#pradepsinghप्रदीप सिंह।
ऑपरेशन सिंदूर… भारत ने एक ऑपरेशन किया और उसका इंपैक्ट न केवल पाकिस्तान पर बल्कि पड़ोसी देश चीन पर भी पड़ रहा है। आप कहेंगे अटैक हुआ पाकिस्तान के आतंकी कैंप और आतंकी नेताओं के सरगनाओं के हेड क्वार्टर पर, इसका चीन पर असर कैसे होगा?

पहले हमें जानना होगा कि भारत ने क्या किया? और, आगे क्या कर सकता है? उसी से पूरी तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी कि चीन पर उसका क्या असर होगा। पहली बात यह कि ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारत की सेना ने एलओसी या इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस नहीं किया। हमारी थल सेना पाकिस्तान की सीमा के भीतर नहीं घुसी। हमारी एयरफोर्स ने पाकिस्तान के एयर स्पेस का उल्लंघन नहीं किया। और नेवी ने तो कुछ नहीं किया। अभी जो हुआ है वह केवल मिसाइल और बम का हमला हुआ है।

इस हमले में जिस तरह से बिल्डिंग्स गिरी हैं उससे दो तरह के मत उभरे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि  स्कैल्प का इस्तेमाल हुआ है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि हैमर बम का इस्तेमाल हुआ है। हैमर बम सतह से बहुत थोड़ा सा ऊपर चलता है। किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आता। टारगेट के पास पहुंचकर एकदम से शूट करता हुआ ऊपर जाता है और फिर नीचे आता है। आपने देखा होगा कि मसूद अजहर के मुख्यालय को जिस तरह से उड़ाया गया है वो छत पर आया, छत से फर्स्ट फ्लोर पर, फर्स्ट फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर, उसके बाद तहखाने में गया। जब अंदर पहुंच गया तब फटा और पूरी बिल्डिंग धराशाई हो गई। भारत ने यह किया जिसे आपने वीडियो के जरिए देख लिया।

इस बार हमले के सबूत मांगने वाला कोई नहीं मिलेगा। जो लोग राफेल के मॉडल पर नींबू और मिर्च लगाकर पूछ रहे थे कि यह कब उतारा जाएगा? अब उनको वो नींबू और मिर्च अपने नेताओं के गले में पहना देना चाहिए। लेकिन यहाँ हम भारत में चल रही, या आगे जो चलेगी, उस राजनीति की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि चीन की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान के पास अपना तो कुछ है नहीं। पाकिस्तान समय-समय पर घोषणा करता रहता है कि हमने अब्दाली मिसाइल का परीक्षण किया, गौरी का परीक्षण किया, गजनवी का किया, आदि-आदि… और इन परीक्षणों की घोषणाओं के जरिए भारत को डराने की कोशिश करता है कि हमारे पास भी बड़ी मारक मिसाइल है। दरअसल ये सारी मिसाइलें उसने चीन से उधार ली हुई हैं या तोहफे में मिली हैं, जिनका रंग और नाम बदलकर वह उन्हें अपनी मिसाइल बताता है। और चीन के जो आयुध हैं- चाहे J17 लड़ाकू विमान हो जिसके बारे में दावा करता है कि फिफ्थ जनरेशन फाइटर प्लेन है- या मिसाइलें और दूसरे हथियार हों- उनका कभी भी युद्ध के समय में या युद्ध की परिस्थितियों में टेस्ट नहीं हुआ है। उनकी क्षमता क्या है, मारक क्षमता क्या है… इसकी परीक्षा कभी नहीं हुई।

पाकिस्तान को बड़ा गुमान था कि उसके पास ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम, एयर डिफेंस सिस्टम है कि परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। भारत कोई भी हमला करेगा तो उसका जवाबी और मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। तो, भारत ने  एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, 30 मिसाइलों से हमला किया। एक भी मिसाइल को उनका एयर डिफेंस सिस्टम डिटेक्ट नहीं कर पाया, डिस्ट्रॉय नहीं कर पाया। इससे समझ लीजिए कि उनका एयर डिफेंस सिस्टम- जो कि चाइनीस है- उसकी क्षमता क्या है?… उसकी अकाउंटेबिलिटी या गुणवत्ता क्या है?… इससे यह टेस्ट हो गया कि भारत मिसाइल का हमला करेगा तो पाकिस्तान जवाब देना तो बहुत दूर की बात है, उसको पकड़ भी नहीं पाएगा। उसको पहचान या जान भी नहीं पाएगा।

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रात में एक बजकर पांच मिनट से एक बजकर तीस मिनट के बीच 25 मिनट में यह सारा ऑपरेशन भारत ने किया। नौ जगहों पर 21 ठिकाने आतंकवादियों के तबाह कर दिए। पाकिस्तान एक चिड़िया भी नहीं मार पाया। कोई जवाब नहीं दे पाया। पिछली बार एयर स्ट्राइक के दौरान उसने जरूर अपने लड़ाकू विमान भेजे थे और उसी की वजह से हमारे अभिनंदन का मिग 29 गिरा था। हालांकि अभिनंदन ने एफ16 को मार गिराया था जिसको पाकिस्तान छिपाता रहा। इस बार वह  F16 का इस्तेमाल कर पाएगा कि नहीं- यह भी संदेह के घेरे में है। क्योंकि अमेरिका ने उसको F16 दिया तो कहा था कि यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए है। सीधे-सीधे अफगानिस्तान में लड़ाई में रूस के खिलाफ इस्तेमाल के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को F16 ने दिया था। उसने कहा था कि इसके अलावा आप किसी पर हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। लेकिन पाकिस्तान बहाना बना सकता है कि हम अपने डिफेंस में इस्तेमाल कर रहे हैं। तो इस बार भारत ने उसको बहाना बनाने का भी मौका नहीं दिया। भारत की फौज ने किसी भी मिलिट्री इंस्टॉलेशन पर अटैक नहीं किया और यह पूरी दुनिया को बता दिया कि हमने हमले में ना तो किसी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया, ना किसी नागरिक ठिकाने को।

