन दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। इसका मतलब है कि आपकी ईएमआई (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। बैठक में मौजीद 6 में से पांच सदस्य रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में थे। यह लगातार छठी बार है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

शक्तिकांत दास ने की समीक्षा बैठक के नतीजे की घोषणा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान जताया है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिनों तक चली समीक्षा बैठक के नतीजे की घोषणा करते हुए कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी जारी है, शहरी खपत मजबूत बनी हुई है। वहीं, पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण निवेश का चक्र रफ्तार पकड़ रहा है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान

शक्तिकांत दास ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान जताया। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 7.2 फीसदी और 6.8 फीसदी रहेगी, जबकि अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही में इसके सात फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं। दास ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में विकास दर 7.3 फीसदी है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की गति अगले वित्त वर्ष 2024-25 में भी जारी रहने की उम्मीद है।

EMI पर ऐसे असर डालता है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर है, जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। वास्तव में रेपो रेट का असर आम लोगों द्वारा बैंकों से लिए गए लोन की ईएमआई पर देखने को मिलता है। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो आम लोगों की होम और कार लोन की ईएमआई घट जाती है और अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो कार और होम लोन की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है।

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देश की अर्थव्यवस्था मजबूत

शक्तिकांत दास ने आगे कहा कि बीते एक साल से भारतीय करेंसी में स्थिरता कायम है और ये आगे भी कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि सप्लाई चेन से संबंधित नए झटकों पर सतर्क रहने की जरूरत है। इस वर्ष हेडलाइन मुद्रास्फीति काफी अस्थिरता के साथ ऊंची बनी हुई है और अभी तक 4% का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर अनिश्चतता के बीच देश की अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है। उन्होंने कहा कि देश की इकोनॉमिक ग्रोथ तेज हो रही है और यह ज्यादातर पूर्वानुमानों से आगे है।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, आरबीआई ने पिछली बार विकास दर अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया था, जबकि वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.5 फीसदी से लेकर 6.9 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है।(एएमएपी)