जमीन घोटाले की जांच कर रही केन्द्रीय अनुसंधान ब्यूरो (सीआईबी) ने पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री समेत रहे विजय कुमार गच्छदार, पूर्व मंत्रियों डम्बर बहादुर श्रेष्ठ, चन्द्रदेव जोशी और संजय कुमार साह के खिलाफ जिला अदालत काठमांडू से अरेस्ट वारंट जारी करवा लिया है।
ललिता निवास जमीन घोटाला एक सोची समझी नीतिगत भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें कुछ व्यापारिक लोगों के निजी स्वार्थ में पूरा का पूरा सरकारी तंत्र सम्मिलित था। इतना ही इस पूरे जमीन घोटाले को अंजाम देने के लिए कई मंत्रालयों के सचिव से लेकर मंत्री तक और मुख्य सचिव से लेकर प्रधानमंत्री तक शामिल हैं।
काठमांडू शहर के बीचों बीच प्रधानमंत्री निवास के आसपास की करीब 1.5 लाख स्क्वायर मीटर सरकारी जमीन को फर्जी दावेदार बनाकर कैबिनेट के फैसले द्वारा पहले उसका निजीकरण किया गया और बाद में महंगे दामों में विभिन्न व्यापारिक घरानों को बेच दिया गया। चूंकि यह फैसला दो अलग-अलग सरकारों की कैबिनेट से हुआ इसलिए यह ऐसा भ्रष्टाचार है जिसमें पूरा सरकारी तंत्र, विभाग, मंत्रालय, मंत्री, सचिव, मुख्य सचिव और प्रधानमंत्री तक की सहभागिता है।
नेपाल के सबसे बडे घोटालों में एक माने जाने वाले ललिता निवास जमीन घोटाला कांड में अब तक पूर्व उपप्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्री, सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी तथा बडे व्यापारिक घराने के लोगों के ही खिलाफ विशेष अदालत में मुकदमा चल ही रहा है।
इस बार सरकार एक सचिव सहित कुछ पूर्व सचिवों को हिरासत में ले लिया गया है। नेपाल के सबसे बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर भाटभटेनी के मालिक मीन बहादुर गुरूंग भी हिरासत में है। जिन अन्य व्यापारियों के नाम इस घोटाले में शामिल हैं वो सभी फरार हो गए हैं।(एएमएपी)