अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पाकिस्तान खासा परेशान नजर आ रहा है। पाकिस्तान की बौखलाहट इस बात से साफ नजर आ रही है कि यूएन के सामने बाबरी मस्जिद विध्वंस, राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया गया है।  पत्र के जरिए पाकिस्तान ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह भी इसी तरह के ‘खतरे का सामना’ कर रही हैं। यह ताजा मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क में हुई ओआईसी की बैठक का है, जहां पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के सामने मंदिर का मुद्दा उठा दिया। इससे पहले भी पाकिस्तान ने मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जाहिर की थी। 57 मुस्लिम देशों के समूह ओआईसी यानी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन भी राम मंदिर निर्माण पर ‘चिंता’ जाहिर कर चुका है।

पाक राजदूत मुनीर अकरम ने यूएन को लिखा पत्र

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने पत्र लिखा है। इसमें यूएन के सामने बाबरी मस्जिद विध्वंस, राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया गया है। पत्र के जरिए पाकिस्तान ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह भी इसी तरह के ‘खतरे का सामना’ कर रही हैं। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण यानी एएसआई की रिपोर्ट के हवाले से हिंदू पक्ष के वकील ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी।

यूएन अधिकारी मिगेल एंगल मोराटिनोस को लिखे पत्र में अकरम ने राम मंदिर के ‘निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा की निंदा’ की है। ओआईसी की मीटिंग के दौरान साझा किए गए पत्र में उन्होंने आरोप लगाए हैं, ‘यह ट्रेंड क्षेत्र में शांति और सद्भावना के साथ-साथ भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक कल्याण, आर्थिक, सामाजिक के लिए खतरा पैदा करता है।’ पत्र में आगे कहा गया है, ‘भारत में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए आपको यह पत्र लिख रहा हूं। यूनाइटेड नेशन्स अलायंस ऑफ सिविलाइजेशन्स को इस्लामिक विरासत को बचाने और भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए अहम भूमिका निभाना चाहिए।’

ओआईसी ने उठाए सवाल

ओआईसी की तरफ से मंगलवार को आधिकारिक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया, ‘ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन महासचिवालय भारत के शहर अयोध्या में जिस स्थान पर पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस किया गया था, वहां हाल ही में राम मंदिर के निर्माण और उद्घाटन पर गंभीर चिंता जाहिर करता है।’ साथ ही कहा गया, ‘पिछले सत्रों में विदेश मंत्रियों के परिषद की तरफ से जाहिर रुख के अनुसार, महासचिवालय उन कामों की निंदा करता है, जिनका उद्देश्य बाबरी मस्जिद के प्रतिनिधित्व वाले इस्लामिक स्मारकों को नष्ट करना है।’

पाकिस्तान भी भड़का

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा था, ‘पिछले 31 वर्षों के दौरान के घटनाक्रम के बाद आज का प्राण प्रतिष्ठा समारोह भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद का संकेत है। यह भारतीय मुसलमानों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेलने के लिए किये जा रहे प्रयास के तहत उठाया गया कदम है।’ इसके अनुसार, ‘भारत में ‘हिंदुत्व’ की बढ़ती विचारधारा धार्मिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है।’

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ज्ञानवापी पर क्या है रिपोर्ट

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को कहा कि एएसआई की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए हैं। जैन ने बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां गुरुवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी।(एएमएपी)