अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ
जवाब की शुरुआता करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले तीन दिनों से अनेक वरिष्ठ सांसदों ने विचार व्यक्त किए हैं और सभी के विचार विस्तार से मुझ तक पहुंचे हैं। कुछ लोगों के विचार मैंने खुद भी सुने हैं। देश की जनता ने जो हम पर बार-बार विश्वास जताया है, उसका कोटि-कोटि आभार जताते हैं। भगवान बहुत दयालु हैं और मैं इसे ईश्वर का आशीर्वाद मानता हूं कि उन्होंने विपक्ष को सुझाया और वे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का यह अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी और एनडीए के लिए शुभ होता है। इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिये तय हो गया है कि जनता 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए को पहले के सारे रिकॉर्ड तोड़कर बहुमत देगी।

मोदी ने कहा कि 2018 में मैंने कहा था कि यह अविश्वास प्रस्ताव हमारी सरकार का शक्ति परीक्षण नहीं है, बल्कि उन्हीं (विपक्ष) का फ्लोर टेस्ट है। मतदान हुआ तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने वोट भी वो जमा नहीं कर पाए थे। उन्होंने कहा, “जब हम (2019 में) जनता के पास गए, तो जनता ने भी इनके लिए पूरी ताकत के साथ अविश्वास घोषित कर दिया। एनडीए को भी ज्यादा सीटें मिलीं और भाजपा को भी ज्यादा सीटें मिलीं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। आपने तय कर लिया है कि भाजपा और एनडीए पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़कर सरकार में फिर वापस आएं।
फील्डिंग विपक्ष की, चौके-छ्क्के हमारी तरफ से
पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष ने सही से चर्चा नहीं की। फील्डिंग विपक्ष ने लगाई, चौके-छक्के यहीं से (हमारी तरफ से) लगे। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर नो बॉल पर नो बॉल कर रहा है और सरकार की तरफ से सेंचुरी लगाई जा रही हैं। मैं विपक्ष से कहना चाहूंगा कि थोड़ी मेहनत करके आते। आपसे 2018 में कहा था कि मेहनत करके आना, लेकिन पांच साल में भी कुछ नहीं बदला।” आम आदमी पार्टी का नाम लिए बिना पीएम ने कहा कि आप जुटे तो अविश्वास प्रस्ताव पर जुटे और अपने कट्टर भ्रष्ट साथी उनकी शर्त पर मजबूर होकर जुटे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसी चर्चा की। आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं। ये हाल है आपका।

यह घमंडिया गठबंधन है
पीएम मोदी ने इंडिया नाम के नए गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘यह इंडिया गठबंधन नहीं, घमंडिया गठबंधन है और इसकी बारात में हर कोई दुल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है। इस गठबंधन ने यह भी नहीं सोचा कि किस राज्य में आप किसके साथ हैं। पश्चिम बंगाल में आप तृणमूल, लेफ्ट के खिलाफ हैं, दिल्ली में एकसाथ हैं। अधीर बाबू, 1991 में बंगाल विधानसभा चुनाव में इन्हीं कम्युनिस्ट पार्टी ने क्या व्यवहार किया था? आज भी इतिहास में दर्ज है। उन्होंने कहा कि पिछले साल केरल के वायनाड में जिन लोगों ने कांग्रेस के कार्यालय में तोड़फोड़ की, ये लोग उनके साथ दोस्ती करके बैठे हैं। पीएम मोदी ने गठबंधन पर हमला करते हुए कहा कि आप बाहर से तो लेबल बदल सकते हैं, लेकिन पुराने पापों का क्या होगा? यही पाप आपको लेकर डूबे हैं। आप जनता जनार्दन से यह पाप कैसे छुपा पाओगे। अभी हालात ऐसे हैं, इसलिए हाथों में हाथ, जहां हालात तो बदले, फिर छुरी आगे निकलेगी।’

अधीर पर ली चुटकी
अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री ने भी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि 1999 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया और शरद पवार ने उसका नेतृत्व किया। इसके बाद 2003 में सोनिया गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव रखा , पिछली बार 2018 में मल्लिकार्जुन खरगे ने विषय को आगे बढ़ाया। इस बार अधीर बाबू का क्या हाल हो गया, शायद कोलकाता (ममता बनर्जी का) से फोन आ गया होगा। उनकी पार्टी ने उन्हें बोलना का मौका नहीं दिया। अमित भाई ने इसका ध्यान दिया और हमारे कोटे के समय से अध्यक्ष जी आपने उन्हें बोलने का मौका दिया, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाए। गुड़ का गोबर कैसे करना है, उसमें ये माहिर हैं।(एएमएपी)



