अपंग सैनिकों को पैरालंपिक स्पर्धाओं के लिए नौ खेलों में प्रशिक्षित करने का फैसला
सेना के कमांडरों का सम्मेलन 17-21 अप्रैल के बीच पहली बार हाइब्रिड मॉडल में किया गया, जिसमें व्यापक रूप से रणनीतिक, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास तथा प्रशासनिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया। सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में फैसला लिया गया कि युद्ध के दौरान शारीरिक रूप से हताहत हो जाने वाले सैनिकों की पैरालंपिक स्पर्धाओं के लिए पहचान करके उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें नौ खेल प्रतिस्पर्धाओं में आर्मी स्पोर्ट्स और मिशन ओलंपिक नोड्स में प्रशिक्षित करने का निर्णय किया गया है। इसके अलावा युद्ध के दौरान बलिदान होने वाले सैनिकों के सक्षम बच्चों को एजीआईएफ के माध्यम से भरण पोषण भत्ते को दोगुना कर देने का निर्णय लिया गया।
सम्मेलन में सेना के कमांडरों और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मौजूदा उभरते सुरक्षा परिदृश्यों का जायजा लिया और भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की। इसके अलावा अग्निपथ स्कीम के प्रभावी कार्यान्वयन की प्रगति पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। इस वर्ष 791 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 435 सिमुलेटरों की खरीद के माध्यम से सिमुलेटर प्रशिक्षण की योजना पर भी चर्चा हुई। सेना में अधिकारियों की भर्ती के लिए टीईएस एंट्री स्कीम के तहत जनवरी, 2024 से मौजूदा 1+3+1 वर्ष तकनीकी प्रविष्टि स्कीम (टीईएस) मॉडल से 3+1 टीईएस मॉडल में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया। इस बदलाव से अधिकारियों की कमी पर ध्यान दिया जा सकेगा।
शीर्ष नेतृत्व ने अन्य सेवाओं तथा सरकारी एजेन्सियों के साथ तालमेल को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की भी पहचान की। सम्मेलन के दौरान सैन्य टुकड़ियों तथा पूर्व सैनिकों के लिए कई कल्याणकारी उपायों और पहलों को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया। फोरम ने नेटवर्क की सुरक्षा के लिए आवश्यकता की समीक्षा की और तत्काल भविष्य में कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स को संचालित करने का निर्णय लिया। इसके अलावा सेना को प्रभावी और घातक लड़ाकू बल बनाये रखने के लिए अवसंरचना, समय और संसाधनों को इष्टतम बनाने के लिए प्रशिक्षण पहलों पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया गया।
दिल्ली कैंट में नए थल सेना भवन के निर्माण कार्य पर भी कमांडरों के सम्मेलन में चर्चा हुई। 2025 में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इससे न केवल कार्यालय के लिए स्थान की कमी पर ध्यान दिया जा सकेगा, बल्कि सभी निदेशालयों के एक छत के नीचे आने पर सेना मुख्यालय की कार्यात्मक दक्षता भी बढ़ेगी। इस अत्याधुनिक भवन में प्रौद्योगिकी के लिहाज से उन्नत वास्तुकला शामिल होगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस साल जनवरी में शुरू हुआ निर्माण कार्य अगले 27 महीनों में लगभग 760 करोड़ रुपये की लागत से पूरा होने की उम्मीद है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फरवरी, 2020 में दिल्ली छावनी में इस नए भवन के निर्माण की नींव रखी थी।(एएमएपी)