बहराल इस हमले में चीन का एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइलें पाकिस्तान के किसी काम नहीं आईं। वो ना उससे आक्रमण कर पाया, ना बचाव कर पाया। अब ये चीन के कितना काम आएंगी इसे आप सहज ही समझ सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय जगत में चीन की बड़ी किरकिरी हुई है। इससे आप अंदाजा लगा लीजिए कि आने वाले दिनों में चीन की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज में प्रोडक्शन का क्या हाल होगा। जो देश चीन से ये हथियार खरीदना चाहते थे- जिन देशों ने आर्डर दिया था- या जो ऑर्डर देने की सोच रहे थे- वो निश्चित रूप से पुनर्विचार करेंगे कि जब यह पाकिस्तान में नहीं चला तो हमारे पास कैसे चलेगा? चीन की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की निर्माण की क्षमता व गुणवत्ता पर दुनिया भर में सवालिया निशान लग गया है।

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चीन एक सुपर पावर बनना चाहता था… बल्कि है भी! चीन को आर्थिक और सैनिक रूप से अमेरिका के बाद सबसे शक्तिशाली देश माना जाता है। उसकी पोल इस तरह से खुल जाएगी इसका किसी को अंदाजा नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान ही नहीं चीन को भी दुनिया के सामने एक्सपोज कर दिया है। सब जान गए हैं कि उसके हथियार, मिसाइल डिफेंस सिस्टम या एयर डिफेंस सिस्टम, उसकी मिसाइलें किसी काम की नहीं है। वो केवल दिखाने के लिए हैं- इस्तेमाल करने के लिए नहीं।

दूसरी बात, चीन का बहुत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर)। उसका 200 किलोमीटर हिस्सा पीओके में है। पीओके पर भारत कब कब्जा कर लेगा इसका किसी को पता नहीं है। न पाकिस्तान को पता है, न चीन को पता है। पाकिस्तान रोज आशंका में जीता है। चीन के मन में भी यह चिंता है कि अगर भारत पीओके पर कब्जा कर लेगा तो उसके इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का क्या होगा? चीन का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बलूचिस्तान में भी फंसा हुआ है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पाकिस्तानी सेना के अफसरों को मार रही है- लगातार अटैक कर रही है। वहां वे केवल पाकिस्तानी सैनिकों को ही नहीं मार रहे। चीनी सैनिक भी, चाहे गदर पोर्ट पर हों या वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट के निर्माण में लगे हों, उन पर भी हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान की सेना उनका बचाव नहीं कर पा रही है। अब ये हमले और बढ़ने वाले हैं। इस तरह पाकिस्तान में तीन फ्रंट खुलने जा रहे हैं। एक- बलूचिस्तान का, दूसरा- खैबर पख्तूनख्वा का और तीसरा- अफगानिस्तान से लगी सीमा पर तहरीक ए पाकिस्तान तालिबान का अटैक।

भारत को करना क्या है? भारत को इन तीनों को सपोर्ट करना है। इसके अलावा अगर भारत पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी मुश्किल में डालना चाहता है है तो एक काम आसानी से कर सकता है- हालांकि इसका फैसला भारत सरकार और पॉलिटिकल लीडरशिप को करना होगा। भारत बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार को मान्यता दे दे। दिल्ली में उसका दफ्तर खोल दे। सिर्फ इतना करना है। उसके बाद देखिए किस तरह से इस इलाके की पूरी राजनीति बदलती है।

दरअसल इस समय केवल पाकिस्तान ही नहीं, चीन की भी नस भारत की पकड़ में है। भारत चीन के लिए भी मुश्किल पैदा कर सकता है क्योंकि कई क्षेत्रों में कहा जा रहा है, बहुत से एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि पहलगाम हमला चीन के इशारे पर हुआ है। चीन नहीं चाहता कि भारत की ताकत बढ़े। चीन नहीं चाहता कि जम्मू कश्मीर में शांति व्यवस्था बहाल हो। चीन नहीं चाहता कि भारत विकास करे और आर्थिक रूप से उसके लिए चुनौती बने। वो ट्रंप टेरिफ वॉर में फंसा हुआ है। वो चाहता है कि भारत कमजोर हो ताकि उसका फायदा भारत को ना मिलने पाए। चीन से फैक्ट्रियां निकल कर भारत ना आने पाए। भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश हो कि भारत में स्थितियां स्थिर नहीं हैं, सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है। इसलिए जो भारत में इन्वेस्टमेंट के लिए इच्छुक हैं, जो जाने वाले हैं, वे चीन में रुक जाएं। अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो पता नहीं लेकिन इसमें चीन का हित तो दिखाई देता है।

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(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और आपका अख़बार के संपादक हैं)