शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत ने सुनाया फैसला।

शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत ने शनिवार, 3 मई को फैसला सुनाया कि विवादित संजौली मस्जिद की सभी पांच मंजिलें अनधिकृत हैं और पूरे ढांचे को गिराया जाए। एक वकील ने यह जानकारी दी।

स्थानीय लोगों के एक वर्ग और हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद को ध्वस्त करने का दबाव बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया था। प्रदर्शनकारियों का दावा था कि ढांचा अनधिकृत है, लेकिन पिछले 15 वर्षों के दौरान निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अदालत ने पांच अक्टूबर, 2024 को मस्जिद की ऊपर की तीन ‘‘अनधिकृत’’ मंजिलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था और वक्फ बोर्ड को शेष दो मंजिलों की स्वीकृत योजनाओं के दस्तावेज पेश करने को कहा था।

मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे स्थानीय लोगों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि वक्फ बोर्ड भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज और स्वीकृत भवन योजना पेश करने में विफल रहा। पाल ने बताया कि इसके बाद नगर आयुक्त भूपेंद्र अत्री की अदालत ने मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश पारित किया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम आयुक्त को तीन महीने के भीतर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। यह अवधि आठ मई को समाप्त हो रही थी। नगर निगम अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि मस्जिद 1947 से पहले अस्तित्व में थी और पुराने ढांचे को ध्वस्त करके नयी मस्जिद का निर्माण किया गया था। अदालत ने सवाल किया कि मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए नगर निगम से मंजूरी क्यों नहीं ली गई और नियमों का उल्लंघन कर निर्माण क्यों किया गया।

नगर आयुक्त की अदालत के निर्देश पर तीन अनाधिकृत मंजिलों को गिराने का काम शुरू हो गया था और मस्जिद की एक छत, चौथी मंजिल के दो लेंटर और दो मंजिलों की दीवारें पहले ही हटा दी गई थीं और अब पूरी मस्जिद को गिराने के आदेश पारित किए गए हैं।