भारत और कनाडा के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती हुई नजर आ रही है. भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए ई-वीजा सर्विस की फिर से शुरुआत कर दी है। कनाडा के अपनी धरती पर खालिस्तानी आतंकवादियों को पनाह देने और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के कारण पिछले दो महीने से कनाडाई नागरिकों के लिए भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वीजा सर्विस पर रोक लगाई हुई थी। ऐसे में एक बार फिर से वीजा सर्विस बहाल होने के बाद कनाडाई नागरिक भारत की यात्रा कर पाएंगे।इससे पहले भारत ने पिछले महीने कनाडा में भारतीय दूतावास और महावाणिज्य दूतावास से कुछ श्रेणियों में वीजा सेवायें बहाल की थीं। उस समय कनाडा में भारतीय उच्चायोग की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि हाल में कनाडा की ओर से किए गए उपायों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद 26 अक्टूबर से प्रवेश, बिजनेस, मेडिकल और सम्मेलन के लिए वीज़ा सेवाओं को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि कनाडा के नागरिकों के लिए भारत ने प्रवेश संबंधी वीजा सेवाओं पर 21 सितंबर को अस्थाई रोक लगाने का कदम उठाया था। भारत ने कनाडा से दो टूक शब्दों में कहा था कि वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह न दे तथा कनाडा में भारतीय राजनयिक मिशनों और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसका कारण स्पष्ट करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कनाडा में भारतीय उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों को सुरक्षा संबंधी चिंता का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनका सामान्य कामकाज प्रभावित हुआ है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत की विदेश खुफिया एजेंसी रॉ पर कनाडा में रह रहे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप मढ़ने की कोशिश की थी। भारत ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे बेतुका और प्रेरित बताया था। भारत का कहना है कि घरेलू राजनीति के कारण कनाडा की सरकार खालिस्तानियों को समर्थन दे रही है, जो खुलेआम भारतीय राजनयिकों और मिशनों पर हमले की धमकियां दे रहे हैं।

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भारत ने हत्या में हाथ होने से किया इनकार

भारत सरकार ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताया था। नई दिल्ली ने कहा था कि अगर कनाडा को सच में लगता है कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, तो उसे अपने इस दावे को साबित करने के लिए सबूत पेश करने चाहिए। इस घटना के बाद से ही दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए। भारत-कनाडा दोनों ने ही अपने-अपने देश से कई सारे राजनयिकों को जाने को भी कह दिया। (एएमएपी)