बहादुरी से लड़ रहे मेडिकल कर्मचारी
शुक्रवार (2 जून) की रात बालासोर जिले में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद से अब तक 288 लोग जान गंवा चुके हैं। करीब एक हजार लोग घायल हुए हैं। कई घायल यात्रियों को अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया है। डॉक्टर और मेडिकल कर्मचारी अफरातफरी के बीच लोगों की जान बचाने के लिए बहादुरी से लड़ रहे हैं। खबरों के मुताबिक, शुक्रवार की दुर्घटना के बाद 500 से ज्यादा घायलों को बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मेडिकल कर्मचारी घायल यात्रियों का जीवन बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा घायल यात्रियों के इलाज के लिए अतिरिक्त बिस्तर जोड़े गए हैं। इसके अलावा घायलों को बालासोर, सोरो, भद्रक, जाजपुर और कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में ले जाया गया है।

स्कूल बना अस्थायी मुर्दाघर
एक रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में स्थिती कितना भयावह है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के बहानगा गांव में, एक दशक पुराने हाई स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर में बदल दिया गया है। दरअसल, ट्रेन त्रासदी में मरने वालों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती गई, दिनभर लाशों को बाहर निकालने के बाद उन्हें सुरक्षित जगह रखने की चुनौती अधिकारियों के सामने आ गई। ऐसे में अधिकारियों ने घटनास्थल से 300 मीटर दूर एक स्कूल को शवों को रखने के लिए चुना।
जीवन में कभी ऐसी अराजकता नहीं देखी- डॉक्टर
बालासोर जिला मुख्यालय अस्पताल के अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने बताया, “मैं कई दशकों से इस पेशे में हूं, लेकिन मैंने अपने जीवन में कभी ऐसी अराजकता नहीं देखी।।। अचानक, 251 घायल लोगों को हमारे अस्पताल में ले आया गया और हम इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। हमारे कर्मचारियों ने पूरी रात काम किया और सभी को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की।”

मलबा हटाने में जुटे 1 हजार मजदूर, पटरियां बिछाने का काम भी शुरू
रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद पटरियां दुरुस्त करने का काम जोरों पर चल रहा है। अब तक हावड़ा-चेन्नई रूट की 90 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं वहीं 46 का रूट बदला गया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, सोमवार (5 जून) तक ट्रैक दुरुस्त होने की उम्मीद है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रात भर चल रहे मरम्मत कार्य का जायजा लिया। इस दौरान बालासोर में रात भर एक हजार से ज्यादा मजदूर मलबे को हटाने का काम करते रहे। मलबा हटाने के काम में जुटे कर्मचारियों को रेल मंत्री ने दिशा निर्देश दिए। 7 पोलकेन मशीन, 5 जेसीबी और 2 बड़ी क्रेन से भी मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर चलता रहा है। जल्द से जल्द ट्रेन सेवाएं सामान्य करने की कोशिश हो रही है।
रेलवे का प्रारंभिक अनुमान, सिग्नल की समस्या से हुई भीषणतम रेल दुर्घटना
रेलवे ने दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी है। दक्षिण पूर्व रेलवे के सुरक्षा आयुक्त की निगरानी में यह जांच हो रही है। प्रारंभिक तौर पर दावा किया जा रहा है कि सिग्नल की समस्या की वजह से यह दुर्घटना हुई है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अप मेन लाइन में ग्रीन सिग्नल दिया गया था लेकिन ट्रेन उस पटरी पर न जाकर बगल में लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी वाली पटरी पर चढ़ कर टकरा गई, जिसकी वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस बेपटरी होकर दुर्घटनाग्रस्त हुई। यह भी पता चला है कि डाउन लाइन से सर एम विश्वेश्वरैया हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस बालेश्वर की ओर जा रही थी। उस ट्रेन के दो डिब्बे पटरी से उतर गए थे।(एएमएपी)



