अनाथ बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिये दिल्ली विश्वविद्यालय अभिनव पहल की है। विश्वविद्यालय ने सभी कक्षाओं में अनाथ बच्चों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया है। अब इन बच्चों को अपनी पढ़ाई के दौरान कॉलेज के साथ-साथ छात्रावास का शुल्क नहीं जमा करना होगा।विश्वविद्यालय का कहना है कि जो अनाथ बच्चे आर्थिक अभाव की वजह से अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई जारी नहीं रख सकते, उन्हें उच्च शिक्षा का अवसर मिल सकेगा। इस आशय का निर्णय पिछले दिनों हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में लिया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों और विभागों में अनाथ लड़के और लड़कियों के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर सभी कक्षाओं में एक-एक सीट आरक्षित होगी।

उन्होंने बताया कि आरक्षित सीटों पर दाखिला पाने वाले बच्चों की पढ़ाई और हॉस्टल फीस आदि पूरी तरह से माफ होगी। कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय समाज के हर तबके को उच्च शिक्षा प्रदान करने के महत्व को समझता है। इनमें वे विद्यार्थी भी शामिल हैं, जिन्होंने दुर्भाग्यवश अपने माता-पिता को खो दिया है और अनाथ हो गए हैं।

आगे उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की यह सामाजिक जिम्मेवारी है कि ऐसे विद्यार्थियों की सहायता करे। इसी जिम्मेवारी को समझते हुए विश्वविद्यालय ने यह पहल की है।

कुलपति ने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में परिकल्पित वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत जीईआर की उपलब्धि की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगी और विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में मौजूदा प्रयासों को अपनी संस्थागत सामाजिक जिम्मेदारी (आईएसआर) से जोड़ेगी। (एएमएपी)