प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व- यूरोप कॉरिडोर से चिंतित चीन तुर्की के मिडिल कॉरिडोर इनिशिएटिव को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के पश्चिमी एशिया में बढ़ते रणनीतिक प्रयासों से चिंतित चीन ने तुर्की के मिडिल कॉरिडोर को अपने बीआरआई प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। भारत में सितंबर में संपन्न जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा की गई थी।

इस कॉरिडोर का प्रस्ताव भारत, सऊदी अरब और यूरोप के बीच कारोबार बढ़ाने के लिए लाया गया है. माना जा रहा है कि ये भारत और यूरोपीय देशों की चीन के बीआरआई को टक्कर देने की कोशिश है। इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि तुर्की और चीन के बीच हाल ही में उच्चस्तरीय वार्ता भी हुई है।

तुर्की के विदेश मंत्रालय के एक दस्तावेज़ के मुताबिक़ ट्रांस केस्पियन ईस्ट-वेस्ट मिडिल कॉरिडोर जिसे संक्षिप्त में मिडिल कॉरिडोर भी कहा जाता है तुर्की से शुरू होकर कॉकस क्षेत्र के जॉर्जिया और अज़रबैजान से गुज़रते हुए केस्पियन सागर से निकलकर मध्य एशिया में दाख़िल होकर चीन पहुंचता है। इस दस्तावेज़ के मुताबिक़ ये कॉरिडोर रेल और रोड के ज़रिये जॉर्जिया और अज़रबैजान और केस्पियन सागर (केस्पियन कॉरिडोर को पार करते हुए) गुज़रता है और फिर तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान से होते हुए चीन पहुंचता है.बाकू,अलाट , अक्ताऊ,कुर्यक और तुर्कमेनवाशी बंदरगाह केस्पियन ट्रांज़िट कॉरिडोर पर आने वाले मुख्य मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट बिंदू हैं।

तुर्की यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरेशिया के लैंडलॉक्ड (बिना समंदर तट वाले) देशों को इस कॉरिडोर की तरफ़ आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. मध्य एशिया के लैंडलॉक्ड देश रूस पर प्रतिबंधों के कारण रूस के रास्ते पश्चिमी देशों के साथ अपना कारोबार नहीं कर पा रहे हैं।

मिडिल कॉरिडोर कई जगहों पर बीआरआई को ओवरलैप करता है.

अख़बार लिखता है, “पश्चिमी एशिया में अमेरिका का प्रभाव कम हो रहा है, ऐसे में चीन ने अपने राजनीतिक संपर्क बढ़ाने के लिए प्रयास तेज़ कर दिए हैं. चीन पश्चिमी एशिया के देशों के साथ नियमित अंतराल पर सीधे संवाद कर रहा है. चीन दिसंबर 2022 में चीन-अरब सम्मेलन के निर्णयों को लागू करने के लिए ऐसा कर रहा है.”केंद्र सरकार चाहती है कि व्हाट्सएप उसे ये जानकारी दे कि कोई वायरल संदेश कहां से शुरू हुआ और किसने सबसे पहले इसे शेयर किया।

डीपफेक को रोकने के लिए व्हाट्सएप से जानकारी मांगेगी केंद्र सरकार

इंडियन एक्सप्रेस ने केंद्र सरकार के मैसेजिंग प्लेटफार्म व्हाट्सएप से कोई संदेश कहां से शुरू हुआ इसकी जानकारी मांगने के प्रयासों से जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ केंद्र सरकार सूचना प्रोद्यौगिकी नियम (2021) के तहत व्हाट्सएप को किसी संदेश की सोर्स आईडी यानी ये संदेश सबसे पहले किसने शेयर किया से जुड़ी जानकारी मांग सकता है।

अख़बार लिखता है, “देश 2024 लोकसभा चुनावों की तरफ़ बढ़ रहा है और इसी बीच केंद्र सरकार उस विवादित क़ानून को लागू करने का प्रयास कर रही है जिसके तहत व्हाट्सएप को किसी संदेश को सबसे पहले किसने जारी किया, इससे जुड़ी जानकारी सरकार के साथ साझा करनी पड़ सकती है. प्लेटफार्म पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से बनाए जा रहे फ़र्ज़ी कंटेंट को पकड़ने के लिए ऐसा किया जा रहा है.”

