‘महाभारत’ में ‘शकुनी मामा’ की भूमिका निभाने वाले गूफी पेंटल अब इस दुनिया में नहीं रहे। सोमवार सुबह मुंबई में उनका निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। गूफी पेंटल बढ़ती उम्र की बीमारियों से ग्रसित थे। गूफी पेंटल के भतीजे हितेन पेंटल ने उनके निधन की दुखद खबर को साझा करते हुए बताया कि वह अब हमारे बीच नहीं रहे। अभिनय के क्षेत्र में गूफी पेंटल ने एक लंबा सफर तय किया था।

करियर की शुरुआत

‘महाभारत’ से पहले गूफी पेंटल ने कई फिल्मों में काम किया। 1975 में उन्होंने फिल्म ‘रफू चक्कर से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने ‘सुहाग’, ‘देस परदेस’, ‘घूम’ जैसी फिल्में की। गूफी पेंटल ने सबसे पहले दूरदर्शन पर टीवी सीरियल ‘बहादुर शाह जफर’ में काम किया। इसके बाद 1988 में प्रसारित ‘महाभारत’ में शकुनी मामा का रोल किया था। वह ‘महाभारत’ में कास्टिंग डायरेक्टर भी थे। गूफी को शकुनी मामा के नाम से ही जाना जाने लगा। उन्होंने इतना दमदार अभिनय किया कि लोग असल जिंदगी में उनसे नफरत करने लगे थे। उन्होंने आखिरी बार स्टार भारत चैनल पर ‘जय कन्हैया लाल की’ (2021-22) में काम किया जिसमें वह विश्वकर्मा बने थे।

कुछ वक्त सेना में रहे

अपने अभिनय की शुरुआत करने से पहले गूफी पेंटल सेना में थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में गूफी पेंटल ने बताया था, ‘जब 1962 में भारत-चीन युद्ध चल रहा था, तब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। युद्ध के दौरान भी कॉलेज में सेना की भर्ती चल रही थी। मैं हमेशा से सेना में शामिल होना चाहता था। मैं चीन सीमा पर आर्मी आर्टिलरी में तैनात था।’

वह आगे कहते हैं, ‘सीमा पर मनोरंजन के लिए कोई टीवी और रेडियो नहीं था इसलिए हम (सेना के जवान) सीमा पर रामलीला करते थे। मैं रामलीला में सीता की भूमिका निभाता था और एक व्यक्ति रावण के वेश में स्कूटर पर आता था और मेरा अपहरण कर लेता था। मुझे एक्टिंग का शौक था इससे मुझे थोड़ी ट्रेनिंग हुई।’

कैसे मिला शकुनी का रोल

‘महाभारत’ में शकुनी के रोल के लिए गूफी पेंटल बतौर कास्टिंग डायरेक्टर एक एक्टर की तलाश कर रहे थे। उन्होंने 3 लोगों को शॉर्टलिस्ट भी किया था लेकिन पटकथा लेखक मासूम रजा ने उन्हें इस रोल को करने की सलाह दी। इस तरह उन्होंने किरदार निभाया और इसे हमेशा के लिए यादगार बना दिया।(एएमएपी)