दुर्गम इलाकों में कहीं भी उतार सकती है 20 टन वजन।

भारत की तीनों सेनाओं जल, थल, नभ की ताकत मोदी सरकार में लगातार बढ़ रही है। पिछले नौ सालों के दौरान केंद्र सरकार का जो फोकस भारतीय सेनाओं को और सशक्‍त बनाने पर रहा है, उसका अब सीधा एवं व्‍यापक सकारात्‍मक असर दिखाई देने लगा है। अब भारतीय वायु सेना ने हाल ही में कार्गो विमान से ‘टाइप वी हैवी ड्रॉप सिस्टम’ का सफल परीक्षण कर लिया है। इसकी मदद से युद्ध के मैदान में या दुर्गम स्थानों पर 20 टन तक वजन के साजो-सामान (सैन्य सामान या गोला बारूद) को पैराशूट के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।

‘मेक इन इंडिया’ के तहत मिली ये बड़ी कामयाबी

100 फीसदी स्वदेशी संसाधनों से निर्मित होने के कारण, भारतीय सशस्त्र बलों ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बड़ी सफलता घोषित किया है। खास बात ये है कि ‘टाइप V हैवी ड्रॉप सिस्टम’ को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला में डिजाइन किया गया है। इस तकनीक का परीक्षण संयुक्त रूप से एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (डीआरडीओ), भारतीय सशस्त्र बल उपयोगकर्ता और एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिविजन) की मदद से पूरा किया गया है।

‘सी’ सीरिज के विमानों का होगा इस्तेमाल

इस संबंध में एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राज कुमार पांडे का कहना है कि  ‘टाइप वी हैवी ड्रॉप सिस्टम’ का उपयोग सी-17, सी-130 एवं अन्य सी सीरीज विमानों के लिए किया जा सकेगा। इसमें एक प्लेटफार्म और विशेष मल्टीस्टेज पैराशूट सिस्टम है। साथ ही इसमें आठ मुख्य कैनोपी, तीन एक्सट्रैक्टर पैराशूट, एक डरोगे पैराशूट, इलेक्ट्रिकल, एल्क्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल सिस्टम एवं लॉन्चिंग एक्सेसरीज शामिल हैं।

इस सिस्टम का प्लेटफार्म एक विशेष एल्युमिनियम धातु से बना है। एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट और भारतीय सशस्त्र बल उपयोगकर्ताओं के सहयोग के साथ प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जम्मू में ‘नॉर्थटेक सिम्पोज़ियम’ में एडीएसएल की सक्रिय भागीदारी, रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचार और आत्मनिर्भरता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इससे अब इतनी मजबूत हो जाएगी सेना

‘टाइप वी हैवी ड्रॉप सिस्टम’ को सेना में शामिल करने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है। इसका निर्माण एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिविजन) द्वारा किया जा रहा है। सशस्त्र बलों की जरूरतों के लिए ऐसी प्रणालियों के विकास के लिए एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिविजन) सन 2018 से डीआरडीओ की आगरा स्थित प्रयोगशाला एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट के साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट की गतिविधिओं में शामिल है।

एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिविजन) मेक इन इंडिया के तहत भारतीय सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण प्रकृति की ऐसी विकास गतिविधियों को करने के लिए तैयार है। एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिवीजन) ने मेक इन इंडिया के तहत आईआईटी जम्मू में नॉर्थ टेक सिम्पोजियम 2023 में इस सिस्टम का प्रदर्शन किया था।(एएमएपी)