सामाजिक ताना बाना तोड़कर सत्ता तक पहुँचने का कुचक्र है जातीय  जनगणना 

अख़बार लिखता है कि इसका आधार राजनेताओं के ऐसे कई डीपफेक वीडियो हैं जो व्हाट्सएप पर शेयर किए जा रहे हैं। अख़बार को पता चला है कि सरकार व्हाट्सएप को इस संबंध में नोटिस भेजने की प्रक्रिया में है। डीपफेक किसी व्यक्ति का ऐसा वीडियो होता है जिसे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए बनाया जाता है और ये असली जैसा ही लगता है. आमतौर पर डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल फ़र्ज़ी जानकारियां फैलाने के लिए किया जाता है।

भारत में सीएए के ख़िलाफ़ लंबे विरोध प्रदर्शन हुए थे

सीएए के लिए अलग वेब पोर्टल पर चल रहा काम, सरकार बना रही नियम

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून को समर्पित एक वेब पोर्टल लाने जा रही है जिस पर नागरिकता से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी। अख़बार लिखता है कि केंद्र सरकार 2024 चुनावों से पहले सीएए से जुड़े नियम बनाने के लिए अंतिम प्रयास कर रही है।अख़बार के मुताबिक़ इस संबंध में शीर्ष स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं और प्रेजेंटेशन दिए जा चुके हैं. भारत सरकार ने साल 2019 में सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) पारित किया था लेकिन इससे जुड़े नियम अभी नहीं बनाये हैं, इस वजह से ये क़ानून लागू नहीं हो सका है। एक शीर्ष अधिकारी ने अख़बार को बताया, “ये पोर्टल उन लोगों की मदद करेगा जो सीएए के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने के योग्य होंगे. राज्य सरकारों का दख़ल नहीं होगा और लंबी अवधि का वीज़ा हासिल करने में होने वाले भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी.”

भारत में लंबी अवधि का वीज़ा अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी धर्म के लोगों को दिया जाता है। पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार समेत कई राज्यों ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किए हैं। भारत में सीएए का लंबा विरोध भी हुआ था. भारत सरकार का तर्क है कि इस क़ानून से किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता प्रभावित नहीं होती है। अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती होती है।

अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने आत्महत्या कीः भारतीय सेना

अग्निवीर को गार्ड ऑफ़ ऑनर ना दिए जाने पर बढ़ रहे राजनीतिक विवाद के बीच भारतीय सेना ने सफ़ाई दी है.हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ रविवार को सेना ने बताया है कि ‘अमृतपाल सिंह ने ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी और इसी वजह से उनके अंतिम संस्कार के दौरान सैन्य सम्मान नहीं दिया गया.’सेना ने बताया है कि अमृतपाल संतरी की ड्यूटी पर थे और इसी दौरान उन्होंने ख़ुद को गोली मार ली. स्वयं को नुक़सान पहुंचाने से हुई मौत के मामले में सेना मृतक को सैन्य सम्मान नहीं देती है। सिंह सेना की जम्मू-कश्मीर राइफ़ल्स यूनिट के साथ पुंछ सेक्टर में तैनात थे. उनकी मौत 11 अक्तूबर को हुई थी और शुक्रवार को पंजाब के मनसा में पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार हुआ था।

सिंह के अंतिम संस्कार से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे और कई लोगों ने ये लिखा था कि अग्निवीर होने की वजह से उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जो भारतीय सेना के जवानों को मिलता है. सेना ने ज़ोर देकर कहा है कि वह पहले से भर्ती जवानों या अग्निवीर जवानों के बीच कोई कोई भेदभाव नहीं करती है।  (एएमएपी)