शामिल होने पाक ने खूब मारे हाथ-पैर
पाकिस्तान ने अनुरोध से किया इनकार
छह नए देश हुए शामिल
बता दें ब्रिक्स देशों के नेताओं ने गुरुवार को अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को समूह के नए पूर्णकालिक सदस्यों के रूप में शामिल करने का फैसला किया, जिससे एक लंबी प्रक्रिया पर मुहर लग गई। इस फैसले की घोषणा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के साथ एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में की। इसे मोटे तौर पर पश्चिमी शक्तियों के जवाब के रूप में देखा जाता है।
रामफोसा ने घोषणा की कि नए सदस्य एक जनवरी, 2024 से ब्रिक्स का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि विस्तार प्रक्रिया के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानदंडों और प्रक्रियाओं को मजबूत करने के बाद नए सदस्यों के बारे में निर्णय पर सहमति बनी। रामफोसा ने जोहानिसबर्ग में समूह के शिखर सम्मेलन के अंत में कहा, ”ब्रिक्स विस्तार प्रक्रिया के पहले चरण पर हमारी आम सहमति है।” उन्होंने कहा, ”हमने अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करने का फैसला किया है।” छह देशों के प्रवेश के साथ, समूह में सदस्यों की कुल संख्या मौजूदा पांच से 11 तक पहुंच रही है। लगभग 40 देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि दिखाई थी, जिनमें से 23 ने औपचारिक रूप से सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
ब्रिक्स का गठन
ब्रिक्स का गठन सितंबर 2006 में हुआ था और इसमें मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत और चीन (ब्रिक) शामिल था। बाद में इसमें सितंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया गया जिसके बाद इसे ‘ब्रिक्स’ का नाम मिला। वहीं ब्रिक्स ने कहा कि वह बातचीत और कूटनीति के माध्यम से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से मध्यस्थता से संबंधित प्रस्तावों की सराहना करता है।
तीन दिवसीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक घोषणा में कहा गया कि समूह के नेताओं ने यूक्रेन और उसके आसपास संघर्ष के संबंध में अपने राष्ट्रीय रुख को याद किया। घोषणा में हालांकि यूक्रेन पर आक्रमण के लिये रूस की कोई आलोचना नहीं की गई।
भारत और ब्रिक्स समूह के चार अन्य सदस्यों ने सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में ‘व्यापक सुधार’ की मांग की, ताकि इसे और अधिक लोकतांत्रिक और कुशल बनाया जा सके जिससे वैश्विक चुनौतियों का पर्याप्त रूप से जवाब दिया जा सके और विकासशील देशों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। पांच देशों के समूह ने यहां 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन के बाद एक संयुक्त घोषणा में कहा, ”हम बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं जो शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक शर्तें हैं।”(एएमएपी)