भारत में विदेशी विश्वविद्यालय अपना परिसर स्थापित कर पाएंगे । उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों का अमेरिका, ब्रिटेन सहित दुनिया के दूसरे देशों की ओर तेजी से हो रहे पलायन को थामने और देश को विश्वस्तरीय शिक्षा का एक बड़ा हब बनाने की दिशा में केंद्र सरकार का ये अहम कदम माना जा रहा है। जिसके तहत दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान अब देश में कहीं भी अपने कैंपस खोल सकेंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी )  ने इसका मसविदा नियमन जारी किया है। इसके लिए विदेशी विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मंजूरी लेनी होगी, जो शुरूआत में दस साल के लिए मिलेगी। हालांकि दाखिले की प्रक्रिया और शुल्क ढांचे को तय करने की छूट विश्वविद्यालयों को होगी।

ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से नहीं, चलेगा कोई कोर्स

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में अपना कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालय ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कोई कोर्स नहीं चला सकते। इन कैंपस में ऑफलाइन मोड में पढ़ाई होगी और छात्र कैंपस में आएंगे। इसके साथ ही इन संस्थानों को अपने यहां ज्यादातर शिक्षकों को नियमित रूप से नियुक्ति देनी होगी। इस बीच मसौदे पर 18 जनवरी तक सुझाव देने के लिए कहा गया है। जिसके बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यूजीसी ने इस मसौदे को दुनिया भर के सभी भारतीय दूतावासों के जरिए सभी देशों को भी भेजा है। साथ ही देश में मौजूद विदेशी दूतावासों को भी इस भेजा गया है।

फीस स्ट्रक्चर को रखना होगा पारदर्शी, नहीं तो होगी कार्रवाई

भारत में कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी यूनिवर्सिटीज अपना एडमिशन प्रोसेस खुद तैयार कर सकेंगी। यह फीस भी अपने हिसाब से तय कर पाएंगी। हालांकि यूजीसी अध्यक्ष का कहना है कि फीस स्ट्रक्चर पारदर्शी और तर्कसंगत होना चाहिए। भारतीय कैंपस में भारत के साथ- साथ दूसरे देशों के स्टूडेंट्स को भी दाखिला मिल सकेगा। विदेशी यूनिवर्सिटीज को को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय कैंपस में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने दी अनुमति

प्रदर्शन के आधार पर अनुमति आगे भी जारी रखने का फैसला लिया जाएगा। इस बीच यूजीसी इन संस्थानों की गुणवत्ता, काम-काज और गतिविधियों पर पैनी नजर रखेगी। किसी भी गड़बड़ी पर भारी जुर्माना सहित अनुमति भी वापस ली जा सकेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने इस दिशा में अहम कदम उठाया है। इनमें यूजीसी किसी तरह से दखल नहीं देगा, लेकिन इन संस्थानों को शैक्षणिक गुणवत्ता के मानकों को पूरा करना होगा। जिसकी लगातार समीक्षा होगी। इसके साथ ही यूजीसी इन संस्थानों का औचक निरीक्षण भी कर सकेगा। इस संस्थानों को भारतीय कानूनों को पूरी तरह से मानना होगा। इनमें फेमा से जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी होगी। इन नियमों का पालन न करने पर इन संस्थानों पर भारतीय कानून के कार्रवाई होगी।

शिक्षकों के लिए खुल रहे रोजगार के नए द्वार

विदेशी विश्वविद्यालयों के देश में कैंपस खोलने से जुड़े नियमों के तहत यह सभी संस्थान देश में सिर्फ आफलाइन कोर्स ही संचालित कर सकेंगे। इन्हें आनलाइन या फिर किसी दूसरे मोड़ में कोर्स चलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही इन संस्थानों को अपने यहां ज्यादातर शिक्षकों को नियमित रूप से नियुक्ति देनी होगी। इस बीच मसौदे पर 18 जनवरी तक सुझाव देने के लिए कहा गया है। जिसके बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यूजीसी ने इस मसौदे को दुनिया भर के सभी भारतीय दूतावासों के जरिए सभी देशों को भी भेजे है। साथ ही देश में मौजूद विदेशी दूतावासों को भी भेजे गए है।

विदेशी संस्थान मंजूरी के लिए इस तरह करेंगी आवेदन

विदेशी संस्थान को भारत में कैंपस शुरू करने के लिए यूजीसी के पास आवेदन देना होगा । यूजीसी की स्टैंडिंग कमेटी हर केस को देखेगी और अपनी सिफारिश देगी। जिस दिन संस्थान आवेदन करेगा, उसके बाद 45 दिनों के अंदर स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश यूजीसी के सामने रखी जाएगी। उसके बाद यूजीसी की मंजूरी होगी। मंजूरी के दिन से दो साल के अंदर कैंपस शुरू करना होगा।

ये है यूजीसी

भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग केन्द्रीय सरकार का एक आयोग है जो विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है। यही आयोग सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान भी प्रदान करता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है और इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं। यह राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (National Eligibility Test / NET) का भी आयोजन करता है जिसे उत्तीर्ण करने के आधार पर विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति होती है।(एएमएपी)