मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सेना को दिया धन्यवाद।

मणिपुर में जब 3 मई को हिंसा भड़की, तो राजधानी इम्फाल से लगभग 110 किमी दूर मोरेह सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था। मोरेह में कुकी, मैतेई और यहां तक कि तमिलों की मिश्रित आबादी है, जिनकी जड़ें औपनिवेशिक काल से चली आ रही हैं। 3 मई को घाटी-बहुसंख्यक मैतेई को लेकर पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी-जो-चिन जनजातियों की एक विरोध रैली के बाद चुराचांदपुर जिले में हिंसा भड़क गई थी। पूर्वोत्तर राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले जाने के दौरान तीन मई को हिंसा भड़की थी। तब से राज्य में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।(एएमएपी)



